बिग बी को नहीं चाहिए पेंशन, क्या करे सरकार
एक भारी भरकम वीआईपी पेंशन स्कीम लाने से पहले उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार को चाहिए कि पहले वह अपने राज्य में रह रहे लोगों की कमाई, वहां की गरीबी, बच्चों में कुपोषण, बेरोजगारी जैसे बुनियादी ढांचे पर नजर डाले.
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देश में एक तरफ जहां साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का क्रेज चल रहा है वहीं उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव सरकार ने राज्य का सबसे सम्मानित पुरस्कार पाने वालों के लिए देश की सबसे बड़ी पेंशन स्कीम की घोषणा की है. जी हां, उत्तर प्रदेश का यश भारती पुरस्कार पा चुके लोगों को राज्य सरकार 50,000 रुपये प्रति माह पेंशन देगी.
इस पुरस्कार की शुरुआत 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन को यह सम्मान देकर की थी और अभी तक अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और अभिषेक बच्चन समेत 154 लोगों को यह पुरस्कार दिया जा चुका है. आमतौर पर यह पुरस्कार उत्तर प्रदेश के मूल निवासियों को प्रदान किया जाता है जो फिल्म, कला, साहित्य और खेल की दुनिया में अपना विशेष योगदान देते हैं.
अखिलेश सरकार की इस घोषणा के बाद से यह देश की सबसे बड़ी पेंशन स्कीम बन गई है. गौरतलब है कि देश में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को जहां बीस हजार रुपये की पेंशन मिल रही है. वहीं, वरिष्ठ आईएएस अफसरों की भी पेंशन इस राशि से काफी कम है. इसके अलावा केन्द्र सरकार की जून 2015 में लांच की गई अटल पेंशन योजना के तहत प्रति माह 1000 से 5000 रुपये पेंशन का प्रावधान किया गया है.
राज्य सरकार की इस मासिक पेंशन योजना की घोषणा पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए अभिनेता अमिताभ बच्चन ने बयान जारी कर सूबे की सरकार को धन्यवाद दिया. बहरहाल बच्चन ने अपना और अपने परिवार के अन्य सदस्यों को मिलने वाली इस पेंशन को नकारते हुए कहा है कि यह पैसा राज्य में किसी जरूरत मंद और गरीब आदमी को दिया जाना चाहिए.
लिहाजा, फिल्म अभिनेता और उनके परिवार का फैसला सिर आंखों पर. राज्य सरकार की उत्तर प्रदेश के विशिष्ठ पुरस्कार प्राप्त करने वालों को देश की सबसे बड़ी पेंशन देने की कोशिश भी सिर आंखों पर.
अब जब यह पुरस्कार पाने वाला पेंशन नहीं भोगना चाहता तो सूबे के लिए यह जानना जरूरी है कि वहां जरूरत मंद और गरीब कौन है जिसे देश की सबसे बड़ी पेंशन सुविधा मिलनी चाहिए. बतौर उदाहरण कुछ तथ्य पेश हैं जिन पर सरकार गौर कर सकती है और इस धन का उचित इस्तेमाल कर सकती है-
- 2013-14 में उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय मात्र 33,269 रुपये रही.
- रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश की लगभग 40 फीसदी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है.
- प्रदेश में देश की 16 फीसदी आबादी रहती है लेकिन देश की जीडीपी में उत्तर प्रदेश का योगदान मात्र 6 फीसदी है.
- साल 1960 से अभी तक प्रदेश की विकास दर लगातार राष्ट्रीय औसत विकास दर से कम रही है.
- यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक यदि भारत में विश्व के सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चेे हैं तो उत्तर प्रदेश इस मामले में सबसे ऊपर है.
- उत्तर प्रदेश में हर साल लगभग 3.8 लाख बच्चे कुपोषण, डायरिया जैसी बीमारी के कारण पांच साल से पहले अपनी जान गंवा देते हैं.
- साल 2011 के आंकड़ों के मुताबिक घरों में शौचालय की सर्वाधिक कमी उत्तर प्रदेश में है.
- प्रदेश में बिजली की समस्या विकराल है. जहां शहरी इलाकों में 10 घंटों से ज्यादा की कटौती का सामना करना पड़ता है, वहीं ग्रामीण इलाकों में अभी भी कई क्षेत्रों में बिजली नहीं पहुंची है और जहां पहुंची हैं वहां भी सप्लाई मात्र कुछ घंटों तक दी जा रही है.
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