राम मंदिर पर अध्यादेश से पहले अयोध्या में देखने लायक होगा योगी का दिवाली 'गिफ्ट'
अयोध्या पर अध्यादेश की मांग जोर पकड़ चुकी है. अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट के रवैये से खफा योगी आदित्यनाथ का कहना है कि दिवाली पर वो खुशखबरी देने वाले हैं. खुशखबरी क्या है ये तो नहीं मालूम लेकिन दिवाली की तैयारी जबरदस्त है.
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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुशखबरी लेकर अयोध्या जाने की बात कही है. योगी आदित्यनाथ ये खुशखबरी अयोध्या में दिवाली के मौके पर देने वाले हैं. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद योगी आदित्यनाथ अयोध्या में एक बार दिवाली मना चुके हैं - और एक बार मथुरा में होली भी खेल चुके हैं. अब ये दूसरी दिवाली की तैयारी चल रही है. वैसे इस बार की दिवाली कुछ ज्यादा ही खास होने वाली है.
अयोध्या में सरकारी दिवाली इस बार ऐसे दौर में मनायी जा रही है जब राम मंदिर को लेकर राजनीतिक हवाएं काफी तेज गति पकड़ चुकी हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी नेताओं के साथ साथ हिंदू संगठनों के नेता राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं. अयोध्या केस में सुनवाई जनवरी 2019 से शुरू होने वाली है.
कौन सी खुशखबरी मिलेगी?
जब से अयोध्या मामले की जनवरी से सुनवाई की खबर आयी है, योगी आदित्यनाथ का लगातार बयान आ रहा है. योगी आदित्यनाथ ने सबरीमला मंदिर पर फैसले का हवाला देते हुए लोगों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए फैसले का आग्रह किया था. ये तो कहते ही रहे हैं कि अयोध्या में राम मंदिर बन कर ही रहेगा - लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा जल्द सुनवाई की मांग खारिज किये जाने से वो कुछ ज्यादा ही खफा नजर आ रहे हैं. योगी का कहना है कि न्याय में देर होने पर अंधेरा छाने जैसा लगने लगता है.
दिवाली पर नये रिकॉर्ड बनाने की तैयारी
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजयदशमी पर तो राम मंदिर पर सरकार को कानून बनाने की सलाह तो दी ही थी, फिर से संघ के नेता मनमोहन वैद्य ने सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए जल्द से जल्द जमीन अधिग्रहण की मांग की है. आज तक से बातचीत में योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'यह हमारे लिए दुख की घड़ी है... जनभावना का सम्मान होना चाहिए था... लेकिन अध्यादेश मामले पर हमें धैर्य रखने की जरुरत है... दिवाली पर मैं खुशखबरी लेकर जा रहा हूं. जल्द ही कुछ अच्छा होने वाला है.' हालांकि, योगी आदित्यनाथ ने ये नहीं बताया है कि अयोध्या में वो कौन सी खुशखबरी देने वाले हैं, लेकिन योगी आदित्यनाथ का ये बयान राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है.
योगी आदित्यनाथ बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे का बड़ा चेहरा हैं और अपनी हिंदुत्व की कट्टर छवि के साथ ही वो देश भर में बीजेपी के लिए वोट मांगने जाते हैं. कर्नाटक चुनाव के वक्त यूपी में आंधी-तूफान से तबाही के चलते बीच में ही कार्यक्रम रद्द कर उन्हें लौटना पड़ा था. अभी अभी योगी आदित्यनाथ छत्तीसगढ़ पहुंचे तो मुख्यमंत्री रमन सिंह ने उनका पैर छूकर स्वागत किया था.
ये योगी आदित्यनाथ हैं जो लगातार अयोध्या से कनेक्ट रहते हैं. पिछले साल दिवाली के बाद हुए निकाय और पंचायत पोल के लिए चुनाव प्रचार की शुरुआती भी योगी ने अयोध्या से ही की थी. अब तो 2019 की तैयारी ही चल रही है - और अयोध्या मामले के जोर पकड़ने की असल वजह भी यही है.
नये रिकॉर्ड की तैयारी
पिछले साल के मुकाबले इस बार अयोध्या की दिवाली का जश्न तीन गुणा ज्यादा भव्य होने वाला है. पिछली बार ये आयोजन एक दिन का रहा जबकि इस बार तीन दिन का फंक्शन तय हुआ है- 4, 5 और 6 नवंबर.
अयोध्या में दिवाली के कार्यक्रम तो तकरीबन पिछले साल की ही तरह होंगे, लेकिन इस बार दीयों की संख्या ज्यादा होगी. पिछली बार एक साथ 1.71 लाख दीये जलाकर रिकॉर्ड बनाया गया था. इससे पहले हरियाणा के सिरसा में 23 सितंबर 2016 को 1,50,009 दीये जलाने का रिकॉर्ड था.
अयोध्या की ये दिवाली नये रिकॉर्ड बनाने जा रही है. इस बार तीन लाख दीये जलाने की योजना है और उसी हिसाब से सारी तैयारियां चल रही हैं. दिवाली के मौके पर दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला भी खास मेहमान के तौर पर शामिल होने वाली हैं. इस दौरान दक्षिण कोरिया की रानी ह्वांग ओक के मेमोरियल की नींव भी रखी जाने वाली है. बताते हैं कि राजकुमारी सुरीरत्ना अयोध्या छोड़ कर दक्षिण कोरिया चली गयी थीं और वहीं के राजा से उनकी शादी हो गयी.
बात इतनी ही नहीं है. खुद योगी आदित्यनाथ भी दिवाली के मौके पर अयोध्या में 16 फीट चौड़ा दीया जलाने वाले हैं - जो अपनेआप में नायाब होगा.
अब सवाल ये है कि दिवाली के बाद क्या होने वाला है? संसद का शीतकालीन सत्र भी विधानसभा चुनावों के बाद ही शुरू होगा - और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का कोई भी कदम उसी दौरान देखने को मिलेगा. अयोध्या पर योगी आदित्यनाथ के अलावा कुछ बीजेपी नेताओं के बयान जरूर आ रहे हैं लेकिन मोदी कैबिनेट की ओर से अभी खामोशी भरा रुख अख्तियार किया हुआ दिख रहा है. संतों ने तो मंदिर निर्माण की घोषणा कर ही डाली है, फिर भी उन्हें उस सवाल के जवाब का इंतजार है - मंदिर अब नहीं बनेगा तो कब बनेगा?
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