राष्ट्रपति चुनाव में आम राय बनाने निकली बीजेपी की अपनी कोई राय नहीं
विपक्ष की कमेटी तो राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार से ज्यादा किसानों के मामले में दिलचस्पी लेती दिखाई दे रही है. सत्ता पक्ष की टीम तो हर किसी के मन की बात जानने में जुटी है जिससे आम राय बन सके, लेकिन...
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राष्ट्रपति चुनाव पर हर तरफ आम राय की कोशिश हो रही है. विपक्ष आपस में आम राय से उम्मीदवार तय करना चाहता है. सत्ता पक्ष अपने उम्मीदवार पर विपक्ष के साथ आम राय बनाने की कोशिश में है.
विपक्ष की ओर से इसके लिए 10 लोगों की एक कमेटी बनी है और सत्ता पक्ष की ओर से भी तीन मंत्रियों की टीम एक्टिव हो चुकी है. विपक्ष की कमेटी तो राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार से ज्यादा किसानों के मामले में दिलचस्पी लेती दिखाई दे रही है. सत्ता पक्ष की टीम तो हर किसी के मन की बात जानने में जुटी है जिससे आम राय बन सके.
आपकी राय क्या है?
बीजेपी नेताओं की टीम 10 जनपथ पहुंची तो वहां सोनिया गांधी के साथ साथ गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खर्गे भी मौजूद थे. बात और मुलाकात के बाद नेताओं ने विदा ली. बाद में गुलाम नबी आजाद ने बताया कि बीजेपी नेता तो उन्हीं लोगों से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का नाम पूछ रहे थे. कांग्रेस की ओर से बताया गया कि जब उन्होंने बीजेपी की ओर से कोई नाम जानना चाहा तो कुछ नहीं बोले.
आम राय के लिए राय देना भी जरूरी होता है...
कुछ ऐसी मुलाकात सीपीएम हेडक्वार्टर में हुई. करीब आधे घंटे की मुलाकात के पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने बताया कि उन्हें सरकार के उम्मीदवार का इंतजार रहेगा. येचुरी ने ये भी बताया कि बीजेपी नेता उनका समर्थन चाहते थे तो उन्होंने कहा ठीक है. लेकिन जब पूछा की समर्थन का आधार बताएं, उम्मीदवार कौन है? येचुरी के मुताबिक बीजेपी नेताओं ने कहा - इसमें कुछ वक्त लेंगे.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सीपीआई महासचिव सुधाकर रेड्डी ने जब बीजेपी नेताओं से मुलाकात में शिवसेना के उस प्रस्ताव के बारे में पूछा जिसमें मोहन भागवत का नाम सुझाया गया था तो जवाब मिला - "आरएसएस नेता चुनाव नहीं लड़ते.”
जाहिर है शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे से मुलाकात में भी यही बात स्पष्ट की गयी होगी. तभी तो शिवसेना की ओर से अब एमएस स्वामीनाथन का नाम लिया जा रहा है.
कुछ मार्गदर्शन भी हो जाए
विपक्षी नेताओं के साथ तो मुलाकात शिष्टाचार का हिस्सा हो सकती है, लेकिन मार्गदर्शक मंडल का तो हक बनता है कि उम्मीदवार का नाम पूछा जाये. बीजेपी मंडली जब वरिष्ठों - लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से मिली तो सबसे बड़ा सवाल वही था - उम्मीदवार का नाम बताएं. शायद, ये संदेश भी कि राय पूछने का मतलब भी समझ लें - आप तो उम्मीदवार हो नहीं सकते. वहां से भी खबर यही है कि वरिष्ठों ने भी बोल दिया कि उनके पास कोई नाम नहीं है.
तमाम नामों के बीच सुषमा स्वराज का नाम भी रह रह कर उछल रहा था, सो पत्रकारों ने पूछ ही लिया, बोलीं, "यह सब सिर्फ अफवाह है, मैं एक विदेश मंत्री हूं और आप मुझसे जो पूछ रहे हैं वह पार्टी के अंदर की बात है."
वैसे बीजेपी नेता लगातार नेताओं से संपर्क कर रहे हैं. किसी से मिल कर तो किसी से फोन पर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले उम्मीद है तस्वीर साफ हो जाएगी. तब तक आम राय के लिए बीजेपी नेताओं की टीम सबकी राय ले रही है लेकिन अपनी कोई राय नहीं दे रही.
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