राहुल गांधी पर 'यूपी टाइप' कमेंट को भी क्या नीतीश के DNA जैसा ही समझें
निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के 'यूपी टाइप' (UP Type) जैसी टारगेटेड टिप्पणी का असर सिर्फ ट्विटर तक ही है या बिहार के डीएनए जैसा रंग भी दिखा पाएगा - या निशाने पर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के होने के कारण लोग भुला देंगे.
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निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के 'यूपी टाइप' (UP Type) कमेंट ने बिहार चुनाव के डीएनए की याद दिला दी है. 2015 के बिहार चुनाव में नीतीश कुमार के डीएनए में खोट वाली बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कही थी - और पूरे बिहार में बवाल मच गया था.
निर्मला सीतारमण के कमेंट पर तो लोग सिर्फ ट्विटर पर ही विरोध जता रहे हैं, नीतीश कुमार के सपोर्ट में तो लोग तब डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल की ढेर लगा दिये थे - और फिर इकट्ठा कर प्रधानमंत्री कार्यालय तक भेजा गया था.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की टिप्पणी में निशाने पर राहुल गांधी हैं, लेकिन दायरे में पूरा उत्तर प्रदेश आ गया है, जहां पहले चरण की वोटिंग में करीब हफ्ता भर ही बचा है - प्रियंका गांधी वाड्रा ने बीजेपी नेता की टिप्पणी को यूपी के लोगों का अपमान बताया है.
'यूपी मेरा अभिमान' जैसे हैशटैग के ट्रेंड होते ही लोग ताबड़तोड़ रिएक्ट करने लगे और खुद के 'यूपी का होने में गर्व' होने का इजहार करने लगे. एक झटके में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता निर्मला सीतारमण टारगेट पर आ गयीं - लेकिन तभी बीजेपी का आईटी सेल सक्रिय हो गया और काउंटर शुरू हो गया था.
करीब साल भर पहले की बात है, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की केरल चुनाव के दौरान एक टिप्पणी भी मिलती जुलती ही रही - लेकिन तब प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी की तरफ से भाई को अभी की तरह समझाने की कोई कोशिश नहीं की थी. हां, बीजेपी की तरफ से तब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्विटर पर ही विस्तार से जवाब दिया था.
राहुल गांधी ने जो टिप्पणी की थी वो चुनाव क्षेत्र के लोगों के पक्ष में था, लेकिन निर्मला सीतारमण की टिप्पणी यूपी के लोगों के खिलाफ है. क्या यूपी के लोग भी बिहार की तरह बीजेपी से नाराज हो सकते है और क्या यूपी चुनाव पर भी निर्मला सीतारमण की टिप्पणी का कोई असर हो सकता है?
ये 'यूपी टाइप' क्या होता है
बजट के बाद प्रेस कांफ्रेंस में वित्त मंत्री का उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए 'यूपी टाइप' बोलना लोगों को स्वाभाविक तौर पर बेहद नागवार गुजरा है - और यूपी के लोग बड़े ही सख्त लहजे में रिएक्ट कर रहे हैं.
राहुल गांधी और निर्मला सीतारमण के बयान में कैसा फर्क लगता है?
निर्मला सीतारमण को संबोधित करते हुए लोग कह रहे हैं - मैडम जी, हम यूपी टाइप नहीं यूपी वाले ही हैं. कांग्रेस ने निर्मला सीतारमण की टिप्पणी को यूपी के लोगों का अपमान करार दिया है.
राहुल गांधी ने कोई नयी बात तो कही नहीं: ऐसा भी नहीं था कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आम बजट पर कोई नयी बात कही थी. हर बार की तरह राहुल गांधी ने इस बार भी बजट में खामियां गिनायी थीं. बिलकुल वैसा ही जब अरुण जेटली के बजट पर प्रतिक्रिया देते थे या एक बार पीयूष गोयल के अंतरिम बजट पर या फिर निर्मला सीतारमण के ही पिछले बजट को लेकर - 5 ट्रिलियन पर. वो तो सबसे ज्यादा चर्चित भी रहा क्योंकि एक टीवी डिबेट में कांग्रेस प्रवक्ता प्रोफेसर गौरव वल्लभ बीजेपी प्रवक्ता डॉक्टर संबित पात्रा से पूछ भी बैठे थे कि पता भी है ट्रिलियन में कितने जीरो लगते हैं?
2022 के आम बजट को लेकर राहुल गांधी की प्रतिक्रिया थी, 'सैलरी क्लास... मिडिल क्लास... गरीब... युवा... किसान और उद्योगों के लिए बजट में कुछ भी नहीं है.'
बिलकुल वैसा ही जैसा विपक्ष के नेताओं का रिएक्शन होता है. अब यही बात अगर पी. चिदंबरम या पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं तो चीजें ज्यादा स्पेसिफिक हो जाती हैं - और उसमें तकनीकी शब्दों को इस्तेमाल किया जाता है. आलोचना का पैरामीटर भी वैसा ही होता है.
राहुल गांधी के रिएक्शन पर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी अपने पहले के वित्त मंत्रियों की ही तरफ यही समझाने की कोशिश कर रहे थे कि राहुल गांधी को बजट समझ में नहीं आया होगा.
अपनी बात पूरी करने के बाद पंकज चौधरी बोले कि बाकी मैडम बताएंगी, तभी निर्मला सीतारमण ने कहा, मुझे लगता है ये एकदम यूपी टाइप टिपिकल जवाब है - ये यूपी से भाग खड़े हुए सांसद तके लिए पर्याप्त भी है.
प्रियंका गांधी का प्रोटेस्ट: यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी ने वित्त मंत्री की टिप्पणी पर कड़ा ऐतराज जताया. प्रियंका गांधी का ससुराल यूपी में ही है और अपनी प्रतिक्रिया भी कांग्रेस नेता ने खुद के यूपी का होने वाले अंदाज में ही दी है. ये बात अलग है कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने रहने के लिए घर हिमाचल प्रदेश में बनवाया है - और जब दिल्ली में चुनाव होते हैं तो खुद को दिल्ली की लड़की के तौर पर पेश करती हैं.
निर्मला सीतारमण को टैग करते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया, 'आपने यूपी के लिए बजट के झोले में कुछ डाला नहीं, ठीक है… लेकिन यूपी के लोगों का इस तरह अपमान करने की क्या जरूरत थी?'
अपने ट्वीट के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा ने #यूपी_मेरा_अभिमान हैशटैग का भी इस्तेमाल किया था. कुछ ही देर बाद ट्विटर पर जवाबी हैशटैग भी रफ्तार पकड़ चुके थे.
..@nsitharaman जी आपने यूपी के लिए बजट के झोले में कुछ डाला नहीं, ठीक है…लेकिन यू पी के लोगों का इस तरह अपमान करने की क्या ज़रूरत थी?
समझ लीजिए, यूपी के लोगों को "यूपी टाइप" होने पर गर्व है। हमको यूपी की भाषा, बोली, संस्कृति व इतिहास पर गर्व है। #यूपी_मेरा_अभिमान
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) February 1, 2022
2021 में केरल और तमिलनाडु में एक ही साथ विधानसभा चुनाव हुए थे और वायनाड से सांसद होने के नाते राहुल गांधी केरल में काफी दिलचस्पी ले रहे थे - और उसी दौरान एक बार उत्तर और दक्षिण के लोगों की राजनीतिक समझ का फर्क भी समझा डाले थे.
राहुल गांधी ने अमेठी का नाम तो नहीं लिया था, लेकिन ये जरूर कहा था कि वो लंबे समय तक उत्तर भारत से सांसद रहे, लेकिन मुद्दों को लेकर दक्षिण के लोगों की समझ को बेहतर पाते हैं.
राहुल गांधी का कहना था, 'पहले 15 साल मैं नॉर्थ से सांसद था... मुझे एक अलग तरह की राजनीति की आदत हो गई थी... मेरे लिए केरल आना बेहद ताजगी भरा रहा - क्योंकि अचानक मैंने पाया कि लोगों की मुद्दों में दिलचस्पी होती है... महज सतही तौर पर नहीं, बल्कि मुद्दों की गहराई तक जाते हैं.'
राहुल गांधी के इस बयान पर काफी प्रतिक्रिया हुई थी. बीजेपी तो आक्रामक हो ही गयी थी, कांग्रेस के कई सीनियर नेता भी राहुल गांधी को ऐसा न बोलने की सलाह दे रहे थे - लेकिन तब प्रियंका गांधी की तरफ से ऐसी कोई प्रतिक्रिया सुनने को नहीं मिली थी जैसी अभी की है.
क्या ये हिंदी विरोधी सोच है
देखा जाये तो 'यूपी टाइप' भी वैसा ही है जैसा 'बिहारी कहीं के' अक्सर सुनने को मिलता है - और जैसे लोग खुद को बिहारी होने पर गर्व महसूस करते हैं, ठीक वैसे ही यूपी के लोगों ने भी निर्मला सीतारमण की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी है.
हाल ही में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक कार्यक्रम में कहा था, 'सिर्फ इसलिए कि हम तमिल चाहते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हम संकीर्ण सोच वाले हैं - न केवल हिंदी, बल्कि हम किसी भी भाषा के खिलाफ नहीं हैं.'
संयोग से निर्मला सीतारमण भी तमिलनाडु से ही आती हैं. फिर भी स्टालिन और निर्मला सीतारमण की सोच में वैसा ही फर्क है जैसा विदेश मंत्री एस. जयशंकर की सोच में - ये भी हो सकता है कि राहुल गांधी को नसीहत देने के लिए वो भारत की विभिन्नताओं वाली खूबी को न बांटने की सलाह देने के लिए राजनीतिक बयान देते हों.
क्या ये दक्षिण के लोगों की सोच है: क्या टिपिकल 'यूपी टाइप' बोलना गाली देने जैसा है? क्या ये भी दक्षिण के लोगों के हिंदी के प्रति विरोधी रवैये जैसा ही है?
राजनीतिक तौर पर भले ही निर्मला सीतारमण से गलती हुई हो, लेकिन क्या उनके मन की बात ही जबान पर आ गयी है? क्या निर्मला सीतारमण हमेशा उत्तर भारत के लोगों के प्रति ऐसा ही सोचती हैं?
कहने को तो चुनावों में ममता बनर्जी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को गुजराती बोल बोल कर कोसती रहती हैं. ठीक वैसे ही 2015 के बिहार चुनाव में भी मोदी-शाह को बाहरी बताया गया था, लेकिन क्या ममता बनर्जी और निर्मला सीतारमण के बयान एक जैसे समझे जा सकते हैं?
ममता और निर्मला सीतारमण के बयान में निशाने बिलकुल अलग हैं. ममता बनर्जी गुजराती लोगों के बारे में नहीं, बल्कि गुजरात के दो बीजेपी नेताओं को टारगेट कर रही थीं. कहने को तो निर्मला सीतारमण ने भी राहुल गांधी को ही निशाने पर लिया है, लेकिन वो निशाना चूक गया और सीधे यूपी पर जा लगा.
यूपी और बिहार के लोगों के प्रति देश के ही अलग अलग राज्यों में स्थानीय लोगों का व्यवहार रंगभेद से कम नहीं होता. दिल्ली को छोड़ दें तो चाहे वो पंजाब हो, मुंबई हो या कोई भी गैर हिंदी भाषी क्षेत्र ऐसे लोगों को 'भैया' बोला जाता है - और भैया बोलने का अंदाज कतई वैसा नहीं होता जैसे दादा कह कर बुलाया जाता है या नाम में भाई जोड़ कर ही जिक्र किया जाता है.
निर्मला सीतारमण ने भी जब यूपी टाइप बोला होगा तो उनके दिमाग में भी भैया वाली ही छवि होगी. भैया होने का मतलब हर तरह से पिछड़ेपन के शिकार होने जैसा होता है. आर्थिक स्थिति को अलग रख कर देखें तो भी बोलचाल से लेकर हाव-भाव और व्यवहार के लहजे में भी लोग फर्क करके देखते हैं.
वैसे निर्मला सीतारमण के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा से भी कहीं बढ़िया जवाब बीजेपी के ही नेता और उनके कैबिनेट साथी एस. जयशंकर पहले ही दे रखे हैं - ये बात अलग है कि जब का ये ट्वीट है, उनके निशाने पर भी राहुल गांधी ही रहे.
I hail from the South.
I am an MP from a Western state.
I was born, educated and worked in the North.
I represented all of India before the World.
India is one. Never run down a region; never divide us.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 23, 2021
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