क्या है पाकिस्तान की 'K2' साजिश...
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने ISI के K2 मिशन को निरंकारियों पर हुए हमले की वजह बताया है. आखिर क्या खास बातें हैं इस साजिश की...
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अमृतसर में निरंकारी सत्संग पर हुए ग्रेनेड हमले ने पूरे पंजाब को हिलाकर रख दिया है. रविवार दोपहर को अदलीवाल गांव में स्थित निरंकारी भवन पर हुआ यह हमला एक आतंकी हमला बताया जा रहा है, जिसमें 3 लोगों की मौत हो चुकी है और 19 लोग बुरी तरह से घायल हो गए हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने इसे K2 साजिश का हिस्सा बताया है. उन्होंने कहा है कि काफी समय के बाद शांति भंग करने के लिए ऐसा कोई हमला किया गया है. उन्होंने इसके पीछे आईएसआई द्वारा संरक्षण पाने वाले खालिस्तानी या कश्मीरी आतंकी समूहों का हाथ होने की आशंका जताई है. मामले की जांच एनआई ने अपने हाथ में ले ली है और आईएसआई के K2 मिशन से जोड़ते हुए ही इस हमले की जांच की जा रही है. चलिए आपको बताते हैं क्या है पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का K2 मिशन-
अमृतसर हमले में 3 लोगों की मौत हो चुकी है और 19 लोग बुरी तरह से घायल हो गए हैं.
क्या है K2 मिशन?
पाकिस्तान के K2 मिशन का सीधा सा मतलब है कश्मीर और खालिस्तान. कश्मीर के जरिए तो पाकिस्तान की ओर से भारत में आतंकी घटनाएं को अंजाम दिया ही जाता था, अब पाकिस्तान की योजना है कि पंजाब में खालिस्तानी आतंकियों को दोबारा सक्रिय किया जा सके. कश्मीर और पंजाब दोनों ही राज्य पाकिस्तान की सीमा से सटे हुए हैं, इसलिए इन्हें निशाना बनाना भी आसान है. इस तरह भारत के खिलाफ दोहरा मोर्चा बनाने की कोशिश की जा रही है. इसीलिए आईएसआई के इशारे पर काम करने वाला तहरीक-ए-आजादी संगठन 2020 तक कश्मीर के साथ-साथ खालिस्तान की ठंडी पड़ चुकी आग को भी भड़काना चाहता है. पाकिस्तान के इशारे पर पंजा साहिब की परिक्रमा के दौरान सिख चरमपंथियों द्वारा 'सिख रेफरेंडम 2020' के झंडे तक लहराने की घटना पहले ही सामने आ चुकी है.
कश्मीर पर कब्जा करने की नीयत से लगातार पाकिस्तान की तरफ से हमले और आतंकी घुसपैठ होती रहती है, लेकिन भारतीय सेना उनका मुंहतोड़ जवाब दे रही है. कश्मीर में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई K2 मिशन पर फोकस कर रही है. यानी कश्मीर के बाद अब खालिस्तान मूवमेंट को दोबारा भड़काने की कोशिश, ताकि भारत के खिलाफ दोहरा मोर्चा लाया जा सके. कुछ समय पहले ही आर्मी चीफ बिपिन रावत ने भी कहा था कि बाहरी ताकतों के जरिए एक बार फिर से पंजाब में आतंकवाद को जिंदा करने की साजिश रची जा रही है. रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा भी ये मान चुके हैं कि पाकिस्तान की नजर कश्मीर के साथ-साथ अब पंजाब पर भी टिकी है.
खालिस्तानी आतंकियों को पनाह देता पाकिस्तान
भारत में आतंकी हमलों के सरगना हाफिज सईद को पाकिस्तान में पनाह मिली हुई है, ये बात किसी से छुपी नहीं है. यहां तक कि खालिस्तानी आतंकी गोपाल सिंह चावला को भी आतंकी हाफिज के साथ देखा गया है. इन सब से भी पाकिस्तान के नापाक मंसूबे साफ होते हैं कि किस तरह वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई भारत के खिलाफ गतिविधियां चला रही है. इन आतंकियों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जाता है और हाल ही में हुआ अमृतसर हमला भी इसी की एक कड़ी मालूम पड़ता है.
खालिस्तानी आतंकी गोपाल सिंह चावला की आतंकी हाफिज के साथ नजदीकी 'K2 मिशन' का इशारा करता है.
खालिस्तानी मूवमेंट भड़काने की कोशिश
अमृतसर में निरंकारी सत्संग पर हुए हमले ने 1980 के दशक के उस पंजाब की याद दिला दी है, जब निरंकारियों और सिखों के बीच हुई हिंसा ने खालिस्तान मूवमेंट को रौद्र रूप दे दिया था. ये वही वक्त था जब पंजाब में आतंकवाद चरम पर जा पहुंचा था. निरंकारियों ने सिखों के गुरुग्रंथ साहिब को गुरु मानने से इनकार कर दिया और जीवित गुरु मानने की बात कही. बूटा सिंह, अवतार सिंह, बाबा गुरबचन सिंह, बाबा हरदेव सिंह, माता सविंदर हरदेव और माता सुदीक्षा निरंकारियों के 6 गुरु हुए. निरंकारी गुरु अवतार सिंह की अवतारवाणी और युग पुरुष जैसी रचनाओं पर सिख धर्म और सिख गुरुओं की आलोचना के आरोप लगे और 13 अप्रैल 1978 को निरंकारी मिशन के एक कार्यक्रम के दौरान निरंकारियों और सिखों के बीच हिंसा हुई. इस संघर्ष में 16 लोग मारे गए, जिसके बाद पंजाब में आतंकवाद का खूनी दौर शुरू हो गया. अब अमृतसर में हुए हमले के पीछे खालिस्तानी आतंकियों का हाथ बताया जा रहा है और उसी से ये अनुमान भी लगाया जा रहा है कि एक बार फिर से पंजाब में आतंकवाद फैलाने की कोशिश की जा रही है.
कश्मीरी हमलों से मिलता-जुलता पैटर्न
निरंकारी भवन पर हुए हमले का पैटर्न कश्मीर में होने वाले हमलों से मिलता-जुलता है, जो आईएसआई के K2 मिशन की ओर इशारा करता है. जिस तरह से ग्रेनेड का इस्तेमाल निरंकारी सत्संग पर हमला करने के लिए किया गया था, वैसे ग्रेनेड कश्मीर में सेना पर हमला करने के लिए इस्तेमाल होते हैं. वहीं दूसरी ओर, जिस तरह वहां हमला कर के आतंकी भाग जाते हैं, कुछ वैसा ही निरंकारी सत्संग पर हुए हमले में भी देखने को मिला. हमला करने वाले भी कोई नौसिखिए नहीं थे, बल्कि उन्होंने बाकायदा ट्रेनिंग ली थी. ग्रेनेड को 35-40 मीटर की दूरी से ऐसे फेंकना चाहिए कि वह 8-11 सेकेंड में लक्ष्य तक पहुंचे, ताकि अधिक से अधिक नुकसान हो सके. निरंकारी भवन पर हमले में आतंकियों ने भी करीब 32 मीटर की दूरी से ग्रेनेड फेंका जो जमीन पर गिरने के बाद ही फटा.
पंजाब में आतंकियों की घुसपैठ की जानकारी पंजाब पुलिस और सरकार को पहले से ही थी. खुफिया एजेंसियों ने पहले ही चेतावनी दे दी थी और पंजाब अलर्ट पर भी था, लेकिन बावजूद इसके आतंकी हमला हो जाना सरकार और पुलिस को कठघरे में खड़ा करता है. आतंकी जाकिर मूसा के पंजाब में देखे जाने की भी जानकारी दी गई थी और अब एनआईए की जांच मूसा को भी ध्यान में रखते हुए की जा रही है. वहीं विपक्षी पार्टियां पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को आड़े हाथों ले रही हैं. अमृतसर में हुआ ये हमला दिखाता है कि आईएसआई ने अपने K2 मिशन पर काम करना शुरू कर दिया है. साथ ही ये हमला ये भी दिखाता है कि पहले से चेतावनी मिलने के बावजूद पंजाब पुलिस इस हमले को रोक नहीं सकी, यानी सुरक्षा व्यवस्था में खामियां हैं, जिन्हें सुधारने की जरूरत है.
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