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Updated: 26 अगस्त, 2019 02:59 PM
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जिस वक्त बीजेपी कर्नाटक में सरकार बनाने में व्यस्त नजर आ रही थी, उसी के इर्द-गिर्द गोवा और सिक्किम में भी पार्टी के विस्तार की रणनीति पर भी तेजी से काम चल रहा था. कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने से पहले ही बीजेपी ने गोवा की सत्ता पर काबिज रहते हुए विधानसभा में बहुमत का नंबर हासिल कर लिया था - बाद में बगैर चुनाव लड़े सिक्किम में भी शून्य से विधायकों की संख्या 10 भी आसानी कर ली. बीजेपी के लिए 2018 की शुरुआत जहां शानदार रही, अंत बहुत ही बुरा रहा, लेकिन छह महीने के भीतर ही बीजेपी ने 2019 के आम चुनाव में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के साथ हिसाब बराबर कर लिया. कांग्रेस और जेडीएस को भी करीब सवा साल में पटखनी देकर बीजेपी कर्नाटक को भी कांग्रेस मुक्त कर चुकी है.

तीन राज्यों में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं - ध्यान देने पर मालूम होता है कि 2018 जैसा हाल न हो इसके लिए बीजेपी ने पहले से ही पुख्ता इंतजाम कर लिया है, ताकि महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड जैसे राज्यों में कोई पुरानी गलती दोहराये जाने जैसा अफसोस न रहे.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव

2018 में जो हुआ सो हुआ, 2019 में बीजेपी एक एक कदम पूरी तरह झाड़-फूंक कर चल रही है - और किसी भी सूरत में पुरानी गलतियां न हो सके इसके लिए हर जरूरी इंतजाम में जुटी है. बीजेपी उस हर हर्डल को पहले ही नेस्तनाबूद करने के इरादे से आगे बढ़ रही है जिनकी बदौलत नतीजों के पक्ष में न आने की जरा सी भी आशंका हो रही है.

अभी पिछले महीने की बात है. एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी पर बड़ा इल्जाम लगाते हुए कहा था कि वे दूसरे दलों के नेताओं की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं. शरद पवार का आरोप रहा कि बीजेपी जांच एजेंसियों के जरिये दूसरे दलों को नेताओं को पार्टी में शामिल होने के लिए मजबूर कर रही है.

शरद पवार ने अपने दावे के पक्ष में कई केस भी बताये, ‘पंढरपुर में कल्याण काले की चीनी मिल मुश्किल में थी. राज्य सरकार ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए उसे 30-35 करोड़ रुपये देकर बीजेपी में शामिल होने के लिए कहा. चूंकि वो अपने कारखाने को बचाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने पाला बदल लिया.' इसी तरह, शरद पवार बोले, NCP की महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष चित्रा वाघ को भी डराकर बीजेपी में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया. बीजेपी पर शरद पवार आरोप अपनी जगह हैं, असल बात तो ये है कि एनसीपी के मुंबई अध्यक्ष सचिन अहीर भी खुशी खुशी भगवा धारण किये नजर आ रहे हैं, जिन्हें पार्टी चीफ का बेहद नजदीकी माना जाता रहा.

maharashtra cm devendra fadnavisमहाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना ने सबसे ज्यादा डैमेज NCP को किया है

महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन है और राज्य में माहौल ऐसा बन चुका है कि पिछले तीन महीने के भीतर 18 नेता गठबंधन का हिस्सा बन चुके हैं - 11 बीजेपी में और 7 शिवसेना में. शरद पवार की नाराजगी भी स्वाभाविक है - 18 में से 12 तो एनसीपी के ही हैं बाकी छह कांग्रेस के हैं जिनमें मौजूदा विधायक भी शामिल हैं.

आम चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने कांग्रेस और एनसीपी को एक सीमा से आगे बढ़ने नहीं दिया था - और अब तो बीजेपी कुछ ज्यादा ही आक्रामक नजर आ रही है.

वैसे शरद पवार के आरोप यूं ही हैं, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता. देश भर में जिस तरह विपक्षी नेता एजेंसियों के निशाने पर हैं महाराष्ट्र में भी राज ठाकरे इसी हफ्ते ED के दफ्तर में पेश हुए और दिन भर पूछताछ चलती रही.

आम चुनाव के दौरान यूपी में फेल और मध्य प्रदेश से अपना चुनाव भी हार चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है. मध्य प्रदेश के सिंधिया समर्थक कांग्रेस नेतृत्व के इस फैसले की भी खिल्ली उड़ा रहे हैं, ये कहते हुए कि सिंधिया कुछ बनाना ही था तो मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाते, महाराष्ट्र में पूछता कौन पूछता है?

हरियाणा विधानसभा चुनाव

हरियाणा में विपक्ष की हालत कैसी है आम चुनाव के नतीजे पहले ही सबूत पेश कर चुके हैं. वैसे उसकी पहली झलक तो जींद उपचुनाव में ही मिल चुकी थी. अभी अभी कांग्रेस के भूपिंदर सिंह हुड्डा ने रोहतक में रैली कर बगावती तेवर दिखा ही चुके हैं.

आम चुनाव से पहले जींद उपचुनाव में बीजेपी ने INLD विधायक हरिचंद मिड्ढा के निधन से खाली हुई सीट से उनके बेटे कृष्ण लाल मिड्ढा को टिकट दिया और अपने नाम कर लिया. बीजेपी ने जींद उपचुनाव से इंडियन नेशनल लोकदल को जो झटका देना शुरू किया वो थमा नहीं है.

अब तो हाल ये है कि आईएनएलडी के 10 विधायक इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. 2014 में आईएनएलडी 19 एमएलए के साथ विधानसभा में दूसरे नंबर की पार्टी थी जो अब तीसरे नंबर पर पहुंच चुकी है. महाराष्ट्र में शरद पवार के करीबियों की ही तरह हरियाणा में ओम प्रकाश चौटाला के बेहद खास रहे विधायक रणबीर गंगवा बीजेपी की तरफ कदम बढ़ाने वाले पहले नेता रहे और उसके बाद तो तू चल मैं आता हूं का जैसे सिलसिला ही चल पड़ा.

जिन राज्यों में बीजेपी सत्ता में होती है, मुख्यमंत्री का चेहरा चुनाव के वक्त नहीं बदलती. गुजरात में भी आनंदी बने पटेल को जब हटाना रहा तो चुनाव से छह महीने पहले ही विजय रुपानी को कुर्सी पर बिठा दिया था. ऐसे भी चेहरा तो मनोहर लाल खट्टर ही रहेंगे - लेकिन मुकाबले में विपक्ष की ओर से कौन होगा?

कांग्रेस में भारी उठापटक चल रहा है. भूपिंदर सिंह हुड्डा ने रैली करने के बाद एक कमेटी बना कर कांग्रेस नेतृत्व को चैलेंज कर रहे हैं. कांग्रेस प्रदेश प्रमुख अशोक तंवर और विधानमंडल दल की नेता किरन चौधरी हैं और एक दावेदार तो कुमारी शैलजा भी हुआ करती हैं. अगर रणदीप सुरजेवाला जींद विधानसभा का उपचुनाव जीत गये होते तो फिर तो कोई बात ही नहीं होती - वैसे क्या पता इस बार अशोक तंवर की जगह सुरजेवाला को मौका दे दिया जाये. शर्त ये है कि राहुल गांधी की पसंद को सोनिया गांधी भी न टाल पायें तभी मुमकिन है.

झारखंड विधानसभा चुनाव

जिस तरह बीजेपी ने महाराष्ट्र में एनसीपी और हरियाणा में आईएनएलडी को नुकसान पहुंचाया है, झारखंड में सबसे ज्यादा बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा को नुकसान पहुंचाया है. बाबूलाल मरांडी को बीजेपी ने ही मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन बाद में उन्होंने अपनी नयी पार्टी बना ली. बीजेपी छोड़ने के बाद से अब तक मरांडी कभी ठीक से खड़े भी नहीं हो पाये हैं.

महाराष्ट्र और हरियाणा की तरह झारखंड में भी दूसरे दलों के नेताओं के बीजेपी में शामिल होने की होड़ मची हुई है. हालांकि, बीजेपी को यहां नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू टक्कर देने वाली है. जेडीयू ने झारखंड की सभी सीटों पर ये कहते हुए चुनाव लड़ने का ऐलान किया है कि बीजेपी के साथ उसका गठबंधन सिर्फ बिहार में है, बाहर नहीं.

चाहे वो महाराष्ट्र हो या हरियाणा या फिर झारखंड, अभी तो हाल यही है कि विपक्ष बिखरा ही नहीं बल्कि बुरी तरह कंफ्यूज है और बीजेपी तेजी से आगे बढ़ती जा रही है - फिर तो ये कहना भी गलत नहीं होगा कि सत्ताधारी पार्टी वापसी की आधी जंग चुनाव से पहले ही जीत चुकी है.

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