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Updated: 30 नवम्बर, 2017 02:00 PM
शुभम गुप्ता
शुभम गुप्ता
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अन्ना हज़ारे...

एक ऐसा नाम जिसने सैकड़ों बार आंदोलन कर अच्छी अच्छी सरकारों को हिला कर रख दिया. आप लोगों को 2011 का अन्ना आंदोलन तो याद ही होगा. जब अन्ना के साथ सारा देश इस आंदोलन में जुड़ गया था. देश के कोने-कोने से एक ही आवाज़ आती थी.... मै अन्ना हूं. अन्ना हजारे एक बार फिर जन लोकपाल बिल और किसानों के मुद्दे पर दिल्ली में आंदोलन करने जा रहे हैं. इसकी शुरुआत 23 मार्च 2018 यानी शहीद दिवस पर करेंगे.

मगर क्या इसके परिणाम 2019 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेंगे ? अन्ना ने महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि की एक सभा में इसका एलान किया. उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन मुद्दों पर लेटर लिखा था, जिसका जवाब अब तक नहीं मिला है. एक वक्त था जब 2011 में हुए अन्ना आंदोलन का विपक्ष की हर पार्टी ने खूब फायदा उठाया. भूखे अन्ना थे, मगर फायदा राजनैतिक पार्टियों ने उठाया. बीजेपी के नेताओं ने भी अपनी कई सभाओं में अन्ना आंदोलन का ज़िक्र किया. परिणाम स्वरुप 2014 के चुनाव में लोगों का गुस्सा फूटा.

नतीजा, देश में कई सालों के बाद एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी. मगर लोकपाल बिल का क्या हुआ किसी ने सुध नहीं ली. देश की राजधानी दिल्ली में 3 लाख किसान आंदोलन करते हैं. मगर सरकार चुप रहती है. यही नहीं अन्ना आंदोलन से एक पार्टी भी बनी. जिसका नाम है आम आदमी पार्टी. दिल्ली में भी लोगों का गुस्सा कांग्रेस सरकार पर फूटा. आम आदमी पार्टी की सरकार को भारी बहुमत के साथ जीत मिली.

Anna Hazare, Anti corruptionक्या 2011 का करिश्मा दोहराएंगे अन्ना हजारे?

इस बार का अन्ना आंदोलन भी 2011 कि तरह विशाल होगा ? क्या इस बार भी लाखों की तादाद में लोग अन्ना का साथ देंगे ? अन्ना की टोपी पर एक वक्त में लिखा होता था मैं अन्ना हूं. इसका इस्तेमाल अब आम आदमी पार्टी करती है और 'मैं अन्ना हूं' बदलकर अब मैं अरविंद हूं हो गया है. क्या वो सब फिर से होगा ? क्या इस बार भी केंद्र सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा इसी तरह फूटेगा ? क्या पिछली बार की ही तरह इस बार भी देश के बड़े सुपरस्टार अन्ना के मंच पर मौजूद होंगे ? शायद ही ये सब चीज़ें आपको इस आंदोलन में दिखाई दें.

क्योंकि अन्ना आंदोलन का हर शख्स आज अपनी ज़िदगी में सेट हो चुका है. किरण बेदी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक. जनरल वीके सिंह से लेकर कुमार विश्वास तक. हर कोई. किरण बेदी आज उपराज्यपाल हैं, तो जनरल वीके सिंह सांसद और मंत्री. अरविंद केजरीवाल आज दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, तो कुमार विश्वास आज नहीं तो कल राज्यसभा सांसद होंगे. मगर अन्ना आज भी रालेगण सिद्धी में उसी जगह एक आम आदमी की तरह अपने जीवन का गुजारा कर रहे हैं.

अन्ना ने कहा, ''आंदोलन के लिए हमने 23 मार्च का चुना है. क्योंकि इस दिन शहीद दिवस है. आंदोलन में जन लोकपाल, किसानों के मुद्दे और चुनाव सुधार जैसे मुद्दे शामिल होंगे. मैंने इन मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को लेटर लिखा था, जिसका जवाब अब तक नहीं मिला है. पिछले 22 साल में करीब 12 लाख किसान देश में आत्महत्या कर चुके हैं. मैं जानना चाहता हूं कि इस दौरान कितने कारोबारियों ने जान दी है.''

अब देखना होगी की अन्ना के इस आंदोलन में कौन-कौन शामिल होता है ? वहीं 2019 में अन्ना आंदोलन का कोई असर होता है या नहीं ? क्योंकि इस बार सत्ता में बीजेपी है और विपक्ष में कांग्रेस. अन्ना का पिछला आंदोलन यूपीए के खिलाफ था, जिसमें बीजेपी ने उनका साथ दिया था. लोगों ने कांग्रेस को छोड़ बीजेपी को वोट दिया. मगर इस बार क्या कांग्रेस अन्ना का फायदा उठाएगी ? कुल मिलाकर अन्ना के लिये भी ये डगर मुश्किल होगी कि आखिर वो लोगों को किसे वोट देने के लिये कहें.

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शुभम गुप्ता शुभम गुप्ता @shubham.gupta.5667

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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