नीतीश कुमार के नहले से पहले बिहार में DGP गुप्तेश्वर पांडे का दहला!
बिहार के चर्चित चेहरों में शुमार डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे (Bihar DGP Gupteshwar Pandey) ने वीआरएस ले लिया है और बक्सर से चुनाव (Bihar Election) लड़ने की बात कही है. मामले को लेकर सोशल मीडिया पर सरगर्मियां तेज हैं.
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उत्तर प्रदेश के उन्नाव (Unnao) में पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या कर यूपी का हिस्ट्री शीटर विकास दुबे (Vikas Dubey) जब फरार हो गया था, तभी खबर आई थी कि विकास बिहार होते हुए नेपाल भागने की फ़िराक़ में है. इस जानकारी के बाद बिहार के तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे (Gupteshwar Pandey) का बयान आया था और उन्होंने विकास दुबे के साथ सख्त से सख्त सुलूक करने की वकालत की थी. इसके बाद गुप्तेश्वर पांडे उस वक़्त सुर्खियों में आए जब एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की मौत मामले में एक्टर रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) की गिरफ्तारी की बात हुई. अब एक बार फिर बिहार के डीजीपी रह चुके गुप्तेश्वर पांडे सुर्खियों में हैं. कारण बना है उनका वीआरएस (VRS) और चुनाव लड़ने का फैसला. बिहार चुनाव से ठीक पहले गुप्तेश्वर पांडे ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी कि VRS ले लिया है. पांडे 1987 बैच के आईपीएस ऑफिसर थे. गृह विभाग ने उनकी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मंजूर कर लिया है. अनुमान लगाया जा रहा है कि पांडे NDA के प्रत्याशी के रूप में बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) लड़ेंगे.
बिहार पुलिस में डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने अपने फैसले से सभी को हैरत में डाल दिया है
बताते चलें कि अभी हाल ही में गुप्तेश्वर पांडे ने बक्सर में जेडीयू के जिलाध्यक्ष से औपचारिक मुलाकात की थी इसलिए माना जा रहा है कि पांडे बक्सर या आरा जिले से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. गुप्तेश्वर पांडे को लेकर एक दिलचस्प बात ये भी है कि उन्होंने 2009 में वीआरएस के लिए आवेदन दिया था और लोकसभा चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की बात कही थी. तब उन्होंने इस बात को स्पष्ट किया था कि वो किसी भी राजनीतिक दल में नहीं हैं साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि किसी भी पार्टी को जॉइन करने का उनका इरादा बिल्कुल नहीं है. वो जो भी कर रहे हैं समाजसेवा के अंतर्गत कर रहे हैं.
गुप्तेश्वर पांडे द्वारा लिए गए इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है. एक बड़ा वर्ग है जिसका मानना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का करीबी होने के नाते उन्होंने आपदा में अवसर तलाश लिया है.
Request for VRS by DGP Bihar Gupteshwar Pandey,Granting VRS by Bihar Govt/Union Govt in 24 hours is as fast as Bihar Govt Transfer of FIR against Rhea to CBI,acceptance of it by Union Govt. This is not justice for SSR but Justice for Pandey: Satyamev Jayate:Adv Satish Maneshinde
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) September 22, 2020
गौरतलब है कि गुप्तेश्वर पांडेय को 31 जनवरी 2019 को बिहार के डीजीपी का पदभार दिया गया था. बतौर डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का कार्यकाल 28 फरवरी 2021 तक था. हाल के दिनों में अपने कईकामों के अलावा बयानों से सुर्खियां बटोरने वाले गुप्तेश्वर पांडे का शुमार उन अधिकारियों में है जिनकी कार्यशैली के चलते अपराधी उनसे ख़ौफ़ खाते हैं. कह सकते हैं कि यदि आज बिहार के अपराध पर लगाम कसी गई है तो इसमें गुप्तेश्वर पांडे का बड़ा हाथ है. गुप्तेश्वर पांडेय स्पेशल सेल में आइजी भी रहे हैं.
Bihar Governor approves the request of Director General of Police (DGP) Gupteshwar Pandey, seeking VRS from services. He will contest Assembly election from Buxar.
— Ravi Tiwari Bihari (@iRaviTiwari) September 23, 2020
कुल मिलाकर गुप्तेश्वर पांडेय को आम जनमानस के अलावा सरकार की नजर में भी अपराध नियंत्रक और कड़क प्रशासक माना जाता है. बात अगर बीते दिनों हुए लॉकडाउन की होंटो उस वक़्त भी गुप्तेश्वर पांडे पुलिसकर्मियों के साथ सीधी बात कर उनका हौसला बढ़ाने के लिए सुर्खियों में आए थे.
ये कोई पहली बार नहीं है जब पुलिस विभाग का कोई अधिकारी चुनाव लड़ रहा हो लेकिन जिस तरह गुप्तेश्वर पांडे ने पहले वीआरएस लिया फिर चुनाव लड़ने की बात कही वो चर्चा में इसलिए भी आ रहा है क्योंकि जैसी इनकी छवि है साथ ही जैसे ये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करीबी हैं ये उन्हें बड़ा फायदा दे सकता है.
वीआरएस के बाद चुनाव लड़ने की घोषणा गुप्तेश्वर पांडे का सुर्खियों में आना और प्रतिक्रिया मिलना स्वाभाविक था. ट्विटर पर सरगर्मियां तेज हैं और पांडे के इस फैसले को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं.
बिहार में डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे के वीआरएस को लेकर तृणमूल नेता महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया है और तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि अब इस देश की जनता को ही इस बात का फैसला करना है कि जो कुछ भी पांडे ने किया वो सही है या गलत.
Bihar DGP Gupteshwar Pandey takes VRS- may contest from Buxar for BJPNo serving bureaucrat, IPS, or SC judge is above suspicion nowadays. Every word or action of theirs should be analysed by citizens.https://t.co/KPAwhSHIOe via @IndianExpress
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) September 23, 2020
मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकार निखिल वागले ने कहा है कि सब कुछ पूर्व नियोजित और पूर्व निर्धारित था.
Seems everything was preplanned! https://t.co/LlcmL4bMpE
— nikhil wagle (@waglenikhil) September 23, 2020
वीआरएस के बाद अब जनता भी पांडे के इस कृत्य को शक की निगाह से देख रही है.
Sushant Singh didn't get justice but:1. Republic got TRP2. Kangana got chance to attack Shivsena and Bollywood.3. BJP got election issue.4. Gupteshwar Pandey will get BJP TicketAnd finally5. Modi ji got diversion issue.है ना कमाल।
— तेरे भाई नवोदय वाले (@tere_bhai) September 23, 2020
सोशल मीडिया पर ऐसे भी तमाम यूजर्स हैं जिनका मानना है कि गुप्तेश्वर पांडे के राजनीति में आने के बाद बिहार और बिहार की राजनीति की सीरत और सूरत दोनों ही बदल जाएगी.
Bihar needs a leader who can truly take the state towards development. Gupteshwar pandey ji entered politics, Happy to hear. Now development in bihar will catch new pace. @ips_gupteshwar #BiharWithGupteshwarPandey
— ITS K!SHU #MI (@double_century) September 23, 2020
बिहार चुनाव से पहले गुप्तेश्वर पांडे के वीआरएस को डेक बड़ा फैसला माना जा रहा है और इसे लेकर तरह तरह की बातें हो रही हैं.
So Bihar DGP Gupteshwar Pandey of ‘Justice for SSR’ fame seeks & gets VRS from IPS to contest elections. By choosing to do this precisely on the #PoliceReformsDay, he turns the knife in the hearts of those fighting for the cause.
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) September 23, 2020
बहरहाल अब जबकि गुप्तेश्वर पांडे वीआरएस ले चुके हैं और आरा या बक्सर में से कहीं पर से भी चुनाव लड़ सकते हैं. साफ़ संकेत मिल रहे हैं कि बिहार का चुनाव दिलचस्प होगा. चुनाव से पहले जैसे एक के बाद एक सियासी उठापटक हम बिहार में देख रहे हैं ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि गुप्तेश्वर पांडे का वीआरएस बानगी भर है. अभी हम ऐसे बहुत से नज़ारे देखेंगे जिसकी कल्पना हमने शायद ही कभी की हो.
कुल मिलाकर बस इतना कि आने वाला वक़्त दिलचस्प है. हमें बस चीजों, परिस्थितियों और जनता का गहनता से अवलोकन करना है और ये समझना है कि राजनीति और सत्ता सुख इंसान से क्या क्या करवाता है.
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