अटल के निधन पर भारत के साथ पाकिस्तान भी रोया
अटल बिहारी वाजपेयी ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई थी. देश के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने ही भारत को एक परमाणु शक्ति बना दिया. उनकी मौत के बाद न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी उन्हें याद किया जा रहा है.
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'मौत, तू चोरी-छिपे न आ, सामने से वार कर मुझे आजमा'
कभी ये लाइनें लिखने वाले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं रहे. 93 वर्ष की आयु में गुरुवार को वह शून्य में विलीन हो गए. अटल बिहारी वाजपेयी ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई थी. देश के प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने ही भारत को एक परमाणु शक्ति बना दिया. आज अगर भारत दुनिया भर के देशों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है, तो उसमें अटल बिहारी वाजपेयी की अहम भूमिका रही. अब ऐसे शख्स की मौत पर देश कितना रोया होगा, इसका अंदाजा आप मीडिया कवरेज से ही लगा सकते हैं. जहां एक ओर भारतीय अखबारों के पन्ने अटल बिहारी की मौत की खबरों से पटे रहे, वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी अटल बिहारी के निधन को प्रमुखता से छापा. चलिए जानते हैं किस मीडिया ने अटल बिहारी के बारे में क्या लिखा है, खासकर पाकिस्तान के बारे में-
जब अटल बिहारी वाजपेयी लाहौर गए थे, उसके तीन महीने बाद ही पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया था और दोनों देशों के बीच कारगिल का भीषण युद्ध हुआ था. पाकिस्तानी नेताओं ने भारत की छवि को खराब करने की खूब कोशिश की है, लेकिन न तो वहां के नेता पाकिस्तानी मीडिया को अटल बिहारी वाजपेयी को नम आंखों से याद करने से रोक पाए, ना ही पाकिस्तान के लोगों को रोक सके. पाकिस्तान के डॉन न्यूज ने भी स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए आर्टिकल है, जिन्होंने 'इस्लामाबाद के साथ शांति के लिए बातचीत की शुरुआत की थी.' हालांकि, 'पोखरन में हुए परमाणु परीक्षणों ने पाकिस्तान को परमाणु युद्ध के लिए जरूर डरा दिया था.' आर्टिकल में वाजपेयी को 'भारतीय राजनीति की सबसे दुर्लभ चीज' और 'भ्रष्टाचार से बेदाग शख्स' कहा है.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के पत्रकार गिबरान अशरफ ने लिखा है- अटल साहब एक महान राजनेता थे और यह उन्हीं की सरकार का समय था जब भारत और पाकिस्तान के बीच आखिरी बार शांति को लेकर बातचीत हुई थी.
Indeed Atal sahib was a great statesman, and it was during his govt that Pakistan and India last came close to actual peace! May he RIP!
— Gibran Ashraf (@GibranAshraf) August 16, 2018
एक अन्य पाकिस्तानी पत्रकार उमर कुरैशी ने कहा कि जैसे ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन की खबर आई, वैसे ही वह पाकिस्तानी ट्विटर पर छा गए. कुरैशी ने कहा- भाजपा से होने के बावजूद, अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान में पसंद की जाने वाली शख्सियत थे- ये कम नहीं है क्योंकि वह खुद ही दोस्ती बस में सवार होकर लाहौर आए थे.
Despite being from the BJP, Atal Behari Vajpayee was quite a liked figure in Pakistan -- not least because he himself came to Lahore on the Dosti Bus - also explains why he's already trending at No 1 in Pakistan pic.twitter.com/pSEdt2Bxs5
— omar r quraishi (@omar_quraishi) August 16, 2018
जानी मानी लेखिका मेहर तरार ने ट्वीट किया है कि वाजपेयी चाहते थे कि भारत और पाकिस्तान खूनी संघर्ष से निकलकर दोस्त बनें.
Rest in peace, Atal Bihari Vajpayee saheb.The Indian prime minister who travelled to Lahore in the Sada-e-Sarhad bus with a message of dosti, who wished India & Pakistan to move beyond the bloodied history, and be friends.Dua & condolences for the family.Condolences to India
— Mehr Tarar (@MehrTarar) August 16, 2018
इन सबके अलावा तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान, जो पाकिस्तान में अपनी सरकार बनाने वाले हैं, उन्होंने भी अटल बिहारी की मौत पर उन्होंने याद करते हुए कहा है- वाजपेयी की भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने की कोशिशें हमेशा याद रहेंगी.
न्यूयॉर्क टाइम्स
हेडिंग- अटल बिहारी वाजपेयी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, का 93 साल की उम्र में निधन.
अटल बिहारी वाजपेयी को दृढ़ संकल्प वाला नेता बताते हुए न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है- '1998 से 2004 के बीच प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने परमाणु टेस्ट कर के पूरी दुनिया को चौंका दिया था. उन्होंने परमाणु परीक्षण पर लगाए गए करीब एक दशक पुराने प्रतिबंध को खत्म कर के पूरी दुनिया को चौंका दिया.' टाइम्स ने लिखा है- राजनीति में उनके शुरुआती 50 सालों के बारे में देश के बाहर कम ही लोगों को पता था, लेकिन 70 की उम्र के करीब 6 सालों तक वह दुनिया के सबसे लोकप्रिय लोकतंत्र के मुख्य चेहरे की तरह जाने जाते थे.
वाशिंगटन पोस्ट
हेडिंग- अटल बिहारी वाजपेयी, प्रधानमंत्री जिन्होंने भारत को परमाणु शक्ति बनाया, का 93 साल की उम्र में निधन
वाशिंगटन पोस्ट ने अपने आर्टिकल में भारत को परमाणु शक्ति बनाने का पूरा क्रेडिट अटल बिहारी वाजपेयी को दिया, लेकिन साथ ही यह भी लिखा है कि कैसे उनके इस फैसले के चलते भारत और अमेरिका के रिश्तों में कड़वाहट आ गई. आर्टिकल में लिखा है- भारत ने सबसे पहले 1974 में परीक्षण किया, लेकिन यह भी बताया कि परमाणु परीक्षण सिर्फ शांति बहाल करने के मकसद से किया जा रहा है. नए परीक्षणों से भारत एक परमाणु शक्ति वाला देश बन गया. ऐसा करने पर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भारत की निंदा भी की थी, लेकिन वाजपेयी चुपचाप अपना काम करते रहे और इसी बीच एक मंझे हुए कूटनीतिज्ञ की तरह दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने के प्रयास करते रहे. इसके बाद 2000 में पहली बार ऐसा हुआ, जब करीब दो दशकों बाद कोई अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आया.
सीएनएन
हेडिंग- अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री, का 93 साल की उम्र में निधन
सीएनएन ने अपने आर्टिकल में ये दिखाया है कि किस तरह अटल बिहारी वाजपेयी अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद नहीं झुके. आर्टिकल में लिखा है- 'देश और विदेश में भारत के परमाणु परीक्षण को लेकर उन्होंने भारी आलोचना झेली. उन्होंने किसी भी तरह के आर्थिक प्रतिबंध के खतरे तक को खारिज कर दिया. उन्होंने संसद में कहा- हमने कभी कोई भी फैसला अंतरराष्ट्रीय दबाव में आकर नहीं लिया है और हम भविष्य में भी ऐसा नहीं करेंगे.' आर्टिकल में ये भी लिखा है कि कैसे 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई और लगातार पार्टी को मजबूत करते रहे, जो धीरे-धीरे कांग्रेस का सबसे मजबूत विपक्ष बन कर उभर गया.
अटल बिहारी वाजपेयी की मौत से भारत के लोग तो गमगीन हो ही गए, साथ ही पाकिस्तान के लोगों की आंखें भी नम हो गईं. इतना ही नहीं, पूरी दुनिया में भी वाजपेयी को याद किया गया. जिसके जाने पर हर कोई उसे याद करे, वही तो महान शख्सियत होती है. मौत के बारे में उन्होंने एक कविता लिखी थी 'मौत से ठन गई' जिसकी कुछ पंक्तियां ये हैं- 'मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं... ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं... मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं... लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?' अटल बिहारी जी भर जिए भी और मन से मरे भी, उन्होंने दूसरों के लिए भी रास्ते खोले, भारत को एक परमाणु शक्ति बना दिया... अटल जी, आप भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे.
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