नक्सलियों को क्रांतिकारी कहकर कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में खुदकुशी की है
अभी छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में शहीद हुए जवान और पत्रकार के परिजनों के आंसू सूखे भी नहीं होंगे, कि यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने उनके जख्मों को कुरेदने वाला बयान दे दिया है.
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हाल ही में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले में एक सब इंस्पेक्टर, एक कॉन्स्टेबल और डीडी न्यूज के एक कैमरामैन अच्युतानंद साहु शहीद हो गए थे. इसके बाद पूरे देश में नक्सली हिंसा की निंदा की गई थी और कई जगह कैंडल मार्च निकाला गया था. अभी उस हमले में मारे गए लोगों के परिजनों के आंसू सूखे भी नहीं होंगे, कि कांग्रेस नेता राज बब्बर ने उनके जख्मों को कुरेदने वाला बयान दे दिया है. जिन नक्सलियों ने दो जवानों और एक पत्रकार की जान ले ली, उन्हें राज बब्बर क्रांतिकारी कह रहे हैं. राज बब्बर के इस बयान ने कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया है और भाजपा अपने ऊपर आरोप लगाने का मौका थाली में सजाकर दे दिया है.
जिन नक्सलियों ने दो जवानों और एक पत्रकार की जान ले ली, उन्हें राज बब्बर ने क्रांतिकारी कहा है.
नक्सलियों को कहा क्रांतिकारी
रायपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने एक सवाल के जवाब में कहा- बंदूकों से फैसले नहीं होते हैं. उनके सवालों का जवाब देना पड़ेगा. और उनको डरा कर या लालच देकर क्रांति के जो लोग निकले हुए हैं उनको रोक नहीं सकते हैं. जब किसी का अधिकार छीना जाता है, जब ऊपर के लोग उनका अधिकार छीनते हैं तो वो अपना अधिकार पाने के लिए अपने प्राणों की आहूति देते हैं. वो लोग गलत भी करते हैं. न उनकी बंदूक से हल निकलेगा, ना इधर की बंदूक से हल निकलेगा, उनके अधिकार देने से हल निकलेगा. जिनका अधिकार छीना गया है, उनके साथ बैठना पड़ेगा और जो लोग अपने रास्ते से भटक गए हैं, उन्हें वापस लाना होगा.
भाजपा हुई हमलावर
राज बब्बर के इस तरह के बयान के बाद ये तो होना लाजमी ही था. भाजपा ने अब राज बब्बर समेत पूरी कांग्रेस पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा है कि राजनीतिक फायदे के लिए कांग्रेस पार्टी हमेशा से ही माओवादियों के प्रति सहानुभूति दिखाती रही है. भले ही पहले नक्सलियों के क्रांतिकारी कहने के बाद राज बब्बर ने उन्हें गलत कह रहे हों, लेकिन नक्सलियों के प्रति उनकी सहानुभूति साफ दिखती है, जिसका फायदा फायदा उठाएगी ही.
'हाथ' से निकल न जाए बाजी
यूं तो भाजपा में बहुत अनुशानस है, लेकिन टिकट बंटवारे के बाद से ही छत्तीसगढ़ भाजपा में असंतुष्ट लोग खुलकर सामने आ रहे हैं, जिससे कांग्रेस की राह आसान होती दिख रही थी. छत्तीसगढ़ में नक्सल एक बड़ी समस्या हैं और उस पर ध्यान देना जरूरी है, लेकिन राजबब्बर का बयान नक्सलियों से निजात दिलाने के बजाए उनका समर्थन करने वाला है. ऐसे में हो सकता है कि कांग्रेस के हाथ आती दिख रही बाजी हाथ से निकल जाए.
मायावती भी नक्सलियों की हमदर्द
ऐसा नहीं है कि सिर्फ राज बब्बर ही नक्सलियों का भला सोच रहे हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती भी नक्सलियों को गलत नहीं मानती हैं. वह पहले ही बयान दे चुकी हैं कि बड़े-बड़े वाद कर के भाजपा और कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुईं, लेकिन उन्होंने जनता के हितों का ध्यान नहीं रखा. वह बोलीं कि नक्सली भटक गए हैं और अगर एक अच्छी सरकार बनेगी तो वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ेंगे. वह कहती हैं कि दलित और आदिवासी विरोधी सरकारों की वजह से ही देश में नक्सल समस्या खड़ी हुई है. उनका इशारा सीधे यही था कि अब बसपा की सरकार को मौका दिया जाना चाहिए, ताकि छत्तीसगढ़ के हालात सुधारे जा सकें. यानी सीधे-सीधे कहा जाए तो वह भी नक्सलियों की हमदर्द बन कर राजनीति की रोटियां सेकने की तैयारी में हैं.
छत्तीसगढ़ में 12 और 20 नवंबर को चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले ही वहां नक्सली हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं. नक्सली हमले भी हो रहे हैं. यहां तक कि नक्सलियों ने लोगों के धमकाना तक शुरू कर दिया है कि वह चुनाव में हिस्सा ना लें. जहां एक ओर नक्सली वहां के लोगों में डर फैला रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सुरक्षाबल नक्सल विरोधी अभियान चला रहे हैं. इनमें बहुत से नक्सली मार गिराए गए हैं और बहुत से नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है. जहां एक ओर नक्सलियों से जनता की रक्षा के लिए सेना के जवान आए दिन मौत का सामना करते हैं, वहीं दूसरी ओर राज बब्बर ने महज राजनीतिक फायदे के लिए उन्हें क्रांतिकारी का तगमा दे दिया है. लेकिन राज बब्बर का ये बयान फायदे से अधिक नुकसानदायक लग रहा है, जो आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है.
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