आक्रामक होकर मोदी नोटबंदी का बचाव कर रहे हैं या कांग्रेस का घेराव
नोटबंदी को लेकर 8 नवंबर को राजनीतिक घमासान तो आसन्न है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आक्रामक हो जाने के आखिर क्या मायने हो सकते हैं?
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8 नवंबर को नोटबंदी लागू हुए साल भर पूरे हो रहे हैं. राजनीतिक दलों की तैयारियों को देखें तो नोटबंदी की सालगिरह पर बड़ा घमासान देखने को मिलने वाला है. मामला ज्यादा दिलचस्प इसलिए भी हो गया है कि क्योंकि उसके अगले ही दिन हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाने हैं.
कांग्रेस और विपक्षी दल नोटबंदी के विरोध में 'काला दिवस' मनाने का ऐलान कर चुके हैं. केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी ने जश्न मनाने का फैसला किया है - और वो उस दिन 'काला धन विरोधी दिवस' मनाने जा रही है.
राहुल गांधी ने नोटबंदी को लेकर देश भर में, खासकर चुनावी राज्यों में, बीजेपी को घेरने के लिए विरोध प्रदर्शन की तैयारी की है. चुनाव प्रचार के लिए हिमाचल पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी के बहाने कांग्रेस को खूब खरी खोटी सुनाई. मोदी का ये कदम क्या दिखलाता है? नोटबंदी का बचाव या कुछ और?
नोटबंदी के बहाने
तूफानी चुनावी दौरे पर निकले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी हर जगह नोटबंदी के बहाने मोदी सरकार को निशाना बना रहे हैं. नोटबंदी को लेकर सरकार कोघेरने के लिए राहुल गांधी ने इसी हफ्ते कांग्रेस महासचिवों और राज्यों के प्रभारियों की एक अहम बैठक भी बुलायी थी. 8 नवंबर को कांग्रेस की जिला और प्रदेश मुख्यालयों पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की भी तैयारी है.
'ये नोटबंदी नहीं...'
बीजेपी द्वारा नोटबंदी के जश्न मनाने पर राहुल गांधी का कहना है - 'मुझे समझ में नहीं आता 8 नवंबर को किस बात का जश्न होगा?' नोटबंदी और जीएसटी की तुलना टॉर्पीडो से करते हुए राहुल कहते हैं, 'एक टॉर्पीडो ने अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया, तो दूसरे ने उसे डुबो ही दिया. पहला टॉर्पीडो नोटबंदी का था, तो दूसरा ठीक तरीके से लागू नहीं की गई जीएसटी का.'
राहुल गांधी नोटबंदी और जीएसटी को लेकर हिमाचल प्रदेश और गुजरात दोनों जगह आक्रामक रुख अख्तियार किये हुए हैं. राहुल गांधी का कहना है कि सिर्फ चार-पांच बड़े उद्योगपतियों को छोड़ कर मोदी सरकार के फैसलों से सारे छोटे-बड़े कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं.
लेकिन सवाल ये है कि क्या कांग्रेस को इसका कोई फायदा मिल भी पाएगा?
इसी साल पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने बाकियों के अलावा नोटबंदी का मुद्दा भी जोर शोर से उठाया था. उसका असर न तो यूपी में दिखा न कहीं और. पंजाब में कांग्रेस जरूर सरकार बना पायी लेकिन वहां की परिस्थितियां बिलकुल अलग थीं. चार राज्यों में तो बीजेपी ने ही सत्ता पर कब्जा किया. तौर-तरीकों पर सवाल उठाये गये वो बात अलग है.
यूपी और उत्तराखंड में जीत को बीजेपी ने एक तरीके से नोटबंदी पर मुहर भी माना गया था. मगर, जरूरी नहीं कि जो नुस्खा यूपी और उत्तराखंड में चल गया वो हिमाचल और गुजरात में भी उतना ही कारगर हो. ये बात दोनों पार्टियों पर लागू होती है - कांग्रेस पर भी और बीजेपी पर भी.
वैसे जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल में नोटबंदी के बहाने भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला है उसे क्या समझा जाये?
बहाने से नोटबंदी
जिस तरह राहुल गांधी ने बीजेपी द्वारा नोटबंदी का जश्न मनाने पर सवाल उठाया प्रधानमंत्री मोदी ने भी वही तरीका अपनाया. कांग्रेस द्वारा 8 नवंबर को काला दिवस मनाये जाने को लेकर मोदी बोले, "मैं इससे हैरान हूं. मेरा क्या गुनाह है? मैंने सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की."
नोटबंदी पर आक्रामक मोदी...
मोदी ने लोगों को समझाने की कोशिश की कि देश में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है और उसके खिलाफ कार्रवाई कर वो कांग्रेस के आंख की किरकिरी बन गये हैं.
मोदी ने कहा, "कांग्रेस को पता होना चाहिए कि देश की जनता ने मुझे 2014 में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए दिल्ली के सिंहासन पर बैठाया है. मौज करने, अपने परिवार का भला करने, अपने दोस्तों का भाग्य बनाने के लिए नहीं... भारत का भाग्य बनाने के लिए बनाया है." फिर जोर देकर कहा, "मैं सरदार पटेल का चेला हूं... मैं कांग्रेस के विरोध-प्रदर्शनों से झुकने वाला नहीं हूं. भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई से मुझे कोई रोक नहीं सकता."
राहुल गांधी ने जहां नोटबंदी को टॉर्पीडो बताया वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को दीमक बता डाला. हिमाचल के लोगों से तीन-चौथाई बहुमत मांगते हुए मोदी ने कहा कि दीमक का पूरा सफाया करने की जरूरत है.
नोटबंदी के खिलाफ आरजेडी नेता लालू प्रसाद ने न सिर्फ काला दिवस बल्कि श्राद्ध दिवस के रूप में मनाने की बात कही है. लालू का दावा है कि नोटबंदी के खिलाफ 8 नवंबर को 18 विपक्षी दलों के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरेंगे.
बहाना तो नोटबंदी का बचाव ही लगता है, लेकिन इसी दरम्यान प्रधानमंत्री मोदी की एक बात और गौर करने लायक है, "समय आ गया है जब गरीबों को वो सब कुछ लौटाया जा सके जो उनसे लूटा गया था. मैं ऐसे हालात पैदा करने जा रहा हूं कि कांग्रेस के नेताओं के लिए अपनी बेनामी संपत्तियों को हासिल करना मुश्किल हो जाएगा."
तो क्या प्रधानमंत्री के इस बयान में नोटबंदी की सालगिरह पर ऐसे ही किसी और सर्जिकल स्ट्राइक का इशारा है क्या?
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