आजम ने गलती की है, माफ़ी मांगकर उन्होंने कोई एहसान नहीं किया!
रमा देवी के साथ की गई बदसलूकी को लेकर आजम खान ने माफ़ी मांग ली है. संसद में माफ़ी मांगते हुए आजम का जैसा हाव भाव था, वो खुद-ब-खुद साफ कर दे रहा था कि माफ़ी मांगने के बावजूद उन्हें अपनी गलती पर जरा भी मलाल नहीं है.
-
Total Shares
आदत और फितरत दो अलग चीजें हैं. इंसान अपनी आदतें बदल सकता है. मगर उसकी फितरत वही रहती है. इस बात को एक उदाहरण से समझ सकते हैं. शराब का सेवन व्यक्ति की आदत हो सकता है. मगर जब वो शराब पीने के बाद हंगामा करे और किसी को नुकसान पहुंचाए ये उसकी फितरत का दोष है. यानी आदत के मुकाबले फितरत कहीं ज्यादा घातक है. फितरत किसी इंसान की बनी बनाई इज्जत को कैसे तार तार कर सकती है और उसके मुंह पर कालिख पोत सकती है ये उत्तर प्रदेश के रामपुर से सांसद आजम खान से बेहतर कौन समझ सकता है. आजम खान को सपा खेमे का कुशल वक्ता माना जाता है. कई मौके आए हैं जब इन्होंने अपनी बातों से सुर्खियां बटोरी हैं. बीते दिनों भी फितरतन संसद में आजम ने ऐसा बहुत कुछ कह दिया जिसने न सिर्फ उनकी. बल्कि उनकी पार्टी तक की धज्जियां उड़ा दीं. आजम ने सभापति रमा देवी को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी. आजम की बातों से खफा होकर संसद की सभी महिला सांसद आजम के खिलाफ एकजुट हो गयीं थीं और उन्होंने मांग की थी कि आजम खान को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए, ताकि उन लोगों को एक बड़ा संदेश मिल सके, जिनकी महिलाओं को लेकर कथनी और करनी में एक बड़ा अंतर है.
आजम खान ने भले ही माफ़ी मांग ली हो मगर जैसेउनके हाव भाव हैं लग रहा है कि उन्हें अब तक अपनी गलती का एहसास नहीं है
संसद जैसे लोकतंत्र के पवित्र मंदिर को अपनी अमर्यादित भाषा से दूषित करने वाले आज़म खान ने घिरने के बाद माफ़ी मांग ली है. आज़म खान की इस माफी पर गौर किया जाए और यदि इसका अवलोकन करें तो मिल रहा है कि उन्हें अपनी गलती का जरा भी मलाल नहीं है. वो माफी भी बस इसलिए मांग रहे हैं क्योंकि न सिर्फ वो चौतरफा आलोचना का शिकार हुए हैं बल्कि बुरी तरह घिर गए हैं और बात समाजवादी पार्टी की मान और प्रतिष्ठा पर आ गई है. यानी आजम की महिला संसद से ये माफ़ी एक फॉर्मेलिटी से ज्यादा कुछ नहीं थी जिसके जरिये आजम खान ने केवल और केवल अपना पिंड झाड़ा है.
माफ़ी मांगते हुए जो दंभ आजम में दिख रहा था, वो कहीं से भी इस बात की वकालत नहीं करता कि उन्हें वाकई अपनी गलती का एहसास है. जिस टोन में उन्होंने बात की वो खुद ये बता रही थी कि जैसे उन्होंने ये माफ़ी अपने राजनीतिक हितों को देखते हुए एक दबाव में मांगी है. ध्यान रहे कि सदन की कार्यवाही शुरू होते ही आजम खान ने लोकसभा स्पीकर को संबोधित करते हुए कहा कि अगर उनके बयान से उन्हें तकलीफ पहुंची है तो वे माफी मांगते हैं.
इतना बोलने के फौरन बाद आजम खान बैठ गए. आजम के इस तरह माफ़ी मांगने को देखकर बीजेपी के सांसद हंगामा करने लगे. बीजेपी के सांसदों ने आजम खान के हाव-भाव पर सवाल उठाए. इस दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्नाव रेप पीड़िता के हादसे का मामला उठा दिया और कहा कि बीजेपी को उसपर भी ध्यान देना चाहिए. बीजेपी सांसदों ने अखिलेश यादव की टिप्पणी पर आपत्ति जताई.
मामला बढ़ जाने के बाद स्पीकर ओम बिड़ला को दखल देना पड़ा और उन्होंने आजम खान को दोबारा रमा देवी से माफी मांगने के लिए कहा. स्पीकर के आदेश के बाद आजम खान ने कहा कि रमा देवी उनकी बहन जैसी हैं, अगर उनके बयान से उन्हें तकलीफ हुई है तो वे माफी मांगते हैं. आजम खान ने कहा कि पूरा सदन उनके आचरण को जानता है.
देखना दिलचस्प रहेगा कि आजम खान कब तक अपनी जुबान को काबू में रखते हैं
आजम खान की माफी के बाद रमा देवी ने कहा कि उनके व्यवहार से देश को दुख पहुंचा है. साथ ही रमा देवी ने ये भी कहा कि आजम खान की आदत सुधरनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आजम खान सदन के बाहर भी ऐसा बयान देते रहते हैं. गौरतलब है कि बीते दिनों ही लोकसभा में तीन तलाक पर बहस के दौरान बीजेपी सांसद रमा देवी सदन की अध्यक्षता कर रही थीं, इसी दौरान आजम खान ने विवादास्पद टिप्पणी की थी.
आजम खान की इस टिप्पणी के बाद सदन के अंदर और बाहर जमकर हंगामा हुआ था. बीजेपी समेत कई पार्टियों के सांसदों ने आजम खान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. बहरहाल, हमने बात आजम की माफ़ी से की थी तो हमारे लिए ये बताना बहुत जरूरी है कि इस माफ़ी को मांगकर आजम ने न तो रमा देवी के ऊपर कोई एहसान किया है और न ही संसद के ऊपर.उन्होंने गलती की है और उन्हें सजा जरूर मिलनी चाहिए.
बात तब थी जब उन्हें वाकई अपनी गलती का एहसास होता. माफ़ी मांगते वक़्त जैसा टोन आजम खान का था और जिस तरह खीझ में उन्होंने माफ़ी मांगी कहीं न कहीं एक बार फिर आजम संसद को प्रभाव में लेने का प्रयास कर रहे थे. कुल मिलाकर बात का सार बस इतना है कि आजम अपनी आदत से ज्यादा अपनी फितरत के हाथों मजबूर हैं. ऐसे में यदि वाकई उन्हें अपने में सुधर करना है तो बेहतर यही होगा कि सबसे पहले वो अपनी फितरत बदलें. राजनीति तो हो रही है, होती रहेगी.
ये भी पढ़ें -
आजम खान ने तीन तलाक पर संसद के बहिष्कार का बेहद छिछोरा बहाना खोजा!
आजम खान के खिलाफ एकजुट हुईं महिला सांसदों ने नए कल की कहानी लिख दी
आपकी राय