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Updated: 12 अप्रिल, 2019 08:11 PM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
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ठीक एक महीने बाद 12 मई को दिल्ली में लोक सभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी है. अब जाकर कांग्रेस दिल्ली की सभी सीटों पर नाम फाइनल करने के करीब पहुंची है - और बीजेपी तो अब भी इंतजार में ही बैठी हुई है.

आम आदमी पार्टी को दिल्ली में उम्मीदवारों की लिस्ट जारी किये भी महीने भर से ज्यादा हो चुका है. कांग्रेस तो अब भी कह रही है कि आप नेता चाहें तो गठबंधन का रास्ता अभी बंद नहीं हुआ है. वैसे इसके लिए कांग्रेस की कुछ शर्तें हैं.

आप के नेता लोगों के घर तक पहुंच चुके हैं और कांग्रेस-बीजेपी में अभी यही नहीं तय हुआ है कि चुनाव लड़ना किसे हैं?

क्या अरविंद केजरीवाल की कोई रणनीति है जिसमें कांग्रेस के साथ साथ बीजेपी भी उलझी हुई है?

आप सबसे आगे

आम आदमी पार्टी ने पहले तो दिल्ली के सभी संसदीय क्षेत्रों के लिए प्रभारी नियुक्त कर दिये थे. कांग्रेस के साथ आप नेता दिल्ली में गठबंधन पर बातचीत करते रहे. फिर कुछ दिन बाद गठबंधन का इंतजार किये बगैर ही आप के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी हो गयी.

अरविंद केजरीवाल ने एक दिन कहा कि वो तो कांग्रेस से गठबंधन के लिए कह कह कर थक चुके हैं लेकिन वो लगभग मना कर चुके हैं. फिर एक दिन दिल्ली की सात में से छह सीटों के लिए उम्मीदवार ये कहते हुए घोषित कर दिये गये कि कांग्रेस की गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है.

कुछ दिन बाद आप की ओर से पश्चिम दिल्ली सीट से बलबीर सिंह जाखड़ को टिकट देने का ऐलान हो गया. फिर क्या था सारे उम्मीदवार अपने अपने इलाके में आम कार्यकर्ताओं के साथ घर घर जाकर चुनाव प्रचार करने लगे.

लेटलतीफ चल रही कांग्रेस

पहले खबर आयी थी कि कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में सात में से चार उम्मीदवारों के नाम फाइनल हो चुके हैं - लेकिन पार्टी के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको की 12 अप्रैल की प्रेस कांफ्रेंस के बाद फिर से संदेह की स्थिति पैदा हो गयी है.

sheila dikshitशीला दीक्षित को गठबंधन नहीं पसंद है...

आप के साथ गठबंधन को लेकर पीसी चाको ने कहा, 'आप दूसरे राज्यों में भी गठबंधन करना चाहती थी लेकिन ये संभव नहीं है. हर राज्य अलग होता है. हम अगले एक-दो दिनों में सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर देंगे. अगर वे दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहते हैं तो हम आज भी इसके लिए तैयार हैं.'

आज तक ने सूत्रों के हवाले से उम्मीदवारों को लेकर जो खबर दी है उसके मुताबिक - पूर्वी दिल्ली सीट से शीला दीक्षित, नई दिल्ली से अजय माकन, पश्चिम दिल्ली से महाबल मिश्रा, उत्तर पूर्वी दिल्ली से जेपी अग्रवाल, उत्तर पश्चिमी दिल्ली से राजकुमार चौहान, दक्षिणी दिल्ली से ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार और चांदनी चौक से कपिल सिब्बल कांग्रेस उम्मीदवार होने जा रहे हैं.

बीजेपी ने भी वक्त गंवाया

उम्मीदवारों को लेकर दिल्ली बीजेपी का हाल तो और भी गड़बड़ लगता है. दिल्ली बीजेपी ने संभावित उम्मीदवारों की सूची बनाकर कर केंद्रीय समिति को भेज दी है. सूची को लेकर तरह तरह की खबरें भी आ रही हैं. कभी बताया जा रहा है कि क्रिकेटर गौतम गंभीर का नाम भी शामिल है तो कभी पता चल रहा है कि टिकट के इंतजार में बैठे विजय गोयल का नाम संभवितों में भी शुमार नहीं है.

बाकी बातें अपनी जगह और टिकट चाहने वाले बीजेपी नेताओं को आश्वासन मिला है वो और भी हैरान करने वाला है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टिकट की उम्मीद लगाये नेताओं को आलाकमान का संदेश है कि लिस्ट का इंतजार न करें बल्कि वो चुनाव की तैयारी करते रहें - फाइनल लिस्ट तभी आएगी जब कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन पर तस्वीर साफ हो जाएगी.

आप के उम्मीदवारों की सूची को पहले तो कांग्रेस ने दबाव बनाने का तिकड़म समझा था. 'दिल्ली को पूर्ण राज्य' दिलाने के नाम पर आप उम्मीदवार चुनाव प्रचार का एक दौर तो पूरा ही कर चुके हैं - और कांग्रेस अब भी गोलमोल बातें कर रही है. बीजेपी तो देखो और इंतजार करो की ही नीति अपनाये हुए है.

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दिल्ली में गठबंधन को लेकर कांग्रेस और आप दोनों ही एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. पीसी चाको की मानें तो राहुल गांधी ने उन्हें आप नेताओं से बात करने को कहा था. चाको ने ही बताया कि आप की तरह से संजय सिंह बात कर रहे हैं लेकिन वो दिल्ली के साथ साथ हरियाणा और दूसरे राज्यों में भी गठबंधन की शर्त रख रहे हैं जो कांग्रेस को मंजूर नहीं है.

अरविंद केजरीवाल वैसे भी लीक से हटकर नये तरीके की राजनीति के लिए जाने जाते हैं. ये तो साफ है कि केजरीवाल की पार्टी के नेता और कार्यकर्ता चुनाव प्रचार के मामले में इलाके में पहले से जमे होने के कारण लीड ले चुके हैं. नतीजे जो भी आएं लेकिन चुनाव प्रचार के मामले में तो कांग्रेस और बीजेपी पिछड़े हुए ही लगते हैं.

ये तो साफ साफ नजर आ रहा है कि अरविंद केजरीवाल बड़े आराम में दिल्ली की सभी सातों सीटों पर चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं और गठबंधन के नाम पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों को झांसे में उलझाये हुए हैं.

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मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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