Union Budget 2022 : काश ये बजट किसानों को आवारा पशुओं से निजात की सौगात भी देता !
Union Budget 2022 : उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. जनता की खुशी और ग़म को देखते हुए 2022-23 के बजट के जरिए चुनावी मौसम को सुहावना बनानी की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है. प्रधानमंत्री आवास योजना को आगे और विस्तार देनें के लिए 80 लाख मकान बनाए जाने 48 हजार करोड़ का बजट आवंटित किया गया है.
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दिल्ली की कुर्सी तय करने वाले सबसे बड़े राज्य यूपी का विधानसभा चुनाव भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती है. इस सूबे की जनता में डबल इंजन की सरकार को लेकर जहां संतुष्टि के भाव झलक रहे हैं वहीं असंतुष्टि और नाराजगी भाजपा के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रही हैं. ज़मीनी हकीकत की पड़ताल बता रही हैं कि गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लुभा रहा है, वहीं किसानों का एक तबके की नाराजगी यूपी में भाजपा की चुनावी नैया को खतरे के संकेत दे रही है. जनता की खुशी और ग़म को देखते हुए 2022-23 के बजट के जरिए चुनावी मौसम को सुहावना बनानी की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है. प्रधानमंत्री आवास योजना को आगे और विस्तार देनें के लिए 80 लाख मकान बनाए जाने 48 हजार करोड़ का बजट आवंटित किया गया है. बहुत पहले से ही गरीब जनता इस योजना का लाभ उठा रही है.
5 राज्यों उनमें भी सबसे प्रमुख उत्तर प्रदेश चुनाव है ऐसे में बजट 2022 खुद भाजपा के लिए भी बहुत जरूरी था
यूपी में भाजपा के चुनावी रथ को विजय पथ तक पहुंचाने में प्रधानमंत्री आवास योजना मददगार साबित हो सकती है. इसलिए जन-जन का दिल जीतने वाली गरीबों को घर देने वाली योजना को रफ्तार देकर भाजपा एक बार फिर पुनः चुनावी जीत के सपनो़ के महल को हकीकत का जामा पहनाने की कोशिश में है. गवर्नेंस के सकारात्मकता को विस्तार देने के साथ नकारात्मक फीडबैक को डैमेज कंट्रोल करने
के लिए आम बजट की तस्वीर में चुनावी रंग साफ दिखने को मिले हैं. देश में पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश सबसे अधिक अहम हैं, और यहां चुनावी मौसम में जनता के फ़ीडबैक के अनुसार बजट को लोकलुभावन रंगों से आकर्षित बनाने की कोशिश की गई है. चुनावी राज्य यूपी और पंजाब में किसानों की नाराजगी को कम करने की कोशिश की गई है.
कृषि के क्षेत्र में सहुलयतें देने के वादों पर हकीकत की मोहर लगाता बजट कितनी राहत देगा ये तो वक्त ही बताएगा पर किसानों की नाराजगी के डेमेज कंट्रोल वाला भाजपा का चुनावी एजेंडा बजट में झलकता दिखा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एलान किया कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेंहू और धान की खरीद के लिए 2.37 लाख रुपए भुगतान करेगी.
साथ ही वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है. यही नहीं अगले वर्ष में किसानों के खाते में 2.37 लाख करोड़ डीबीटी के जरिए दिए जाने के एलान ने किसानों को तसल्ली दी. गंगा किनारे जैविक खेती के लिए गंगा किनारे पांच किलोमीटर चौड़े कारिडोर की कृषि भूमि पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. एक करोड़ किसानों को फायदा पंहुचाने के लिए एक हजार मीट्रिक टन धान की की खरीद की जाएगी.
इन सबके बावजूद यूपी के किसानों की एक समस्या ज्यों की त्यों ही रहेगी जिसे लेकर यूपी के किसानों में योगी सरकार को लेकर काफी नाराजगी है. गोवध रोकने, गोवंश को बढ़ावा और संरक्षण के वादों के बाद पिछले विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीती भाजपा ने अपने वादे पूरे किए. योगी सरकार की हालत कानून व्यवस्था ने अवैध बूचड़खानों को बंद करवाया, गोकशी को रोकने की सराहनीय सफलता पाकर प्र्रदेश के बहुसंख्यक समाज की भावनाओं की रक्षा की.
किंतु इन बेहतर कामों के क्रियान्वयन या गौशालाओं के संचालन में कमी के कारण आवारा पशु किसानों की फसलों को तबाह कर रहे हैं. किसानों की ऐसी शिकायतें को दूर करने के लिए योगी सरकार फिलहाल कोई आश्वासन भी नहीं दे रही है. खेती किसानी में टेक्नालाजी के इस्तेमाल के लिए किसान ग्रंथों की घोषणा सुखद है. जिससे फसल मूल्यांकन, कीटनाशकों का छिड़काव जैसे लाभ मिल सकेंगे.
काश आवारा पशुओं से निजात दिलाने की सौगात भी इस बजट में शामिल होती तो यूपी के किसानों को राहत की सांस भाजपा की चुनावी नैया पार कराने में मदद देती.
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