प्रभु श्रीराम की अटकी फाइल, अखिलेश की जगह योगी बने 'भरत'
जिस योजना की शुरुआत करने से अखिलेश यादव चूक गए थे, अब सीएम योगी आदित्यनाथ ने उसका आगाज कर दिया. सरयू नदी के किनारे बने राम की पौड़ी में 1,71,000 दीपक प्रज्ज्वलित किए.
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सरकारी अफसरों की लालफीताशाही किसे न परेशान कर दे. यूपी में प्रभु श्रीराम की फाइल तक अटका दी गई. चौंकिए नहीं, यह हकीकत है. आज अगर प्रभु श्रीराम की फाइल न अटकी होती तो अयोध्या में दीपोत्सव यूपी के सीएम योगी की जगह एक्स सीएम अखिलेश यादव मना चुके होते. वह भी दो साल पहले.
2015 में अखिलेश सरकार ने अयोध्या में दिवाली की परम्परा को पुनर्जीवित करने का प्लान बनाया था. लेकिन अफसरों ने बेड़ा गर्क करने में कोई कोर-कसर न छोड़ी. और प्रभु श्रीराम की फाइल भी मेज पर पड़ी धूल फांकती रही. अब उसी फाइल और प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाकर सीएम योगी छोटी दिवाली मनाने अयोध्या पहुंच गए. वे प्रभु श्रीराम के छोटे भाई भरत की तरह ही अपने बड़े भाई का स्वागत करने का पुण्य हासिल कर रहे हैं. फाइल न अटकी होती तो यह मौक़ा अखिलेश यादव को मिला होता.
अखिलेश के जमाने की तैयारी
अयोध्या में प्रभु श्रीराम के लौटने के बाद दीपोत्सव मनाया गया था. लेकिन अब अयोध्या धाम में वो हर्षोल्लास और रौशनी देखने को नहीं मिलती थी, जैसा कि लोगों को उम्मीद हुआ करती थी. विडम्बना देखिए जिस शहर के कारण पूरे विश्व में दिवाली मनाई जाती है, उसी शहर में न तो उस तरह की रौशनी देखने को मिलती थी और न ही वह उल्लास.
जहां दिवाली का जन्म हुआ वहीं अंधेरा!
इसी को देखते हुए 2015 में तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव की सरकार ने दिवाली का पर्व विश्व स्तर पर मनाने की तैयारी की थी. इसके लिए अखिलेश यादव ने निर्देश भी दे रखे थे. लेकिन सरकारी विभागों ने भगवान श्रीराम की भी फाइल ऐसी लटकाई कि अयोध्या में दिवाली एक बार फिर फीकी हो गई थी. इसके बाद फैसला हुआ कि इस कार्यक्रम को 2016 में आयोजित किया जाएगा. लेकिन इस बार यह कार्यक्रम चुनाव नजदीक होने और समाजवादी पार्टी की आंतरिक कलह की वजह से कभी प्राथमिकता न बन पाया.
क्या थी योजना
तत्कालीन सीएम अखिलेश की योजना के अनुसार भरत कुंड पर भरत मिलाप का आयोजन कर, दूसरे दिन अयोध्या में दीपावली का भव्य आयोजन होना था. यह कार्यक्रम तीन दिन चलना था. लेकिन लालफीताशाही में भगवान राम की फाइल ऐसी अटकी की कार्यक्रम होना तो दूर, अयोध्या में न तो उस तरह की सजावट दिखी और न ही विश्वस्तर के कार्यक्रम का दूर-दूर तक कोई नामो-निशान दिखा. अगर भगवान राम की फाइल सरकारी अफसरों के मेजों से आगे बढ़ गई होती तो यह कार्यक्रम 2016 में शुरू हो गया होता.
टूर ऑपरेटर्स भी थे उत्साहित
चबूतरे पर रामकथा सुनते लोग सहज दिखाई दे जाते हैं यहां
इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ टूर ऑपरेटर्स ने दीपावली पर दुनिया भर से टूरिस्टों को आकर्षित करने के उद्देश्य से स्थानीय एनजीओ श्री अवध बालक समाज के सहयोग इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की थी. इसके लिए इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ टूर ऑपरेटर्स के यूपी उत्तराखंड के अध्यक्ष प्रतीक हीरा के नेतृत्व में टीम ने एक डीपीआर बनाकर सीएम अखिलेश को भेजा भी था. और उस समय इस आयोजन पर कुल एक करोड़ रूपये खर्च होने थे. अखिलेश यादव ने इस डीपीआर पर अपनी सहमति देते हुए इस कार्यक्रम के आयोजन के निर्देश भी दे दिए थे. लेकिन यह फाइल अन्य फाइलों की तरह ही सचिवालय के मेजों पर भटकती रही और वहां से बाहर आकर कभी मूर्त रूप न ले सकी.
हर साल होना था प्रभु श्रीराम का राज्याभिषेक
इस कार्यक्रम के बारे में कनक भवन के महंत योगेन्द्र नारायण ने बताया कि- 'हमेशा से दीपावली की शाम कनक भवन में मुख्य कार्यक्रम आयोजित होता है. इस दौरान आरती पूजन के बाद भगवान का राज्याभिषेक होता है. अखिलेश सरकार की योजना थी कि इस परम्परा को बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाया जाए ताकि देश-विदेश से आकर टूरिस्ट प्रभु श्रीराम का राज्याभिषेक देख सकें.'
दिवाली के दिन ही हुआ था श्रीराम का राज्याभिषेक
हैलिकॉप्टर से पधारे राम
योगेन्द्र नारायण बताते हैं कि- 'एक मत के अनुसार, 'भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ था और राज्याभिषेक के उत्सव में दीप जलाए गए थे. घर-बाजार सजाए गए थे. गलियां साफ-सुथरी की गई थीं. मिठाइयां बांटी गई थीं. तभी से दीपावली मनाई जा रही है.' वे बताते हैं कि- 'एक अन्य किवदंती के अनुसार, रावण को मारने के बाद भगवान राम इसी दिन अयोध्या आए थे. उनके आगमन की खुशी में नगरवासियों ने घी के दिए जलाए. उसी दिन से हर वर्ष कार्तिक अमावस्या को दीपावली का त्योहार मनाया जाता है.'
योगी ने की शुरुआत
जिस योजना की शुरुआत करने से अखिलेश यादव चूक गए थे, अब सीएम योगी आदित्यनाथ ने उसका आगाज कर दिया. सरयू नदी के किनारे बने राम की पौड़ी में 1,71,000 दीपक प्रज्ज्वलित किए. साथ ही अयोध्या के सभी घाटों पर दीप प्रज्ज्वलित कर उन्हें रोशन किया. और एक भव्य रामलीला का मंचन हुआ.
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