Bilkis Bano gangrape case के 11 दोषी रिहा, तमाम सवाल हैं और न जाने जवाब कौन देगा!
बिलकिस बानो गैंगरेप मामले (Bilkis Bano Gangrape case) में सभी 11 दोषियों को रिहा किया जाना तमाम तरह के सवाल तो खड़े करता ही है. साथ ही ये भी बताता है कि बात यहां सिर्फ बिलकिस बानो की नहीं. बल्कि उनके जैसा अपमान झेल झुकी सभी नारियों की है. वो चाहे किसी भी धर्म की हों या हमारे समाज के किसी भी तबके से आती हों. नारी का तो केवल सम्मान ही होना चाहिए.
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इस लेख का मुद्दा बहुत संजीदा है क्योंकि वो दुनिया के सबसे जघन्य अपराध बलात्कार से जुड़ा है. इसके साथ ही कई रेप और हत्याओं के आरोपियों के जेल से छोड़े जाने से जुड़ा है...क्या सजा काट रहे दोषियों को छोड़ा जाना चाहिए था? दोषियों को छोड़ा गया तो आखिर क्यों छोड़ा गया? ऐसा कौन सा प्रावधान था जिसके तहत दोषी छोड़े गए? जबकि कुछ जानकारों के मुताबिक केंद्र के कानून के अनुसार बलात्कार के दोषियों को रिहा नहीं किया जाना चाहिए था. आप शायद सोच रहे होंगे कि आखिर किसके बारे में बात हो रही है.
मुद्दे के तार जुड़े हैं 20 साल पुरानी घटना से..
2002 में गुजरात में हुए गोधरा हत्याकांड की बात तो आपको याद ही होगी. उसी दौरान गुजरात में दंगे भड़क गए थे और एक महिला बिलकिस बानो के साथ कुछ लोगों ने गैंगरेप किया गया था और उनके परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी थी. इस जघन्य अपराध की डिटेल तो हम आपको इतिहास वाले सेगमेंट में बताएंगे लेकिन हमारे शो का मुद्दा ये कि इस मामले में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया है. इन दोषियों की रिहाई का फैसला गुजरात सरकार ने लिया है.
इस बारे में भी विस्तार से बात करेंगे जब हम पूरा मामला समझेंगे लेकिन आप सोचिये एक तरफ तो देश में अक्सर चर्चा चलती रहती है कि सबसे जघन्य अपराध बलात्कार के दोषियों की पहचान करके उन्हें जल्द-से-जल्द मृत्युदंड दिया जाना चाहिए और कहां ये दूसरी तरफ दोषी करार दिए गए लोगों को छोड़ा जा रहा है, रिहा किया जा रहा है और जरा इन बेशर्मों की बेहयाई तो देखिये कैसे ये लोग खुशी माना रहे हैं और मिठाई बांटी जा रही है.. मुझे तो ये देखकर भी घिन आती है..
बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में कोर्ट ने सभी दोषियों को रिहा कर दिया है
ये कैसा समाज है जो बलात्कार के दोषियों का सम्मान कर रहा है? और दोषी ठहाके लगा रहे हैं.. ये तस्वीरें दरअसल वीभत्स करार देनी चाहिए..
बात यहां सिर्फ बिलकिस बानो की नहीं. बल्कि उनके जैसा अपमान झेल झुकी सभी नारियों की है. वो चाहे किसी भी धर्म की हों या हमारे समाज के किसी भी तबके से आती हों. नारी का तो केवल सम्मान ही होना चाहिए. हमारे देश में तो कहा भी जाता है कि नारी सर्वत्र पूज्यन्ते! कितनी ही देवियों को पूजे जाने और उनकी उपासना की कथाएं हम पढ़ते हैं तो फिर क्यों ये समाज और कुछ चंद लोग ये भूल जाते हैं और नारी की अस्मिता से खिलवाड़ करते हैं, क्यों उनकी इज्जत को धूल में मिला देते हैं?
बिलकिस बानो केस में गोधरा उप कारागर में बंद रहे सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत 15 अगस्त रिहा कर दिया गया. इनके नाम हैं – जसवंतभाई नाई, गोविंदभाई नाई, शैलेश भट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोरढ़िया, बाकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट और रमेश चांदना. दोषियों ने बिलकिस बानो के साथ जघन्य अपराध किया था.
बिलकिस के साथ गैंगरेप किया गया था और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. सभी आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार कर लिया गया था. एक आरोपी की ट्रायल के दौरान मौत हो गई थी. जबकि, बाकी 7 आरोपियों को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया था.
11 दोषियों को 2008 में सीबीआई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी दोषियों की सजा को बरकरार रखा था.
अभी तो हमने इतने शानदार तरीके से 15 अगस्त मनाया था. घर-घर तिरंगा भी लहराया था. खुद प्रधानमंत्री मोदी जी देश को संबोधित करते हुए लाल किले की प्राचीर से महिलाओं पर हो रहे अपमान पर बोलते हुए भावुक हो गए थे. पीएम मोदी ने तरक्की के लिए नारी शक्ति के सम्मान को जरूरी बताया. अपने भाषण की शुरुआत में पीएम मोदी ने रानी लक्ष्मी बाई और बेगम हजरत महल सहित भारत की महिला सेनानियों को भी श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि महिलाएं देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, हमें उनका सम्मान करना चाहिए.
ठीक उसी दिन गुजरात में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप करने वाले अभियुक्तों की रिहाई हो रही थी.
2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के अपराध में उम्रकैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को रिहा किए जाने की खबर से उनका परिवार हैरत में है. घटना के 20 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी बिलकिस के पास स्थायी घर नहीं है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बिलकिस बानो के पति याकूब रसूल ने गैंग रेप के दोषियों की रिहाई पर बात करते हुए कहा कि पहले उनकी पत्नी को भरोसा नहीं हुआ कि ऐसा हुआ है.
रसूल ने कहा कि कुछ देर बाद बिलकिस रोने लगीं और फिर खामोश हो गईं. अखबार ने बिलकिस से संपर्क किया तो उन्होंने कहा, 'मुझे अकेला छोड़ दें. मैंने अपनी बेटी सालेहा की आत्मा के लिए दुआ की है.' हम भी बिलकिस की उस साढ़े तीन साल की सालेहा की आत्मा की शांति के लिए दुआ करते हैं और उम्मीद करते हैं 11 दोषियों को छोड़े जाने के फैसले पर सरकार फिर से विचार करेगी क्योंकि उम्रकैद के दोषियों को छोड़ने में व्यवहार, उम्र और अपराध की प्रकृति देखी जाती है.
किसी सरकार को ये जघन्य अपराध, रिहा करने की प्रकृति का कैसे लग सकता है? रिहाई की पैरवी करने वाली कमेटी और सरकार के लोगों के मन में ये विचार भी कैसे आया होगा कि एक ऐसे केस में जिसमें गर्भवती बिलकिस बानो का गैंग-रेप किया गया था उसके दोषियों को रिहा कर दिया जाए? ऐसे समाज पर भी सवाल उठते हैं..बिलकिस बानो
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