दमदम से दिल्ली पहुंचे बंगाल के विवादित IPS अफसर राजीव कुमार 'दलदल' की ओर!
चुनाव आयोग की कार्रवाई के बाद पश्चिम बंगाल CID के एडीजी राजीव कुमार दिल्ली पहुंच तो गए, लेकिन उनकी मुसीबत कम नहीं हुई. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ शारदा घोटाले के सबूत नष्ट करने के मामले में आदेश दे सकता है.
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आपको पश्चिम बंगाल के वो पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार तो याद ही होंगे, जिन पर शारदा चिट फंड घोटाले के सबूत नष्ट करने का आरोप था. यदि इतने पर याद नहीं आ रहा, तो बताते हैं कि इन्हीं राजीव कुमार से पूछताछ के लिए सीबीआई टीम जब कोलकाता पहुंची थी तो हंगामा मच गया था. राजीव कुमार को साथ लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धरने पर बैठ गई थी. अब उन्हीं राजीव कुमार को चुनाव आयोग ने निर्वाचन प्रक्रिया निष्पक्ष रूप से अंजाम न देने पर गृह मंत्रालय दिल्ली ट्रांसफर कर दिया. राजीव कुमार को गुरुवार सुबह 11 बजे ऑफिस रिपोर्ट करना था, लेकिन वे दोपहर में पहुंच पाए. कोलकाता के दमदम हवाई अड्डे से सुबह 9 बजे उड़ान भरकर 11.20 बजे वे दिल्ली पहुंचे. लेकिन दिल्ली रिपोर्ट करते हुए उनके सिर पर नई तलवार टांग दी गई. राजीव कुमार की धड़कन बढ़ाने वाली जानकारी सुप्रीम कोर्ट से बाहर आई.
सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार की सुबह 10.30 बजे शारदा घोटाले के सबूत नष्ट करने के आरोप में राजीव कुमार के खिलाफ ऑर्डर सुना सकता है. यदि ऐसा होता है सीबीआई को कस्टडी में लेकर राजीव कुमार से पूछताछ करने की इजाजत मिल जाएगी. शारदा घोटाले के आरोपियों को बचाने का आरोप बीजेपी ममता बनर्जी सरकार पर लगाती रही है. इस घोटाले की जांच करते हुए आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार ने घोटाले से जुड़े लोगों की एक महत्वपूर्ण डायरी बरामद की थी. सीबीआई का आरोप है कि जब यह केस उसके पास आया तो राजीव कुमार ने वह महत्वपूर्ण डायरी नहीं सौंपी.
शारदा घोटाले में टीएमसी से जुड़े नेताओं के नाम सामने आए थे. आरोप लगाया गया कि इन्हीं आरोपियों को बचाने के लिए राजीव कुमार ने मदद की है. कोलकाता पुलिस प्रमुख रहते हुए राजीव कुमार से पूछताछ के लिए सीबीआई कोलकाता पहुंची थी, तो वहां पुलिस और सीबीआई की टीम के बीच झड़प भी हुई. और सीबीआई अफसरों को थाने ले जाया गया था. इसके बाद शुरू हुआ सियासी ड्रामा 70 घंटे तक जारी रहा था. जब तक कि सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उन्हें सीबीआई के समक्ष शिलांग में पेश होने का आदेश न दे दिया.
राजीव कुमार का बचाव के लिए ममता बनर्जी सरकार का इस्तेमाल करना केंद्र में बीजेपी का नागवार गुजरा था. बीजेपी के कई नेताओं ने इस पर तीखे बयान दिए थे. लेकिन वे कुछ कर नहीं पाए थे. अब चुनाव आयोग के आदेश के बाद राजीव कुमार को बंगाल से निकलकर दिल्ली आना पड़ा है. और कम से कम 23 मई चुनाव परिणाम आने तक तो उन्हें दिल्ली में गृह मंत्रालय में ही रिपोर्ट करना होगा. इस बीच सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार को आदेश के बाद पता नहीं क्या हो? और 23 मई को यदि मोदी सरकार दोबारा सत्ता में लौट आई तब तो गजब ही हो जाएगा.
राजीव कुमार जब कोलकाता पुलिस कमिश्नर थे उनके लिए ममता बनर्जी 70 घंटे तक धरने पर बैठी थीं.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ राजीव कुमार ही एक सरकारी अधिकारी हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई हुई है और वह इतनी चर्चा में आ गए. यह अकेले नहीं हैं, जिसकी वजह से सत्ता में भूचाल की स्थिति बनी है. इनसे पहले भी कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी हैं, जिसके चलते सियासी गलियारे में हलचल शुरू हो गई थी.
शुरुआत करते हैं आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट से
हमेशा पीएम मोदी पर हमलावर रहने वाले संजीव भट्ट इस समय जेल में हैं.
ये वही संजीव भट्ट हैं जिन्होंने 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे. इसके बाद उन्हें कई आरोपों के चलते बर्खास्त कर दिया गया. वह 2011 से निलंबित हैं और सितंबर 2018 से 'नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट' के तहत जेल में बंद हैं. आरोप है कि उन्होंने 22 साल पहले कथित तौर पर एक व्यक्ति को मादक पदार्थ रखने के आरोप में हिरासत में लिया था. अब संजीव भट्ट इस मामले में फंस गए हैं क्योंकि राजस्थान पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि राजपुरोहित नाम के उस शख्स को जानबूझकर फंसाया गया था. कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने संजीव भट्ट की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है.
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर भी चला सरकारी चाबुक
आलोक वर्मा को भ्रष्टाचार के आरोप में सस्पेंड किया गया था, जिस पर खूब राजनीति हुई थी.
यहां उन्हीं आलोक वर्मा की बात हो रही है, जिन पर केंद्रीय सतर्कता आयोग ने भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप लगाए थे. इन्हीं आरोपों के चलते उन्हें सीबीआई निदेशक से पद से हटाकर उन्हें फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस और होम गार्ड का महानिदेशक बना दिया गया था. पीएम मोदी के नेतृत्व में बनी सेलेक्शन कमेटी ने आलोक वर्मा को पद से हटाने का फैसला लिया था. इसके बाद से ही राहुल गांधी ने लगातार पीएम मोदी पर हमले करने शुरू कर दिए थे कि पीएम मोदी ने राफेल जेट डील में हुए घोटाले की जांच से बचने के लिए सीबीआई निदेशक का तबादला किया. आपको बता दें की सीवीसी की जांच रिपोर्ट में खुफिया एजेंसी रॉ द्वारा की गई टेलीफोन निगरानी का हवाला दिया गया था. आलोक वर्मा को पद से हटाने के बाद पूरा विपक्ष मोदी सरकार पर टूट पड़ा था. आलोक वर्मा ने कोई दूसरा पद लेने से इनकार करते हुए रिटायरमेंट ले ली और कहा था कि न्याय का गला घोंटा गया है.
IAS आशीष जोशी ने किया पद का दुरुपयोग !
आशीष जोशी पर पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगा था.
उत्तराखंड में पोस्टेड डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने कंट्रोलर ऑफ कम्युनिकेशन एकाउंट्स आशीष जोशी को भी मोदी सरकार ने निलंबित कर दिया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने सरकारी पद का दुरुपयोग किया, लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा की और सरकारी अधिकारी के कंडक्ट के लिए जो नियम बनाए गए हैं, उनका उल्लंघन किया. दरअसल, आशीष जोशी ने दिल्ली के विधायक कपिल मिश्रा के खिलाफ दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से शिकायत की थी कि उन्होंने एक भड़काऊ मैसेज सोशल मीडिया पर डाला है, जो इंडियन पीनल कोड और आईटी एक्ट का सरासर उल्लंघन किया है. इसके अलावा भी उन्होंने रवीश कुमार, अभिसार शर्मा, बरखा दत्त और कई अन्य लोगों को वाट्सऐप और सोशल मीडिया पर धमकी देने की शिकायत के आधार पर 9 टेलिकॉम कंपनियों को नोटिस भेजकर 15 दिन में कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी थी.
पीएम के काफिले की तलाशी लेकर फंसे मोहसिन
ओडिशा में पीएम के काफिले की तलाशी लेकर मोहम्मद मोहसिन ने नियमों का उल्लंघन किया, जिसके चलते उन्हें सस्पेंड कर दिया गया.
आईएएस मोहम्मद मोहसिन ने कुछ समय पहले ही ओडिशा के संबलपुर में पीएम के काफिले की तलाशी ली थी. पीएम मोदी वहां दौरे के लिए गए थे, जबकि चुनाव आयोग की तरफ से वहां पर मोहम्मद मोहसिन को ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त किया गया था. पीएमओ ने चुनाव आयोग से मोहसिन की शिकायत की थी. आपको बता दें कि चुनाव आयोग हर जगह ऑब्जर्वर नियुक्त करता है, ताकि निष्पक्ष चुनाव हो सकें. यहां ये भी जानना जरूरी है कि जिन्हें एसपीजी सुरक्षा मिली होती है, उन्हें इस तरह की जांच से छूट होती है. यही वजह है कि मोहम्मद मोहसिन को नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया था.
रिश्वतखोरी में फंसे आईएएस प्रदीप शर्मा
प्रदीप शर्मा का आरोप है कि 2009 में मोदी और शाह ने उनसे एक महिला आर्किटेक्ट की जासूसी कराई थी.
पूर्व आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा भी 2007-2008 के एक मामले में फंसे हुए हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने उस दौरान 25 लाख रुपए की रिश्वत ली थी. इसके बाद 2010 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. उन पर भ्रष्टाचार के कुल 5 मामले दर्ज हैं. तब से लेकर अब तक प्रदीप शर्मा बीच-बीच में कई बयान देते रहते हैं. लोकसभा चुनावों से पहले 2013 में तो उन्होंने स्नूपगेट मामला भी उजागर किया था. उनका दावा था कि 2009 में मोदी और शाह ने उनसे एक महिला आर्किटेक्ट की जासूसी कराई थी. वह आरोप लगा चुके हैं कि पीएम मोदी उन्हें परेशान कर रहे हैं, क्योंकि वह पीएम मोदी के बारे में कई राज जानते हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान तो कांग्रेस ने भी स्नूपगेट मामले को मोदी सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश की थी.
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