सॉफ्ट हिंदुत्व के मुकाबले बीजेपी का सियासी ब्रह्मास्त्र है सॉफ्ट सेक्युलरिज्म
बात पते की ये है कि बीजेपी का सॉफ्ट सेक्युलरिज्म सिर्फ पश्चिम बंगाल तक ही सीमित रहेगा या कोई अखिल भारतीय स्वरूप भी अख्तियार कराने का आइडिया है?
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कांग्रेस की हिंदुत्व के खिलाफ बनती छवि को बदलने के लिए लिए राहुल गांधी ने मंदिर दौरा शुरू किया. अयोध्या में इस दौरे की नींव रखने के बाद राहुल गांधी ने गुजरात में खूब मंदिर दौरा किया - और बाकी बातों के साथ साथ इससे भी कांग्रेस को भारी फायदा हुआ. राहुल गांधी के मंदिर दर्शन कार्यक्रम को सॉफ्ट हिंदुत्व स्टैंड के तौर पर देखा जाने लगा. अब तो पता चला है कि कर्नाटक चुनाव में भी राहुल गांधी अपना ये एजेंडा चालू रखेंगे.
राहुल की देखा देखी पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने भी सॉफ्ट हिंदुत्व के एक्सपेरिमेंट किये. अब बीजेपी को लग रहा है कि उसका सबसे मजबूत दांव तो उसी के खिलाफ जाने लगा है.
कलर गाढ़ा होने पर भगवा ही क्यों होता है?
लखनऊ के हज हाउस पर भगवा रंग चढ़ाने के बाद मचे बवाल के फौरन बाद उसे उतारना पड़ा. इस मामले में यूपी सरकार के अफसर की सफाई बड़ी दिलचस्प रही. पहले तो अफसर ने ठीकरा ठेकेदार के सिर फोड़ दिया और फिर समझाने की कोशिश की कि कलर गाढ़ा होने के कारण वैसा हो गया था. गजब की दलील है - गाढ़ा करने पर रंग भगवा हो जाता है! रंग तो और भी हैं गाढ़ा करने पर दूसरे क्यों नहीं निखर कर आते?
बीजेपी बीच बीच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्लोगन 'सबका साथ सबका विकास' को हकीकत के करीब दिखाने की कोशिश करती है, लेकिन हर बार उसे ठीकरा फोड़ने के लिए एक ठेकेदार चाहिये होता है - और इसी चक्कर में कई बार लेने के देने भी पड़ जाते हैं.
बहरहाल, हज हाउस नये कलर के साथ अब अपने पुराने रंग में लौट आया है. मदरसों के बारे में यूपी सरकार का कहना है कि ऐसा कोई फरमान नहीं दिया गया है निजी तौर पर जो जैसा रंग रखना चाहे ये उसकी मर्जी पर निर्भर करता है.
Lucknow: Boundary wall of Haj samiti office which was painted saffron yesterday has been repainted to original colour. Haj Samiti Secretary RP Singh has blamed the contractor for the incident pic.twitter.com/67pdCNCjF7
— ANI UP (@ANINewsUP) January 6, 2018
देश में कांग्रेस तो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी पर बीजेपी मुस्लिम तुष्टीकरण का इल्जाम लगाती रही है. बीजेपी की तोहमत से मुकाबले के लिए ममता बनर्जी ने कांग्रेस की ही तर्ज पर सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते चलते हुए ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन किया था. ममता के इस यू-टर्न का जवाब देने के लिए बीजेपी ने भी अपने एजेंडे से यू-टर्न लेते हुए मुस्लिम सम्मेलन का फैसला किया.
बंगाल में बीजेपी का मुस्लिम सम्मेलन
पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने पहला मुस्लिम सम्मेलन नवंबर में किया था - और अब दो महीने के भीतर ही दूसरा सम्मेलन हो रहा है. इसी से मालूम होता है कि बीजेपी के अंदर मुस्लिम वोटों को लेकर कितनी बेसब्री है.
नजर लागी वोटों पर...
यूपी चुनावों में मुस्लिमों के प्रति रवैये से आगे बढ़ते हुए पश्चिम बंगाल नगर निकाय चुनाव में बीजेपी ने 10 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था. हालांकि, उसे इसका कोई फायदा नहीं मिला.
पश्चिम बंगाल में मुस्लिम आबादी तकरीबन 30 फीसदी है. पहले वाम मोर्चा और फिलहाल तृणमूल कांग्रेस के हाथ में सत्ता होने की ये एक बड़ी वजह समझी जाने लगी है. देर से ही सही लेकिन बीजेपी को भी अब मुस्लिम वोटरों को रिझाने का आइडिया दुरूस्त लगने लगा है. बीजेपी को समझ आ चुका है कि मुस्लिम सपोर्ट के बगैर बंगाल में पांव जमाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
तुम्हीं मेरे...
बीजेपी की नजर फिलहाल इसी साल होने जा रहे पंचायत चुनावों पर है. मुकुल रॉय के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद चुनावों में जीत का दारोमदार काफी हद तक उनके ऊपर भी है. ममता के खिलाफ उन्हीं का दांव चलने के लिए ही बीजेपी ने मुकुल रॉय को अपने पाले में मिलाया - और अब उसका रंग दिखने लगा है. मुकुल रॉय के इस मिशन में राज्य बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष तो लगे ही हैं, बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल राशिद अंसारी भी कोलकाता में डेरा डाल चुके हैं.
पिछले साल सितंबर का एक वाकया याद कीजिए. सितंबर में प्रधानमंत्री मोदी दो दिन के लिए वाराणसी जाने वाले थे और उससे पहले ही यूपी के मदरसों को एक चिट्ठी मिली. ये चिट्ठी स्वतंत्रता दिवस मनाये जाने के तरीके के फरमान के महीने भर के भीतर ही मिला था. पहले वाले पर तो नहीं लेकिन दूसरी चिट्ठी पर कई मदरसा प्रबंधकों ने ऐतराज तो जताया ही, साफ तौर पर मना भी कर दिया. चिट्ठी में प्रधानमंत्री मोदी के संवाद कार्यक्रम के लिए कम से कम 25 महिलाओं को भेजने को कहा गया था. विवाद के बाद, मोदी के वाराणसी पहुंचने से पहले ही कार्यक्रम रद्द कर दिया गया.
त्वमेव माता...
एक ही सवाल बार बार उठता है कि जब बीजेपी डंके की चोट पर कट्टर हिंदुत्व का एजेंडा लेकर चलती है - फिर उसे मुस्लिम समुदाय से ऐसे टूल्स से कनेक्ट होने की जरूरत बार बार क्यों पड़ती है?
दरअसल, यू टर्न राजनीतिक का ऐसा शगल है कि बगैर उसके किसी भी नेता या पार्टी की गाड़ी आगे बढ़ती ही नहीं. यही वजह है कि ममता को उन्हीं की चाल से मात देने के लिए बीजेपी ने सॉफ्ट सेक्युलरिज्म का रास्ता अपनाया है - ये बात अलग है कि बीजेपी इस 'सबका साथ सबका विकास' बता रही है.
सबका साथ सबका विकास पार्ट - 2
वैसे तो 'सबका साथ, सबका विकास' बीजेपी का स्लोगन है - पर, लगता है कि कुछ ही दिनों में इससे मिलती जुलती पैरोडी सभी पार्टियों में सुनने को मिलेगी. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने साढ़े सात हजार से ज्यादा ब्राह्मणों को गीता भेंट की. गुजरात में राहुल गांधी करीब डेढ़ सौ मंदिरों में 'श्रीराम सांध्य आरती समिति' बनाकर उन्हें कोई विशेष किट देने की तैयारी कर रही है - और बीजेपी मुस्लिम सम्मेलन कर रही है. बीजेपी के राशिद अंसारी का कहना है कि पार्टी सिर्फ नारेबाजी नहीं करती बल्कि वो तो 'सबका साथ, सबका विकास' के मूल मंत्र को ही आगे बढ़ा रही है.
अब तक कट्टर हिंदुत्व का झंडा उठाने के साथ ही 'मंदिर वहीं बनाएंगे...' पर फोकस बीजेपी सेक्युलरिज्म के मोह में कहीं वैसी ही गलती तो नहीं कर रही जैसी पाकिस्तान जाकर सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कर डाली. जिन्ना को सेक्युलर बता कर आडवाणी ने तो अपना राजनीतिक जीवन ही कुल्हाड़ी पर दे मारा. आडवाणी को तो मौजूदा नेतृत्व ने मार्गदर्शक मंडल में भेजा है - 21वीं सदी के मतदाताओं को भी अगर बीजेपी का इस स्टैंड ने कनफ्यूज किया तो नया मार्गदर्शक मंडल बनते देर नहीं लगेगी - विपक्ष को जुटा कर कांग्रेस तो उसी वक्त के इंतजार में बैठी है.
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