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Updated: 20 अगस्त, 2017 07:43 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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भाजपा और प्रधानमंत्री की दिनों दिन बढ़ती लोकप्रियता से जहां एक तरफ प्रतिदिन पार्टी में नई उर्जा का संचार हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष, खासतौर से कांग्रेस की नींद उड़ी हुई है. देश भर में हुए अलग-अलग चुनावों में लगातार मिलती हार से बौखलाई कांग्रेस इसी कोशिश में है कि कैसे वो जनता के बीच अपना खोया जनाधार प्राप्त कर सके.

मौजूदा वक़्त में जो कांग्रेस की स्थिति है उसके बाद ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि देश की जनता के बीच कांग्रेस अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही है. ये एक ऐसी लड़ाई है जिसमें कांग्रेस ने अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया है. साथ ही किसी जमाने में आम आदमी के बीच मजबूत जनाधार रखने वाली पार्टी कांग्रेस ने उन दलों की तरफ भी देखना शुरू कर दिया है जो लगातार प्रधान मंत्री की आलोचना करते रहे हैं.

राहुल गांधी, गठबंधन, कांग्रेस   स्थिति देखकर कहा जा सकता है कि मौजूदा दौर कांग्रेस के लिए अपनी साथ बचाने का दौर है

चाहे समाजवादी पार्टी, रालोद, तृणमूल हो या फिर बसपा और आप वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस का यही प्रयास है कि वो सबको अपने साथ ले ले और प्रधानमंत्री और भाजपा के विरुद्ध खुल के आ जाए. मौजूदा वक़्त में बात अगर 2019 के सन्दर्भ में हो तो ये वर्ष न सिर्फ भाजपा बल्कि कांग्रेस के लिए भी महत्वपूर्ण है. ऐसा इसलिए क्योंकि जहां एक तरफ ये वर्ष और इस वर्ष में हो रहे चुनाव आम जनता के बीच प्रधानमंत्री की यूएसपी को जाहिर करेंगे तो वहीं दूसरी तरफ इस चुनाव से ये भी सिद्ध हो जाएगा कि आम आदमी के बीच किसी समय सबसे लम्बी पार्टी के तौर पर राज करने वाली कांग्रेस को लेकर क्या मंशा है.

आज के हालात में कांग्रेस की स्थिति बड़ी दिलचस्प है. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी समय रणभूमि में अकेले युद्ध करने वाली कांग्रेस आज अन्य योद्धाओं का साथ चाहती है कह सकते हैं कि पूर्व के मुकाबले वर्तमान में, कांग्रेस गठबंधन को लेकर खासा गंभीर हुई है.

बहरहाल, भले ही आज कांग्रेस एक मजबूत विपक्ष का निर्माण करने की कोशिश कर रही है. और ये रणनीति बना रही है कि आने वाले चुनाव के मद्देनजर ऐसे कौन-कौन से प्रयास किये जाएं जिनपर चलते हुए वो मजबूत प्रतिद्वंदी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कड़ी चुनौती दे. मगर इन सब के बीच कांग्रेस अब भी उस दिशा में काम नहीं कर पाई जो उसके अस्तित्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण है. जी हां सही पहचाना आपने. हम राहुल गांधी के ही सन्दर्भ में बात कर रहे हैं. वो राहुल गांधी जो पार्टी और उसके करीबियों के लिए किसी सुपर स्टार सा दर्जा रखते हैं. वो राहुल गांधी जिनसे न मां सोनिया गांधी को बल्कि खुद पार्टी कांग्रेस को बड़ी उम्मीदें हैं.

गौरतलब है कि आज के समय में, भारतीय राजनीति में जो सबसे बड़ी समस्या दिख रही है वो ये है कि पूर्व की अपेक्षा वर्तमान में हमारा विपक्ष बेहद कमजोर है. आज विपक्ष के समक्ष जो सबसे बड़ी समस्या नजर आ रही है वो ये कि, विपक्ष के पास कुशल नेतृत्व का आभाव है साथ ही कमजोर जनाधार के चलते वो देश के आम नागरिकों के सामने अपनी पैठ कमजोर कर चुकी है. ऐसे में कांग्रेस के रूप में, हमारे सामने मौजूद विपक्ष को चाहिए कि पहले वो उन दिशाओं में काम करे जो उनको फर्श से अर्श पर ले जा सकता है.

राहुल गांधी, गठबंधन, कांग्रेस   गठबंधन में भीड़ जुटाने की अपेक्षा कांग्रेस को इस वक्त राहुल गांधी पर मेहनत करनी चाहिए

कांग्रेस के पास राहुल गांधी के रूप में वो चेहरा है जो संभवतः एक बड़ा बदलाव ला सकता है बशर्ते उसकी सही ग्रूमिंग की जाए. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. ये वो सत्य है जिसे न तो नाकारा जा सकता है न छुपाया जा सकता है. कांग्रेस आज मजबूत गठबंधन के लिए फिक्रमंद है. जबकि होना ये चाहिए कि वो राहुल की ढंग से ग्रूमिंग करे. उन्हें बेवजह के बयानों से रोके और उनके निरर्थक दौरों पर लगाम लगाए.

ये राहुल गांधी के लिए एक मुश्किल भरा दौर है. ऐसा इसलिए क्योंकि वो अपने नाम के आगे लगे गांधी को ढंग से भुनाने में असमर्थ हैं. राहुल गांधी को एक ऐसी टीम चाहिए जो समय-समय पर उन्हें बताती रहे कि उन्हें अपना एक-एक कदम फूंक-फूंक के रखना है. इसके अलावा राहुल को भी सोचना चाहिए कि वो दूध से कई बार जल चुके हैं और अब उन्हें छाछ भी फूंक के पीनी होगी.

कांग्रेस जितनी जल्दी इस बात को समझ ले उतना अच्छा है और यदि वो नहीं समझ पाती है तो फिर भविष्य में 2019 भी आएगा 2024 भी आएगा वो ऐसे ही अलग-अलग पार्टियों से विलय करके गठबंधन बनाएगी और हर बार ऐसे ही हार के वापस आएगी.

अंत में यही कहा जा सकता है कि जिस तरह आज कांग्रेस एक मजबूत विपक्ष के लिए गठबंधन पर इतनी मेहनत कर रही है, यदि उसकी आधी भी वो राहुल गांधी पर कर लें तो निश्चित तौर पर आने वाले वक़्त में उसके उजड़े बागों में बहार आ जाएगी और वो उस स्थान पर पहुंच जाएगी जहां जाना उसका उद्देश्य है. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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