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Updated: 08 जुलाई, 2020 06:36 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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जिस हिसाब से उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh Police ) एक के बाद एक छापेमारी को अंजाम दे रही है उत्तर प्रदेश के कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर फरार होने वाले गुंडे विकास दुबे (Vikas Dubey) का बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. बात चूंकि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था (UP Law And Order) पर आ गयी है इसलिए सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) भी इस मामले पर नजर बनाए हुए हैं. कहा जा रहा है कि विकास दुबे को लेकर यूपी पुलिस को फ्री हैंड मिल गया है इसलिए किसी भी क्षण विकास दुबे के ढेर होने की खबर हमारे बीच आ सकती है. जिस हिसाब से विकास दुबे ने घटना को अंजाम दिया है आम आदमी से लेकर पुलिस के आला अफसर तक सकते में आ गए हैं. वहीं एक वर्ग वो भी है जो विकास का समर्थन कर रहा है और विकास को ब्राह्मणों का शेर बता रहा है. ऐसे लोगों से जो बातें बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे (Bihar DGP Gupeshwar Pandey) ने कहीं हैं उन्हें DGP की बातें सुननी चाहिए और उनका आत्मसात करते हुए अपने को अपराधियों के समर्थन से अलग कर लेना चाहिए.

Gupteshwar Pandey, Bihar DGP, Vikas Dubey, Criminal, Kanpurजाति पर राजनीति करने वाले सभी लोगों को बिहार के डीजीपी की बातें सुननी चाहिए

फरारी के बाद से ही ये खबर चर्चा का विषय है कि विकास दुबे बिहार के रास्ते नेपाल भाग गया है इसपर जब DGP गुप्तेश्वर पांडे से बात की गई तो उन्होंने साफ लहजे में कह दिया कि अगर विकास बिहार की सीमा को लांघता है तो उसका बचना असंभव है.

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि लोगों ने मामले को जातीय रंग देने के लिए विकास की तुलना ब्राह्मणों के शेर से की है. फेसबुक का हवाला देते हुए डीजीपी पांडे ने कहा कि मैंने देखा कि एक आदमी ने अपने फेसबुक पर लिखा था कि वह ब्राह्मणों का शेर है. ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए. ये शर्मनाक है कि आप एक पेशेवर अपराधी को अपनी जाति का हीरो बनाते हैं. अगर हर जाति के लोग अपनी अपनी जाति के पेशेवर अपराधियों को हीरो बनाने लगे तो समाज कहां जाएगा. फिर तो किसी दिन कोई अपराधी लाल किले पर जाकर तिरंगा फहराएगा. शर्म की बात है कि इसे जातीय रंग दिया जा रहा है.

आगे अपनी बात कहते हुए डीजीपी ने कहा कि अपराध की संस्कृति इसी को कहते हैं. अपराध रोकना केवल पुलिस का काम नहीं है. इसके लिए समाज के लोगों को गंभीर और जागरूक दोनों होना पड़ेगा. जो अपराधी हैं उसे शेर न बनाएं. हीरो न बनाएं. उनका सम्मान न करें.

डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि अगर ऐसा करेंगे तो अपराध की संस्कृति बढ़ेगी. हमारे जो 8 आदमी शहीद हुए वे सब शेर थे. मामले को लेकर डीजीपी ने सवाल किया है कि यदि एक गुंडे की इस कायराना हरकत के कारण उसे शेर की संज्ञा दी जा रही है तो फिर भगत सिंह कौन थे? सुभाष चंद्र बोस कौन थे? अब्दुल हमीद कौन थे? अशफ़ाक़ उल्लाह खान कौन थे? गुप्तेश्वर पांडे के अनुसार शेर वो होता है जो वतन के लिए शहीद होता है. जो समाज के लिए जीता है. समाज के लिए मरता है.

अपराधी किसी जात का हो किसी मज़हब का हो किसी दल का हो अपराधी सिर्फ अपराधी होता है. वो तमाम लाग जो आज विकास दुबे को किसी हीरो की तरह देख रहे हैं उन सभी को चुल्लू भर पानी में डूब मर जाना चाहिए. गौरतलब है कि जैसे ही ये मामला सामने आया सोशल मीडिया पर इसे जातिगत रंग दिए जाने लगे. तमाम लोग ऐसे थे जो इस मुद्दे पर खुलकर सामने आए और जिन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए विकास दुबे की शान में कसीदे पढ़े.

अपने को माफिया समझने वाला एक अदना सा गुंडा विकास दुबे कब पकड़ा जाता है? पकड़ा भी जाता है या फिर उसका एनकाउंटर होता है जैसे सवालों के जवाब वक़्त देगा मगर उन तमाम लोगों को संभल जाना चाहिए जो विकास दुबे के कंधे पर बंदूक रखकर अपनी अपनी सहूलियत के लिहाज से फायरिंग कर रहे हैं. ऐसी निर्मम वारदात की भी अगर लोग जाति के चश्मे से देख रहे हैं तो वाक़ई ये विचलित करने वाला है.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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