Atal Bihari Vajpayee Death: उनकी छवि में, हर शख्स की छवि है
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जिंदगी से जंग 16 अगस्त गुरुवार को AIIMS में खत्म हो गई. Aajtak समेत सभी चैनलों पर Live Coverage हो रहा है. अटल जी के किस्से बयां किए जा रहे हैं. उनका हर पहलू, हर शख्स को प्रभावित करता दिख रहा है.
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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का AIIMS में निधन हो गया. सारा देश स्वास्थ्य लाभ की कामना कर रहा था. Aajtak समेत सभी चैनलों पर Live Coverage हो रहा है. मगर होनी को टाला नहीं जा सकता. जो लिखा है वो होकर रहेगा. अटल जी का जीवन-मंत्र संघर्ष तक सीमित था- 'मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं. लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?' Social media और न्यूज चैनलों पर अटल जी के किस्से बयां किए जा रहे हैं. जिनका हर पहलू, हर शख्स को प्रभावित करता दिख रहा है.
93 साल के अटल बिहारी वाजपेयी के सम्पूर्ण जीवन पर यदि नजर डालें तो मिलता है कि दुनिया के हर व्यक्ति के लिए अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन प्रेरणा लिए हुए है. उनके विषय में यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं है कि यदि व्यक्ति इन्हें अपने से जोड़कर देखे तो इन्हें वो ठीक वैसा ही पाएगा, जैसा वो खुद है. दूसरे शब्दों में कहें तो जिसकी जैसी रुचि है, अटल जी उसके जीवन को उसी अंदाज में प्रभावित करेंगे.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी किसी भी व्यक्ति के लिए ठीक वैसे हैं जैसा उसका स्वभाव है
कवियों के लिए अटल बिहारी वाजपेयी
यदि व्यक्ति का व्यक्तित्व सौम्य है. वो कवि हृदय का है. उसे कविताएं पसंद हैं तो अटल जी में उसे एक शानदार कवि दिखेगा. एक ऐसा कवि जो उसे बताएगा कि कैसे उसे जीवन की बाधाओं को पार करना है. याद रहे अटल जी ने ऐसे लोगों को नित नए गीत गाने के लिए प्रेरित करते हुए अपने द्वारा लिखी एक कविता में कहा था कि
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर,
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर,
झरे सब पीले पात,
कोयल की कूक रात,
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं.
गीत नया गाता हूं.
टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी?
अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी।
हार नहीं मानूंगा,
रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं.
गीत नया गाता हूं
अटल जी को इतिहास एक मुखर वक्ता के रूप में भी याद रखेगा
विरोधी स्वभाव और एक वक्ता के लिए अटल बिहारी वाजपेयी
ये तो बात हो गई कवि हृदय व्यक्ति के बारे में. यदि व्यक्ति विरोधी स्वभाव का है और मुखर वक्ता है तो अटल जी उसके सामने एक प्रचंड विरोधी और वक्ता के रूप में खड़े हैं. अटल उस व्यक्ति को बता रहे हैं कि उसे उन परिस्थितियों से लड़ना चाहिए जब अन्याय उसके सामने हो. अटल बिहारी वाजपेयी का स्वाभाव कैसा था? उनके विरोधी स्वर कितने तीखे थे? इसका अंदाजा हम उनके उस भाषण से लगा सकते हैं तो 1996 में उन्होंने संसद में दिया था.
बात अगर 1996 में दिए गए उस भाषण की हो तो वाजपेजी ने कांग्रेस पार्टी की नीतियों का बहुत ही मुखर ढंग से विरोध किया था. अपने इस्तीफे से कुछ मिनट पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने एक जोरदार भाषण दिया था और बता दिया था कि वो किसी भी सूरत में अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने इस बात को बहुत ही प्रमुखता से कहा था कि इस सदन में एक एक व्यक्ति की पार्टी है, वो हमारे खिलाफ जमघट करके हमें हमते का प्रयास कर रहे हैं. उन्हें प्रयास करने का पूरा अधिकार है. मगर हैं वो एक एक व्यक्ति की पार्टी. एकला चलो रे और चलो एकला अपने चुनाव क्षेत्र से और दिल्ली में आकर जो जाओ इकट्ठे रे.
यदि ये लोग देश के भले के लिए साथ आ रहे हैं तो इनका स्वागत है. हम देश सेवा कर रहे हैं वो भी निस्स्वार्थ भाव से और पिछले 40 सालों से ऐसे ही करते आ रहे हैं. तब वाजपेयी ने ये भी माना था कि ये कोई आकस्मिक जनादेश नहीं है ये कोई चमत्कार नहीं है हमनें मेहनत की हम लोगों में गए और संघर्ष किया. पार्टी 365 दिन चलने वाली पार्टी है. ये कोई चुनाव में कुकुरमुत्ते की तरह से खड़ी होने वाली पार्टी नहीं है.
अपने उस भाषण में नाराजगी दिखाते हुए वाजपेयी ने कहा था कि हमें अकारण ही कटघरे में खड़ा किया जा रहा है क्योंकि हम थोड़ी ज्यादा सीटें नहीं ला सके. हम मानते हैं कि ये हमारी कमजोरी है. हमें बहुमत मिलना चाहिए. राष्ट्रपति ने हमें अवसर दिया हमनें उसका लाभ उठाने की कोशिश की अब सफलता नहीं मिली वो अलग बात है. हम सदन में सबसे बड़े विरोधी दल के रूप में बैठेंगे और आपको हमारा सहयोग लेकर सदन चलाना पड़ेगा. मगर सरकार आप कैसी बनाएंगे, वो सरकार किस कार्यक्रम पर बनेगी वो सरकार कैसी चलेगी मैं नहीं जानता.
इस भाषण को सुनिए. इसके एक एक शब्द को ध्यान दीजिये. इस पूरे भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी का पूरा व्यक्तित्व खुल कर सामने आ जाएगा और उसे बताएगा कि अटल बिहारी क्यों किसी भी व्यक्ति के जीवन में अमिट छाप छोड़ते हैं.
अटल बिहारी एक ऐसे नेता के रूप में भी याद किये जाएंगे जो खाने-खिलाने का शौकीन था
एक फूडी के लिए अटल बिहारी वाजपेयी
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी न सिर्फ एक उम्दा कवि, प्रचंड विरोधी और एक मुखर वक्ता हैं बल्कि उनके अन्दर एक फूडी का भी वास है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी खान-पान के बेहद शौकीन थे. बताया जाता है कि चाहे वो ग्वालियर के बहादुरा के लड्डू हों या फिर आगरा के राम बाबू के पराठे उनकी पसंदीदा चीजों की लिस्ट बड़ी लम्बी है. अटल जी के बारे में मशहूर है कि उन्हें मीठा बहुत पसंद है और वो उसे बड़े चाव के साथ खाते हैं. आपको बताते चलें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी न सिर्फ खुद खाने पीने के शौकीन हैं बल्कि इनका शुमार एक कुशल मेहमान नवाज के रूप में भी होता है.
अटल बिहारी के बारे में ये भी लोकप्रिय है कि वो एक बेहद रोमांटिक व्यक्ति रहे हैं
एक प्रेमी के लिए रोमांटिक थे अटल बिहारी वाजपेयी
यदि व्यक्ति प्रेमी है तो उसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी का वो रूप देखना चाहिए जिसको देखने के बाद उसे मिलेगा कि अटल बिहारी में एक उच्च कोटि का प्रेमी पास करता है. अटल जी का ये रूप व्यक्ति को ये बताएगा कि उनसे बड़ा रोमांटिक आज के समय में शायद ही कोई हो. बात 1940 की है तब अटल बिहारी वाजपेयी कॉलेज में थे और वहां उनकी मुलाकात राजकुमारी कौल से हुई. वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर कि मानें तो राजकुमारी और अटल शुरू-शुरू में दोस्त थे मगर ये दोस्ती कब प्यार में बदल गई अटल को पता ही नहीं चला. बताया जाता है कि अटल ने राजकुमारी को कई प्रेम पात्र लिखे. इन प्रेम पत्रों में जिस शैली का इस्तेमाल अटल बिहारी वाजपेयी ने किया वो ये बताने के लिए काफी है कि अटल एक बेहद रोमांटिक शख्सियत हैं.
उपरोक्त जानकारी के बाद ये साफ हो गया है कि व्यक्ति जैसा है वो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी को अपने सांचे में डाल के देखे तो पाएगा कि वो ठीक वैसे ही थे जैसा वो खुद है. अंत में बस इतना ही कि भारत की राजनीति हमेशा इस एहसान के तले दबी रहेगी कि उस पर एक ऐसे नेता ने राजनीति की जिसे दुनिय ने अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में जाना.
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