इमरान खान 'फाइनल कॉल' मार्च से पहले ही दो प्रेस कान्फ्रेंस से घिर गए!
एक ऐसे समय में जब फाइनल कॉल के नाम पर पाकिस्तान में इमरान खान शाहबाज शरीफ के खिलाफ मार्च की तैयारी कर रहे हों मुल्क में प्रेस कांफ्रेंस का दौर शुरू हो गया है. मामले में दिलचस्प ये कि इमरान के अपने ही लोग उन्हें बेनकाब करते नजर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि मार्च के पहले और बाद इमरान खान को तमाम चुनौतियों का सामना अपने मुल्क में करना होगा.
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सत्ता से बेदखल किये जाने के बाद इमरान खान और उनकी पार्टी की जैसी स्थिति है वो किसी से छिपी नहीं है. वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जिस तरह इमरान खान को एक्सपोज कर रहे हैं माना यही जा रहा है कि आने वाले वक़्त में हम पाकिस्तान में ऐसा बहुत कुछ देख सकते हैं जो सोच और कल्पना से परे है. वहीं बात इमरान खान की हो तो शाहबाज और उनकी सरकार को बेनकाब करने में अपनी तरफ से वो भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे और शायद यही वो कारण है जिसके चलते इमरान न केवल पिछले कुछ महीनों से देश के कई शहरों की यात्रा में है बल्कि उन्होंने अपने मतदाताओं, समर्थकों और कार्यकर्ताओं को इस्लामाबाद तक एक लंबे मार्च के लिए आने का आह्वान किया है. लेकिन जैसा कि हम शुरुआत में ही बता चुके हैं इमरान के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं उनके अपने ही लोग उनके खिलाफ आते नजर आ रहे हैं. गर जो इस बात को समझना हो तो हम पीटीआई नेता फैसल वावड़ा का रुख कर सकते हैं. फैसल वावड़ा ने एक प्रेस वार्ता की और एक पत्रकार की मौत समेत कई ऐसी बातों का खुलासा किया है जिनकी अगर जांच हो तो इमरान खान का सलाखों के पीछे जाना तय है. एक ऐसे समय में जब शाहबाज शरीफ सरकार पर दबाव बनाने के लिए इमरान खान लाहौर से इस्लामाबाद तक की यात्रा पर निकल रहे हों फैसल की बातों ने इमरान खान की सारी योजना पर पानी फेर दिया है.
जैसे हाल हैं पाकिस्तान में इमरान खान के सामने चुनौतियों का पहाड़ नजर आ रहा है
बताते चलें कि पत्रकार अरशद शरीफ की मौत का जिक्र करते हुए फैसल ने बताया था कि पत्रकार की मौत प्री प्लांड थी और इसकी साजिश पाकिस्तान में रची गयी थी. वही फैसल ने अपनी पत्रकार वार्ता में इस बात का भी खुलासा किया था कि वो शरीफ के मुल्क छोड़ने के बाद से ही वो पत्रकार के संपर्क में थे. ध्यान रहे तमाम लोग हैं जिनका मानना है कि पत्रकार अरशद शरीफ की मौत के जिम्मेदार इमरान खान हैं. चूंकि इमरान के मार्च से पहले ही फैसल की इस पत्रकार वार्ता ने पाकिस्तान की सियासत में भूचाल ला दिया है पीटीआई खेमे के सामने काटो तो खून नहीं वाली स्थिति है.
फैसल की पत्रकार वार्ता के मद्देनजर बताया ये भी जा रहा है कि इसके लिए उन्हें पीटीआई के सिंध प्रान्त के अध्यक्ष अली ज़ैदी की तरफ से एक शो कॉज नोटिस दिया गया है जिसका जवाब देने के लिए फैसल को दो दिन का समय दिया गया है. फैसल वावड़ा द्वारा की गयी इस हरकत (पत्रकारवार्ता ) का जिक्र करते हुए अली ज़ैदी की तरफ से कहा गया है कि उन्होंने अपनी बातों से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया है.
मार्च की बात कहने के बाद से ही इमरान खान विपक्ष के निशाने पर हैं इसलिए डीजी आईएसआई और डीजी आईएसापीआर ने भी एक पत्रकार वार्ता की है. डीजी आईएसआई की तरफ से भी इमरान खान पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं और कहा गया है कि पूर्व सरकार ने सेना प्रमुख को अनिश्चित काल के लिए सेवा विस्तार की पेशकश की थी साथ ही ये भी कहा गया कि इमरान खान ने सेना के नेतृत्व को निशाना बनाया और उसे राजद्रोह और शासन परिवर्तन ऑपरेशन से जोड़ा.
डीजी आईएसआई ने इस बात का भी खुलासा किया कि जब इमरान सत्ता में थे तब उन्होंने अपनी गतिविधियों से हमेशा ही सेना और रक्षा विभाग को दबाव में रखा. वहीं पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने कहा कि पीटीआई नेता इमरान खान का घिनौना चेहरा देश के सामने तब आया जब शीर्ष खुफिया एजेंसी के प्रमुख ने अमेरिकी साइबर और अरशद शरीफ की हत्या के संबंध में प्रेशर के चलते रिकॉर्ड को छुपाया.
इमरान की फाइनल कॉल से पहले जिस तरह का माहौल पाकिस्तान में तैयार हुआ है. कहीं न कहीं वर्तमान सत्ता पक्ष द्वारा उन्हें एक विलेन की तरह पेश किया जा रहा है. जिसने अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से लोगों को तो लुभाया लेकिन भीतर ही भीतर मुल्क को दीमक की तरह चाट डाला. वहीं ये भी कहा गया कि इमरान खान कौमी नासूर बन गया है, और अब इसका मुकम्मल इलाज करना मुल्क और कौम के लिए जरूरी हो गया है.
जिक्र इमरान खान के खिलाफ पाकिस्तान में हुई पत्रकार वार्ताओं का हुआ है तो इसका लोगों पर कितना असर होता है ये देखना इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि अभी भी मुल्क में तमाम लोग ऐसे हैं जो ये चाहते हैं कि मुल्क में दोबारा चुनाव हों और इमरान खान पुनः सत्तासीन हों.
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