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Updated: 23 सितम्बर, 2017 11:13 AM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
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कर्नाटक में 2018 में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी इस चुनाव को कोई भी हालत में जीतना चाहती हैं. यहां पर न केवल कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हैं, बल्कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी की साख का भी इम्तिहान है. पिछले साल मोदी लहर को देखते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं ने कर्नाटक से कांग्रेस का सफाया करने के लिए मिशन 150 बनाया था. लेकिन चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, बीजेपी को ये महसूस होने लगा हैं की 150 का आंकड़ा छूना बहुत ही मुश्किल हैं. बीजेपी पार्टी के नेता बैठकें और कार्यक्रम कर रहे हैं. नए-नए फार्मूला और कॉम्बिनेशन तलाशे जा रहे हैं, ताकि राज्य में कांग्रेस को जोरदार झटका दिया जा सके.

भाजपा, येदियुरप्पा, नरेंद्र मोदीयेदियुरप्पा और नरेंद्र मोदीमोदी के फॉर्मूले को आजमाने की तैयारी

कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उत्तरी कर्नाटक से चुनावी मैदान में उतरेंगे. पीटीआई के माने तो 2018 में होने वाले चुनावों में बागलकोट या विजयपुरा से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं. मई 2017 में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि कर्नाटक विधानसभा चुनावों में येदियुरप्पा पार्टी की तरफ से ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे. बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए येदियुरप्पा की उम्मीदवारी पहले ही तय कर दी थी. अब उत्तर कर्नाटक से चुनाव लड़ना येदियुरप्पा और बीजेपी की स्ट्रेटेजी और फार्मूला का ही पार्ट हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 लोक सभा चुनाव में वडोदरा और वाराणसी दोनों जगह से लोकसभा चुनाव लड़ा था. उसके पीछे स्ट्रेटेजी यही थी कि देश के भावी प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से होंगे. नतीजा भी उसी अनुरूप आया जब बीजेपी ने 80 में से 71 लोक सभा सीट यहां से जीती थी. उसकी सहयोगी अपना दल को भी यहां दो सीटें मिली थी. 2009 लोक सभा चुनाव में बीजेपी केवल 10 सीट ही उत्तर प्रदेश से जीत पायी थी. मोदी को केंद्र तक पहुंचाने में उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा हाथ था. अब कमोवेश इसी फॉर्मूले को बीजेपी कर्नाटक में अमल में लाने की तैयारी कर रही हैं. बीजेपी वोटरों खास कर लिंगायत समुदाय को ये मैसेज देना चाह रही हैं अगला मुख्यमंत्री भी उत्तर कर्नाटक से होगा.

भाजपा, येदियुरप्पा, अमित शाहयेदियुरप्पा और अमित शाहउत्तर कर्नाटक के लिंगायत वोटों पर नज़र

2013 में बीजेपी कर्नाटक से केवल 40 सीट ही जीत पायी थी. कुल 224 विधानसभा सीट वाले राज्य में अपने मिशन 150 के तहत वो अपनी बढ़त 47 तक करने में सफल हो गई थी. येदियुरप्पा को उत्तर कर्नाटक से लड़ाना आने वाले चुनाव में बीजेपी को इस लिंगायत प्रभुत्व क्षेत्र में काफी फायदा पहुंचा सकता है. यहां पर लिंगायत-पिछड़ी जाति और दलित कॉम्बिनेशन करीब 90 विधानसभा सीटों के भाग्य का फैसला करती हैं. अगर बीजेपी इन वोटों को साधने में सफल हो जाती हैं तो कर्नाटक फतह करने में मुश्किल नहीं होगी. अभी बीजेपी के पास करीब 47 सीट है और उसमे से करीब 22-25 सीट उत्तर कर्नाटक में पड़ते हैं. येदियुरप्पा कर्नाटक के लिंगायत समुदाय से आते हैं और उनकी पिछड़ी जाति के वोटरों पर पकड़ काफी अच्छी हैं.

सिद्धारमैया को उत्तर कर्नाटक से लड़ाने का दबाव

कर्नाटक में चल रहे लिंगायत आंदोलन से बीजेपी को काउंटर करने की रणनीति बना रही कांग्रेस अब इस मुद्दे पर फंसती नजर आ रही है. उत्तर कर्नाटक का यह मुद्दा अब सिद्धारमैया सरकार के लिए सिर दर्द बनते जा रहा हैं. येदियुरप्पा को उत्तर कर्नाटक से उतारने के ऐलान के बाद कांग्रेस बैकफुट पर चली गयी हैं. उसे ये सूझ नहीं रहा हैं कि अब आगे क्या किया जाये. कुछ कांग्रेस लीडर तो अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर प्रेशर डाल रहे हैं कि वो भी इसी क्षेत्र से चुनाव लड़े. कांग्रेस के लिए परेशानी ये हैं कि उनके पास कोई बड़ा लिंगायत चेहरा नहीं जो बीजेपी को काउंटर कर सके.

येदियुरप्पा का दलित प्रेम

2018 चुनाव से पहले येदियुरप्पा ऐसा कोई भी कोना नहीं छोड़ना चाहते जिससे बीजेपी को निराशा हासिल हो. इसी मिशन के तहत वे आजकल नाश्ता दलित के साथ और खाना ओबीसी के घर खाने की रणनीति पर चल रहे हैं. वे कर्नाटक के कई विधानसभाओं का दौरा कर चुके हैं और हर दौरे की शुरुआत किसी गरीब दलित के घर नाश्ते से ही होती थी. वे दलित वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. कर्नाटक के कुल आबादी की करीब 23-25 प्रतिशत जनता दलित समुदायी से ही आती हैं.

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लेखक

आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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