राहुल के सवालों को 'गांधी परिवार' के बहाने बीजेपी का काउंटर करना क्या कहता है?
राहुल गांधी को हमेशा की तरह ही बीजेपी नेता 'गांधी परिवार' के नाम पर खारिज कर रहे हैं, लेकिन सोशल मीडिया पर लोग सपोर्ट में खड़े हो गये हैं - अगर सवाल कोई और पूछता तो भी बीजेपी का जवाब वैसा ही होता?
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आम बजट पर राहुल गांधी के रिएक्शन के बाद संसद में उनके भाषण की काफी चर्चा हो रही है. राहुल गांधी के मोदी सरकार पर हमले के अंदाज में कोई बदलाव नहीं है. बेरोजगारी से लेकर विदेश नीति तक राहुल गांधी ने पहले की ही तरह हमला बोला है.
राहुल गांधी संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोक सभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा ले रहे थे. राहुल गांधी का कहना रहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में देश के सामने खड़ी चुनौतियों का जिक्र नहीं किया गया. राहुल गांधी ने अपने हिसाब से ऐसी ही चुनौतियां का एक एक करके राहुल गांधी ने संसद के सामने रखने की कोशिश की - और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शहंशाह बता डाला है. भला बीजेपी नेता ये सब कैसे बर्दाश्त कर पाते. फिर क्या, पलटवार चालू हो गया है.
सरकार की तरफ से बचाव करने मीडिया के सामने आये संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राहुल गांधी को तरह तरह से कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की - और जिन चुनौतियों का राहुल गांधी ने जिक्र किया था, सबको कांग्रेस शासन की देन बता डाले.
अव्वल तो राहुल गांधी की समझ और हैसियत पर ही सवाल उठा दिया. ठीक वैसे ही जैसे बजट पर उनके रिएक्शन को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की टिप्पणी रही - और 'यूपी टाइप' बोल कर वो खुद भी निशाने पर आ गयीं.
प्रह्लाद जोशी ने बताया कि राहुल गांधी एक भ्रमित और नासमझ नेता हैं. मोदी सरकार की चीन पॉलिसी को स्पष्ट बताते हुए प्रह्लाद जोशी पूछ रहे हैं - क्या आप यहां चीन का समर्थन करने आये थे? जोशी के मुताबिक, तिब्बत की समस्या सिर्फ कांग्रेस की वजह से है.
प्रधानमंत्री मोदी को राहुल गांधी के शहंशाह बताने पर प्रह्लाद जोशी कहते हैं, 'मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस नेता के तौर पर उनको बोलने का मौका सिर्फ इसलिए मिलता है क्योंकि वो गांधी परिवार से आते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों का दिल जीता है - और वो एक लोकतांत्रिक रूप से चुने हुए नेता हैं.'
मुद्दे महत्वपूर्ण हैं या फेमिली पॉलिटिक्स: बेशक मोदी चुने हुए नेता हैं, लेकिन क्या राहुल गांधी ने चुनाव नहीं जीता है? मान लेते हैं कि अमेठी में वो बीजेपी नेता स्मृति ईरानी से हार गये, लेकिन लोक सभा के भीतर क्या राहुल को बोलने का मौका इसलिए मिला क्योंकि वो गांधी परिवार से हैं - और कांग्रेस पार्टी के आई कार्ड पर उनको संसद में एंट्री दे दी जा रही है - वायनाड से लोक सभा चुनाव जीत कर सांसद बनने की वजह से नहीं?
क्या राहुल गांधी की बातें इसलिए खारिज कर दी जानी चाहिये क्योंकि वो गांधी परिवार से हैं? ऐसे तो बहुतेरे लोग किसी न किसी परिवार से ही हैं. बिहार में छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के बीच आरजेडी नेता तेज प्रताप यादव भी तो ऐसे ही सवाल उठा रहे थे - अमित शाह के परिवार को लेकर सवाल उठा रहे तेज प्रताप यादव भी तो लालू परिवार से ही आते हैं. यूपी चुनाव में बीजेपी को चैलेंज कर रहे अखिलेश यादव भी मुलायम परिवार से आते हैं.
केंद्र की बीजेपी सरकार के सपोर्ट में अक्सर खड़े पाये जाने वाले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी भी तो राजनीतिक परिवार से ही आते हैं. 2019 तक बीजेपी के साथ गठबंधन में रहे उद्धव ठाकरे हों या फिर हरियाणा में बीजेपी सरकार में साझीदार दुष्यंत चौटाला भी तो राजनीतिक परिवार से ही आते हैं.
राहुल गांधी की बातों पर क्या इसलिए ध्यान नहीं दिया जाना चाहिये क्योंकि वो गांधी परिवार से आते हैं?
अगर राहुल गांधी ने संसद में सरकार से गलत सवाल पूछा है और झूठा इल्जाम लगाया है तो माफी तो बनती है, लेकिन अगर नहीं तो सरकार को भी गुमराह करने से परहेज करना चाहिये.
जो मुद्दे राहुल गांधी ने संसद में उठाये हैं या जो सवाल पूछे हैं, अगर उनकी जगह गांधी परिवार से बाहर का कोई नेता होता तो भी क्या बीजेपी नेताओं के वही जवाब होते - ज्वलंत मुद्दों और सही सवालों को कभी किसी और बहाने खारिज नहीं किया जा सकता?
1. माफी तो बनती है!
राहुल गांधी ने संसद में मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि न्यायपालिका, चुनाव आयोग, पेगासस, ये सभी सरकार के लिए लोगों की आवाज दबाने के उपकरण बन गये हैं.
राहुल के बयान पर केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजु ने सख्त आपत्ति जतायी है - और कांग्रेस नेता से फौरन माफी मांगने की मांग की है. रिजिजु कहते हैं, राहुल गांधी को तुरंत न्यायपालिका, चुनाव आयोग और लोगों से माफी मांगनी चाहिये.
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'हम उनकी आदतन मूर्खतापूर्ण टिप्पणियों को गंभीरता से नहीं लेते हैं... लेकिन संसद भवन में संवैधानिक संस्थाओं के बारे में जो कहा है... बिना शर्त माफी मांगनी चाहिये.'
किरण रिजिजु का कहना रहा, 'न सिर्फ देश के कानून मंत्री के रूप में बल्कि एक सामान्य नागरिक के तौर पर मैं राहुल गांधी के न्यायपालिका और चुनाव आयोग को लेकर कही गयी बातों की निंदा करता हूं - ये हमारे लोक तंत्र की महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं.'
बहुत अच्छी बात है, लेकिन बेहतर होता किरण रिजिजु जहां कहीं भी ऐसी घटनाएं देखते माफी मांगने की मांग वैसे ही करते जैसे राहुल गांधी से कर रहे हैं - क्या कैराना में बीजेपी के डोर टू डोर कैंपेन को लेकर भी कोई राय है क्या - क्योंकि चुनाव आयोग की तरफ से तो ऐसी कोई आपत्ति सुनने को नहीं मिली है.
मानते हैं कि देवबंद में भीड़ देख कर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कार्यक्रम जल्द ही समेट दिया था, लेकिन जिस तरीके से कैराना में पर्चे बांटे जा रहे थे - क्या वो भी कोविड प्रोटोकॉल के दायरे से बाहर है?
क्या लोकतांत्रिक चुनाव आयोग को कुछ दिखाई नहीं पड़ा? ये ठीक है कि अखिलेश यादव को पहली गलती के लिए आयोग ने माफ कर दिया था, लेकिन बाकियों की पहली गलती कितनी बार होती है?
कोविड 19 के प्रकोप के बीच पर्चे बांटने के तरीके पर सोशल मीडिया पर खूब सवाल उठाये गये. वीडियो और स्क्रीन शॉट शेयर किये गये - वही वीडियो जो आधिकारिक तौर पर ट्विटर पर शेयर किया गया था.
किरण रिजिजु के राहुल गांधी से माफी मांगने की डिमांड पर ट्विटर पर भी लोगों ने रिएक्ट किया है. ट्विटर पर अमित कुमार नाम के यूजर का कहना है, राहुल गांधी जी ने पहले ही कहा था कि वो माफी नहीं मांगेंगे... इसलिए भाजपा का कोई भी नेता ये न कहे कि राहुल गांधी लोक सभा में दिये गये अपने बयान पर माफी मांगें - क्योंकि सच की माफी नहीं मांगी जाती.
2. चीन और पाकिस्तान के मुद्दे
मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाते हुए राहुल गांधी ने कहा था, 'सरकार ने विदेश नीति में बड़ी गलतियां की हैं... जिससे चीन और पाकिस्तान आज एक साथ आ गये हैं... हर तरफ से घिरा भारत आज अलग-थलग पड़ गया है - डोकलाम और लद्दाख को लेकर चीन का प्लान साफ हो गया है.'
विदेश मंत्री एस. जयशंकर का कहना है कि राहुल गांधी को इतिहास का पाठ पढ़ाया जाना चाहिये. अगर ऐसा ही है तो इतिहास क्यों - रक्षा अध्ययन, स्ट्रैटेजिक अफेयर्स या इंटरनेशनल रिलेशन क्यों नहीं?
एस. जयशंकर याद दिलाते हुए ट्विटर पर लिखते हैं, '1963 में पाकिस्तान ने अवैध तरीके से शक्सगाम घाटी चीन को सौंप दी थी. चीन ने पाक अधिकृत कश्मीर के बीच से गुजरने वाला काराकोरम हाईवे को 1970 के दशक में बनाया.'
Rahul Gandhi alleged in Lok Sabha that it is this Government which brought Pakistan and China together.Perhaps, some history lessons are in order:
-In 1963,Pakistan illegally handed over the Shaksgam valley to China.
-China built the Karakoram highway through PoK in the 1970s.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 2, 2022
मुद्दे की बात ये है कि विदेश मंत्री को भी राहुल गांधी को जवाब संसद के भीतर ही देना चाहिये था, ट्विटर पर नहीं - और ट्विटर पर भी अच्छा होता राहुल गांधी को एस. जयशंकर इतिहास को छोड़ कर गणित की तरह समझाते कि कैसे दो और दो चार होते हैं - मतलब, सीधे सीधे राहुल गांधी की बातों को गलत बताते हुए खारिज कर देते.
ये सुन कर तो और भी अच्छा लगता जब जयशंकर कहते कि राहुल गांधी चीन और पाकिस्तान के मुद्दे पर झूठ बोल रहे हैं - और संसद के भीतर सही तस्वीर पेश करते.
लेकिन ये क्या हुआ कि अगर कोई सवाल पूछे तो उसकी हिस्ट्री बताना शुरू कर दो - अगर इतिहास में गलतियां हुई हैं तो लोगों ने कांग्रेस को हटाकर बीजेपी की दोबारा सरकार चीजों को दुरूस्त करने के लिए बनवाई है या इतिहास में ही उलझे और उलझाये रखने के लिए.
3. बेरोजगारी और बिहार का छात्र आंदोलन
बिहार में आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा को लेकर छात्रों के विरोध को लेकर राहुल गांधी ने कहा था कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में ये भी नहीं बताया गया कि रेलवे की नौकरी को लेकर क्या हुआ.
बेरोजगारी को लेकर भी राहुल गांधी ने मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. कहते हैं, पिछले तीन साल में तीन करोड़ नौजवानों को रोजगार गंवाने पड़े... पिछले 50 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी आज देश में है.
राहुल गांधी का दावा है, यूपीए सरकार ने 10 साल में 27 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला था, लेकिन मोदी सरकार ने 23 करोड़ लोगों को गरीबी में झोंक दिया.
जब से केंद्र में मोदी सरकार आयी है, अंबानी-अडानी ग्रुप हमेशा ही राहुल गांधी के निशाने पर रहा है, कहते हैं, 'कोरोना के समय कई वैरिएंट आते हैं, लेकिन ‘डबल A’ वैरिएंट है जो देश की अर्थव्यवस्था में बढ़ रहा है.'
अगर राहुल गांधी ये सारे दावे गलत कर रहे हैं तो मोदी सरकार की तरफ से मंत्रियों और बीजेपी नेताओं को तथ्य पेश कर गलत साबित करना चाहिये, न कि गांधी परिवार से जोड़ कर देश को गुमराह करना चाहिये - क्योंकि सरकार की तरफ से लगातार ऐसा किया जाएगा तो लोगों को लगने लगेगा कि सरकार के ही दावे गलत हैं - और जैसे चुनावों के वक्त प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की गिरफ्तारी के इशारे किये जाते हैं और चुनाव बाद खामोशी छा जाती है, लोग बीजेपी की बातों को भी वैसे ही हल्के में लेने लगेंगे.
4. संविधान और देश में संघवाद पर सवाल
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का इल्जाम है कि केंद्र की बीजेपी सरकार राज्यों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसे अंदाजा नहीं है कि देश के संस्थागत ढांचे पर हमले की प्रतिक्रिया भी हो सकती है.
राहुल गांधी ने कहा है, 'अगर आप संविधान पढ़ें तो आप पाएंगे कि भारत को राज्यों के संघ के रूप में परिभाषित किया गया है... एक राष्ट्र के रूप में नहीं बताया गया है... मतलब ये है कि तमिलनाडु के एक भाई के पास महाराष्ट्र के मेरे भाई के समान अधिकार हैं - निश्चित तौर पर ये बात जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, लक्षद्वीप पर भी लागू होती.'
जवाहर लाल नेहरू के 15 साल जेल में कैद रहने, इंदिरा गांधी की 32 गोलियां मार कर हत्या किये जाने और राजीव गांधी को विस्फोट में उड़ा देने जैसे निजी अनुभवों का उदाहरण देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि राष्ट्र के लिए दी गयी कुर्बानी की इन बातों के चलते वो समझते हैं कि राष्ट्र क्या होता है.
और फिर आगाह भी करते हैं, 'आप खतरे से खेल रहे हैं... मेरी सलाह है कि रुक जाइये.'
ट्विटर पर सैम बरोला नाम के एक यूजर ने लिखा है, 'राहुल गांधी ने भाषण से पहले ही कहा था कि संविधान में लिखा है कि भारत राज्यों का एक संघ है - लेकिन क्या करें मंत्री जी ने कभी संविधान पढ़ा ही नहीं होगा.'
RG ne speech bolne se pahle hi bola tha India ke constitution me likha hai India is union of states par kya kare minister ji ne kabhi constitution nahi pada hoga
— Sam Barola (@BarolaSam) February 2, 2022
अगर सरकार ने गंभीर मुद्दों को भी हल्के में लेकर गुमराह करने की कोशिश की तो लोग ऐसी बातों में नहीं आने वाले हैं. वैसे भी राहुल गांधी की बातें अगर इतनी ही गैर-जरूरी हैं तो ऐसे जोर शोर से रिएक्ट करने या इतिहास का पाठ पढ़ाने की जरूरत क्यों पड़ती है? जब राहुल गांधी कोई मुद्दा उठाते हैं, बीजेपी की तरफ से किसी केंद्रीय मंत्री को आगे आकर दर्जन भर ट्वीट करने की जरूरत क्यों पड़ती है?
5. बॉलीवुड और सोशल मीडिया रिएक्शन
सोशल मीडिया पर राहुल गांधी अक्सर ही ट्रोल के शिकार होते हैं. अक्सर राहुल गांधी का मजाक उड़ाया जाता है, लेकिन कुछ लोग उनके समर्थन में भी खड़े नजर आते हैं. ऐसे ही माफीवीर नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा है, 'जी सर, आप नहीं समझ पाएंगे कि उन्होंने क्या कहा? आपकी आंखों पर पट्टी बंधी है.'
राहुल गांधी के खिलाफ मोदी सरकार के मंत्रियों के धावा बोल देने के खिलाफ सोशल मीडिया पर तो ऐसे रिएक्शन हैं ही, बॉलीवुड से पूजा भट्ट और सिमी ग्रेवाल की प्रतिक्रिया आयी है.
बॉलीवुड एक्टर सिमी गरेवाल ट्विटर पर लिखती हैं, 'लोकसभा में राहुल गांधी एक प्रखर नेता की तरह नजर आये... ऐतिहासिक भाषण में देश उनके जज्बे को देख और सुन सकता था... लोग उनकी तरफ से पेश तथ्यों को सुन सकते थे... उनके वास्तविक भय को भी - एक सच्चे राष्ट्रवादी और नेता की पहचान को पेश किया है.'
Assured. Dignified. On point! ? https://t.co/piLhQLkCeP
— Pooja Bhatt (@PoojaB1972) February 2, 2022
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