भाजपा का मार्गदर्शक मंडल इस बार और बड़ा हो जाएगा!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई सरकार के सामने आते ही भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं के भविष्य को लेकर रहस्य खत्म हो गया है. भाजपा में एक अघोषित सिस्टम लागू है, जिसमें 75 साल की उम्र के बाद कोई भी नेता मंत्रिमंडल में नहीं रहता.
-
Total Shares
लोकसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत लेने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने दूसरी बार सत्ता संभाल ली है. ये भी साफ हो गया कि किसे क्या काम दिया जाएगा. पिछली बार लालकृष्ण आडवाणी को पूरे सम्मान के साथ मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया गया था. इस बार ये मार्गदर्शक मंडल और बड़ा हो सकता है. कुछ नए चेहरों को मार्गदर्शक मंडल में डाला जा सकता है. दरअसल, भाजपा ने इसके लिए एक अघोषित सिस्टम बनाया हुआ है. 75 साल की उम्र के बाद कोई भी नेता मंत्रिमंडल में नहीं रहेगा. बहुत वरिष्ठ नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में रखा जा सकता है. जिनसे पार्टी के विस्तार और रणीनीति बनाने में मदद ली जाएगी.
जब पिछली बार लालकृष्ण आडवाणी को मंत्रिमंडल से रिटायरमेंट देते हुए मार्गदर्शक मंडल में भेजा गया था तो पार्टी पर कई तरह के सवाल उठे थे. आरोप तो ये भी लगे कि भाजपा अपनी पार्टी के बड़े बुजुर्गों की इज्जत नहीं करती है. लेकिन जिस तरह 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले नरेंद्र मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी के पैर छुए, वो देखकर एक बात तो साफ हो गई, कि भाजपा ने आडवाणी को किनारे नहीं लगाया था. मार्गदर्शन मंडल के आडवाणी का भाजपा को कितना मार्गदर्शन मिलता है ये तो पता नहीं, लेकिन ये जरूर साफ होता है कि भाजपा के दिल में आज भी अपने बुजुर्ग नेताओं के लिए पूरी इज्जत है. इस बार मार्गदर्शक मंडल में कुछ और नेता शामिल हो सकते हैं.
इस बार कुछ नए चेहरों को मंत्रिमंडल से निकालकर भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में डाला जा सकता है.
सुमित्रा महाजन
इस बार मार्गदर्शक मंडल में जाने वाली पहली नेता तो लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा महाजन हो सकती हैं. खुद को चुनावी राजनीति से अलग कर लेने वाली सुमित्रा महाजन इंदौर से 1989 से लगातार आठ लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचीं. इससे पहले वे पार्टी के प्रमुख पदों पर रहीं. पिछली लोकसभा में वे स्पीकर रहीं. लेकिन 2019 चुनाव से पहले ही उन्होंने खुद को टिकट की दौड़ से बाहर कर लिया. इंदौर से इस बार बीजेपी के शंकर लालवानी सांसद बने हैं. 76 साल की हो रही हैं सुमित्रा महाजन ने खुद को चुनावी राजनीति से अलग करके बता दिया कि उनके लिए पार्टी सर्वेपरि है ना कि निजी हित.
सुषमा स्वराज
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी. इसके लिए उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया था. उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा. मंत्रिमंडल में उन्हें कोई भूमिका नहीं दी गई है, इसलिए यह चर्चा भी निर्मूल साबित हुई कि शायद उन्हें राज्यसभा में भेजकर मंत्री बनाया जा सकता है. अब जब वे किसी तरह की भूमिका में नहीं हैं, ऐसे में यह चर्चा गरम है कि उन्हें भी मार्गदर्शक मंडल में भेजा जा सकता है. सुषमा स्वराज किसी भी भूमिका में रहें, वे भाजपा की ताकत बनी रहेंगी. उनके तर्कों में इतनी ताकत है कि वे अपने दुश्मनों को भी लाजवाब कर सकती हैं. उनके कुछ ट्वीट ही पाकिस्तान के पसीने छुड़ा देते थे.
अरुण जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली गंभीर रूप से बीमार हैं. उन्हें आए दिन इलाज के सिलसिले में अमेरिका जाना पड़ता है. मंत्रिमंडल के गठन से ठीक पहले उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मंत्रिपद न देने की गुजारिश की थी. ऐसे में उम्मीद है कि उन्हें या तो मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया जाए, जहां पर उन्हें आराम मिल सके. आपको बता दें कि इस बार अरुण जेटली ने भी चुनाव नहीं लड़ा है.
मौजूदा समय में भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, भुवनचंद्र खंडूड़ी, शांता कुमार, करिया मुंडा, कलराज मिश्रा, हुकुम देव यादव, बिजॉय चक्रवर्ती, भगत सिंह कोश्यारी जैसे नेता हैं. ये लिस्ट इस बार और भी लंबी होना तय है.
ये भी पढ़ें-
अपने दिवंगत कार्यकर्ता को कांधा देकर Smriti Irani ने कई रिश्ते अमर कर दिये
परिणामों से स्तब्ध दल-दल और समीक्षक !!!
राहुल गांधी की बात न मान कर कांग्रेस ने एक और गलत फैसला लिया है
आपकी राय