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Updated: 19 सितम्बर, 2018 07:20 PM
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माफी मांगने से भी मुश्किलें कम हो सकती हैं - बशर्ते, उनकी तादाद ज्यादा न हो. आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ भी ऐसा ही है. केजरीवाल और उनके साथी कई लोगों से माफी मांग चुके हैं, लेकिन मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं हैं. ताजा मुश्किल दिल्ली के चीफ सेक्रेट्री अंशु प्रकाश से हुई मारपीट के मामले में केजरीवाल और मनीष सिसोदिया सहित 13 आप नेताओं को मिला समन है. केस के सिलसिले में सभी को 25 अक्टूबर को पेश होने का हुक्म दिया गया है.

शुरुआती दौर में माफी मांगने से इस केस में भी सुलह हो सकती थी. आधी रात की इस घटना के बाद अफसरों की ओर से माफी की मांग रखी गयी थी, लेकिन टीम केजरीवाल ने उस पर ध्यान नहीं दिया.

पहले ही माफी मांग लेने से तो मानहानि के वे मामले भी आगे नहीं बढ़ते जिसके लिए केजरीवाल को बिक्रम सिंह मजीठिया, नितिन गडकरी, कपिल सिब्बल और अरुण जेटली से क्षमा याचना करनी पड़ी. केजरीवाल और उनके साथियों ने तब ऐसा किया जब उन्हें बच निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था.

अदालत से बुलावा आया है!

अरविंद केजरीवाल को इसी महीने मानहानि के एक केस से बरी कर दिया गया. केजरीवाल के केस से बरी होने की वजह ये रही कि शिकायत दर्ज कराने वाला पीड़ित व्यक्ति नहीं था. अदालत ने कहा कि कानून के तहत मानहानि की शिकायत सिर्फ पीड़ित व्यक्ति ही दायर कर सकता है.

दिल्ली पुलिस के एक सिपाही ने कोर्ट में दायर अपनी शिकायत में कहा था कि मुख्यमंत्री द्वारा पुलिसवालों के लिए 'ठुल्ला' शब्द के इस्तेमाल से वो निजी तौर पर आहत महसूस कर रहा है. कोर्ट ने पाया कि 2015 के उस इंटरव्यू में केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस का अपमान नहीं किया है.

anshu prakash, kejriwalकेस कब तक चलेगा?

दलीलों के दौरान खुद शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया था कि दिल्ली पुलिस में करीब 80 हजार कर्मचारी हैं. अदालत का मानना रहा कि इतने बड़े निकाय को एक साथ अपमानित नहीं किया जा सकता. फिर तो केजरीवाल के उस बयान पर भी यही बात लागू होती है, जिसमें संसद में बैठे लोगों के बारे में हत्यारे, डकैत और बलात्कारी जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था.

ऐसी ही शिकायत लेकर एक व्यक्ति तब भी अदालत पहुंचा था जब केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्विटर पर 'कायर' और 'मनोरोगी' कहा था. वो केस भी इन्हीं तकनीकी वजहों से खारिज हो गया. याद कीजिए जेटली मानहानि केस में भी राम जेठमलानी द्वारा CROOK कहे जाने पर भी यही सवाल उठा था. तब जेठमलानी से अरुण जेटली ने पूछा था कि क्या वो अपने क्लाइंट के कहने पर ऐसा कर रहे हैं, जेटली ने हां कहा था - और जेटली ने मानहानि का एक और मुकदमा कर दिया.

जिन धाराओं में आप नेताओं के खिलाफ चार्जशीट दायर की गयी है उसमें अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है. अदालत ने समन भेज कर आप के 13 नेताओं को तलब किया है जिनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी शामिल हैं.

फिर दिल्ली पर कैसे फोकस करेंगे?

चीफ सेक्रेट्री अंशु प्रकाश के आरोपों के साथ साथ दिल्ली पुलिस की चार्जशीट को भी केजरीवाल और उनके साथी झूठा बता रहे हैं. वैसे अब तो आरोपियों की पेशी के बाद कोर्ट में बहस होगी जिसमें दोनों पक्ष अपनी बात रखेंगे - और उसी आधार पर अदालत फैसला सुनाएगी.

चीफ सेक्रेट्री के साथ हुई मारपीट के केस में गौर करने वाली बात ये है कि कोर्ट ने केस को ट्रायल के काबिल माना है. एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल का इस बारे में कहना था कि इनके खिलाफ लगे आरोपों की पुष्टि के लिए पर्याप्त आधार हैं.

पुलिस ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि आरोपियों ने साजिश के तहत मारपीट के इस मामले को अंजाम दिया. पुलिस के मुताबिक साजिशन ये भी पहले से तय था कि किन दो विधायको के बीच में चीफ सेक्रेट्री अंशु प्रकाश को बैठाना था.

केस का मजबूत पक्ष ये भी है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल के सलाहकार पूर्व आईएएस अधिकारी वीके जैन इस मामले गवाह हैं. मारपीट की इस घटना के बाद अंशु प्रकाश को अरूणा असफ अली अस्पताल में ले मेडिकल जांच करायी गयी थी और पाया गया कि उनके दोनों कान और गाल के पीछे सूजन थी. 19 फरवरी को हुई इस घटना के अगले ही दिन आप विधायक अमानतुल्ला खान और प्रकाश जारवाल को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था लेकिन बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने दोनों को जमानत दे दी थी.

इसी बीच, अरविंद केजरीवाल के सामने माफी मांगने का एक नया ऑफर आया है. पंजाब में केजरीवाल के पुराने साथी सुच्चा सिंह छोटेपुर ने कहा है कि अगर वो माफी मांगते हैं तो आप में लौटने के बारे में सोच सकते हैं. पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले तक सुच्चा सिंह ही सूबे में आप के कामकाज देखते थे. बाद में जब आप से हटा दिये गये तो सुच्चा सिंह ने अपना पंजाब पार्टी बना ली, लेकिन अब वो केजरीवाल को माफी का एक मौका देना चाहते हैं.

मीडिया से बातचीत में सुच्चा सिंह ने कहा "जिस तरीके से मुझे झूठे आरोप लगा कर पार्टी से निकाला गया था, वो छोटी बात नहीं है और न ही मैं अभी तक कुछ भूल पाया हूं." आप के कुछ नेताओं से मुलाकात के आधार पर सुच्चा सिंह का कहना है कि केजरीवाल को गलतियों का पछतावा है. आम आदमी पार्टी की ओर से माफीनामों को पार्टी नीतिगत निर्णय बताया गया था. इसके पीछे खास मकसद भी बताया गया - दिल्ली में हो रहे काम पर फोकस करना.

चीफ सेक्रेट्री से मारपीट की घटना के बाद केजरीवाल और उनके साथियों ने दिल्ली के एलजी के दफ्तर में हफ्ते भर धरना भी दिया था. इल्जाम था कि दिल्ली के अफसर न तो मंत्रियों की बातें सुनते हैं न काम करते हैं. तब अफसरों ने मीडिया के सामने आकर केजरीवाल के दावों को गलत बताया था.

देखा जाय तो जो वजह बता कर माफीनामे की नीति अपनायी गयी थी, घूम फिर कर एक बार फिर वो उसी मोड़ पर आ खड़ी हुई है. सुच्चा सिंह ने भी ऑफर दे ही दिया है. तो क्या समझा जाये - आप नेताओं के माफी मांगने के दिन फिर आने वाले हैं?

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