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Updated: 10 जून, 2017 04:53 PM
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कल बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में लोगों को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधते हुए बहुत कुछ कहा. जहाँ एक ओर कांग्रेस को एक विचारधारा विहीन पार्टी बताया तो दूसरी ओर शाह ने महात्मा गांधी पर विवादित बयान भी दे डाला. इससे न केवल उनकी बल्कि भाजपा की भी काफी किरकिरी हुयी. महात्मा गांधी पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि वो दूरदर्शी होने के साथ, बहुत चतुर बनिया था, उन्हें मालूम था कि आगे क्या होने वाला है, उन्होंने आजादी के बाद कहा था, कांग्रेस को बिखेर देना चाहिए. शाह यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कांग्रेस को खत्म करने का काम नहीं किया, लेकिन अब कुछ लोग उसको बिखेरने का काम कर रहे हैं.

अमित शाहअमित शाह के विवादित बयान के मायने और भी हैं

उन्होंने कहा कि भले ही महात्मा गांधी कांग्रेस को न बिखेर पाए हों, लेकिन अब वह काम कांग्रेस के ही लोग कर रहे हैं. संगठन के इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि क्योंकि कांग्रेस की कोई विचारधारा ही नहीं है, देश चलाने के या सरकार चलाने के कोई सिद्धांत ही नहीं थे. इसलिए उसे खत्म कर देना चाहिए.

रणदीप सुरजेवाला ने अमित शाह को 'सत्ता का व्यापारी' कहते हुए कहा कि वह देश की आजादी की लड़ाई को व्यापारिक मॉडल बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि आजादी से पहले 'गोरे अंग्रेज', महासभा और संघ का इस्तेमाल देश के बंटवारे के लिए करते रहे हैं और अब यही काम बीजेपी के 'काले अंग्रेज' मुठ्ठीभर धन्नासेठों का स्पेशल पर्पस विहिकल बनकर कर रहे हैं.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शनिवार को रायपुर में महात्मा गांधी पर अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा, सबको पता है कि मैंने किस संदर्भ में कहा था. लोग मेरे मेरे बयान का गलत मतलब निकाल रहे हैं.

ये पहला मौका नहीं है जब अमित शाह अपने कांग्रेस विरोधी बयानों के लिए सुर्खियों में आये हैं. इसके पहले भी ऐसा कई बार हुआ है.

1. उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार में फरबरी 22, 2017 को अमित शाह ने एक चुनावी रैली के दौरान कांग्रेस, सपा और बसपा के लिए संक्षिप्त में 'कसाब' शब्द गढ़ते कहा कि यूपी में जब तक इनका खात्मा नहीं होगा, तब तक राज्य का भला नहीं होने वाला है. अमित शाह ने कहा, यूपी की जनता इस बार के चुनाव में इस 'कसाब' से मुक्ति पा ले. कसाब से मेरा मतलब 'क' से कांग्रेस, 'स' से सपा और 'ब' से बसपा है. इन तीनों पार्टियों से मुक्ति नहीं मिली तो उत्तर प्रदेश का भला नहीं होगा.'

2. 2016 में कांग्रेस को इमरजेंसी के लिए जिम्मेदार बताते हुए इंदिरा गांधी की तुलना हिटलर से कर दी थी.

3. 2016 में ही शाह ने जवाहरलाल नेहरू पर कश्मीर के मामले को बिगाड़ने का आरोप लगाया था.

4. सितम्बर 2014 में पहले बार उन्होंने जवाहर लाल नेहरू को कश्मीर समस्या के लिए जिम्मेदार बताया था और  सरदार पटेल के कद को ऊँचा बताया था और काफी विवादों से घिर गए थे.

पार्टी के बाकी नेताओं की ली क्लास...

2015 में अमित शाह ने पार्टी के नेताओं - गिरिराज किशोर और साक्षी महाराज को अपने बयानों से भविष्य में बचने की नसीहत दी थी. इसके पहले अखलाक और दादरी मामले में उन्होंने अक्टूबर 2015 में भाजपा के 4 कद्दावर नेताओं की क्लास ली थी और बेवजह की अनर्गल बयानबाजी से बचने की कड़े लहजे ने सलाह भी दी थी.

अमित शाह चार बार के विधायक, गुजरात के गृहमंत्री, भाजपा के महामंत्री से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर रहे और जिनका खुद की 25 सालों से जयादा राजनितिक और सार्वजनिक जीवन का करियर है. अमित शाह खुद भी गुजरात के एक रईस व्यापारी के परिवार से ताल्लुक रखते है, साथ ही राजनीती में शीर्ष पर काबिज हैं.

शाह को इस तरह की बयनबाजी से उन्हें बचाना चाइये और वो भी महात्मा गाँधी के बारे में, जो की न ही सिर्फ कांग्रेस के अपितु पूरे देश के राष्ट्रपिता हैं, जिनसे केवल एक कांग्रेसी नेता के रूप में नहीं देखा जा सकता है. कोई कुछ भी कहे, लेकिन महात्मा गांधी के आजादी के लिए संघर्ष को नकारा नहीं जा सकता. उनपर सवाल खड़े करना सही नहीं. अब खुद ही सोच लीजिए की किस-किस को अपने बयान तौलने चाहिए.

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लेखक

जगत सिंह जगत सिंह @jagat.singh.9210

लेखक आज तक में पत्रकार हैं.

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