अपराधियों को टिकट देने की रजामंदी देते कमलनाथ का वीडियो उनकी 'हार' दिखा रहा है
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस की छटपटाहट कमलनाथ के बयान में दिखती है. उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे चुनाव जीतने लायक अपराधियों को टिकट देने की रजामंदी दे रहे हैं.
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15 सालों से मध्य प्रदेश की सत्ता पर भाजपा का कब्जा है, लेकिन इस बार भी सत्ता वापसी की छटपटाहट में कांग्रेस की ओर से ऐसी बात सार्वजनिक तौर पर कही जा रही हैं जो उसकी हार का कारण बन सकती हैं. जैसे कांग्रेस पार्टी के सबसे वरिष्ठ सांसद और मध्यप्रदेश चुनाव की कमान संभाल रहे कमलनाथ का ताजा बयान. राजनीति में अपराधियों को चुनाव का टिकट दिया जाना कोई नई बात नहीं है. लेकिन इस तरह के टिकट वितरण को काई पार्टी कैमरे के सामने स्वीकार नहीं करती. लेकिन ये हिम्मत दिखाई है कमलनाथ ने. वे खुलेआम कह रहे हैं- 'कोई कहता है इसके ऊपर तो चार केस हैं, मैं तो कहता हूं चार केस हों या पांच केस. हम तो इसमें के हैं. हम तो जीतने वाले के हैं. मैं बड़ा स्पष्ट बात सबसे कहता हूं. मुझे तो जीतने वाला चाहिए.' अब इसे कमलनाथ की बेबाकी कहेंं या बेशर्मी. कांग्रेस का सबसे वरिष्ठ नेता यदि ऐसी बात कर रहा है तो उस पार्टी की बुनियादी नीयत के बारे में सोचा जा सकता है. बहरहाल, कमलनाथ के इस वीडियो के वायरल होते ही हंगामा मच गया. जो मचना ही था.
कमलनाथ के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर संग्राम शुरू हो गया है.
तिहाड़ में ही मिलेंगे मनपसंद कांग्रेस कैंडिडेट :गिरिराज सिंह
भाजपा के गिरिराज सिंह ने कमलनाथ के इस वीडियो को शेयर किया और लिखा कि- 'कमलनाथ जी को तिहाड़ जेल ले जाओ ...वहां से कांग्रेस अपना मनपसंद कैंडिडेट चुन सकती है.' इस वीडियो को भाजपा मध्यप्रदेश के ट्विटर हैंडल से भी शेयर किया गया है, जिसमें लिखा है- 'कांग्रेस का हाथ, अपराधियों के साथ'
कमलनाथ जी को तिहार जेल ले जाओ ...वहाँ से कांग्रेस अपना मनपसंद कैंडिडेट चुन सकती है. pic.twitter.com/ToSIhFmpVt
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) November 3, 2018
कांग्रेस का हाथ, अपराधियों के साथ.#CriminalKamalnath pic.twitter.com/bE2pdrHcBe
— BJP MadhyaPradesh (@BJP4MP) November 3, 2018
कांग्रेस बचाव में तो आई, लेकिन कोई सबूत नहीं लाई
कांग्रेस की ओर से कमलनाथ का बचाव करने आईं शोभा ओझा ने तो वीडियो को ही झूठा करार दे दिया. उन्होंनेे कहा कि 'शिवराज सिंह चौहान ने बौखलाहट में काट छांट कर झूठा वीडियो ट्वीट किया है. लगे हाथ उन्होंंने यह भी बयान भी दे ही दिया कि पार्टी इसकी शिकायत चुनाव आयोग से करेगी. इधर दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने शिवराज और भाजपा पर वीडियो को काट-छांट कर पेश करने का आरोप तो लगाया, लेकिन बिना सबूत के.
अब तो आलम यह है कि मामा जी की बौखलाहट छिपाए नहीं छिपती.इसलिए काट छांट कर विडीओ ट्वीट करके मामाजी ने फिर से असली मुद्दों से ध्यान भटकाने का असफल प्रयास किया है. निंदनीय.क्यों ना बुधनी व छिंदवाड़ा माडल पर बहस कर लें मामाजी ? pic.twitter.com/RMgTKrN1hK
— Priyanka Chaturvedi (@priyankac19) November 3, 2018
वैसे हैरानी नहीं होती कमलनाथ के बयान पर
कभी संजय गांधी की 'चांडाल चौकड़ी' कही जाने वाली कोर टीम का हिस्सा रहे कमलनाथ पार्टी के विवादास्पद नेताओ में से एक हैं. कमलनाथ कांग्रेस के उन चुनिंदा नेताओं में से एक हैं, जिन पर सिख दंगा भड़काने का आरोप है. उनके खिलाफ सिख दंगा जांच आयोग में पीडि़तो ने शिकायत भी दर्ज कराई है. कांग्रेस पार्टी ने जब उन्हें पंजाब का चुनाव प्रभारी बनाया था, तो उन्हें यह पद सिख दंगे के आरोपोंं के चलते ही छोड़ना पड़ा था. शिकायत में कहा गया था कि उन्होंने दिल्ली के रकाबगंज गुरुद्वारेे के सामने भीड़ को उकसाया, जिससे वहां आगजनी हुई और दो सिखों को मार दिया गया. हालांकि, कमलनाथ इन सभी आरोपों को झूठा बताते रहे हैं.
लेकिन, अपराधियों को गले लगाने में भाजपा भी पीछे नहीं
कमलनाथ को निशाने पर ले रही भारतीय जनता पार्टी की भी हकीकत जान लीजिए. उसके करीब 36 फीसदी यानी 1765 सांसद और विधायक ऐसे हैं, जो कुल मिलाकर 3045 मामलों में ट्रायल का सामना कर रहे हैं. इनकी संख्या सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में है, जहां पर 248 सांसदों और विधायकों पर कुल 539 मामलों में ट्रायल चल रहा है. ये आंकड़े खुद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए थे. कांग्रेस इन आंकड़ों को लेकर बीजेपी की आलोचना करती रही है, लेकिन कमलनाथ का बयान देखकर अब वो चुप रह जाए.
चुनाव की दहलीज पर खड़े मध्य प्रदेश में कमलनाथ के बयान के बाद अपनी साफ छवि के कारण कांग्रेस के टिकट पर दावेदारी कर रहे उसके नेेेेता शायद मायूस हो जाएं. ये भी हो सकता है कि राज्य में पैसे और बाहुबल के भरोसे टिकट की उम्मीद लगाए कुछ कांग्रेसियों का मनोबल बढ़ जाए. लेकिन असली दारोमदार उस जनता के हाथ में है, जिसे 28 नवंबर को वोट देना है. क्या वो कमलनाथ के इस बयान को राजनीतिक मजबूरी के रूप में देखेगी. शायद नहीं. नेता चुनाव जीतने की मजबूरी गिनाते हुए राजनीति के अपराधीकरण का कितना ही ताकतवर तर्क पेश करें, जनता ने कभी इसे जायज नहीं माना है. चुनाव के टिकट देना किसी भी पार्टी के पतली रस्सी पर चलने जैसा होता है, लेकिन कमलनाथ ने विवादास्पद बयान देकर पार्टी को रस्सी पर चढ़ने से पहले ही गिरा दिया है. उनका ये बयान न कांग्रेस के नेताओं को पसंद आएगा, न ही जनता को. और बीजेपी तो बैठी ही है तलवार में धार करके.
कमलनाथ के बयान का वीडियो और उसके बाद बवाल कुछ ऐसा रहा:
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