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Updated: 25 जुलाई, 2018 03:23 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
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दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में 25 जुलाई से 10वां ब्रिक्स समिट शुरू होगा. यह समिट 27 जुलाई तक चलेगा. 2011 में ब्रिक्स समूह का गठन हुआ था जिसमें ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. इसका मुख्य उद्देश्य अपने आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव से पश्चिमी देशों के प्रभुत्व को चुनौती देना है, दुनिया के तमाम देशों के साथ बेहतर आर्थिक संबंध कायम करना और सभी सदस्य देशों के विकास के लिए वित्तीय, तकनीक और व्यापार के क्षेत्र में एक दूसरे की सहायता करना. ब्रिक्स का अपना एक बैंक भी है. ब्रिक्स समिट का आयोजन हर साल किसी सदस्य देश द्वारा होता है. भारत इसका आयोजन 2012 और 2016 में कर चुका है.

BRICS summitब्रिक्स समिट 2016-  मेजबान भारत था

ट्रेड वॉर का मुद्दा उठेगा

इस बार का ब्रिक्स समिट ट्रेड वॉर के साये के बीच होने जा रहा है. ग्लोबल इकॉनमी में इस समय ट्रेड वॉर की स्थिति है. ये परिस्थिति तब उत्पन्न हुई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने चीन से आयात किए जाने वाले सभी सामानों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. साथ ही ट्रंप ने ये गंभीर आरोप लगाया कि चीन और यूरोपीय यूनियन व्यापार लाभ के लिए अपने मुद्रा को कमजोर कर रहे हैं. यहां पर आपको बताना जरुरी है कि 2018 में अमेरिका ने चीन, मैक्सिको, कनाडा, ब्राजील, अर्जेटीना, जापान, दक्षिण कोरिया व यूरोपीय संघ के विभिन्न देशों के साथ-साथ भारत की कई वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाए हैं. इसके जवाब में वे उन देशों ने भी अमेरिका की वस्तुओं के खिलाफ आयात शुल्क में वृद्धि की है. अमेरिकी सरकार के टैरिफ लगाने के बाद कई देशों ने अमेरिका की संरक्षणवाद की नीति की कड़ी आलोचना की है. हाल ही में ब्यूनस आयर्स में आयोजित जी-20 वित्त मंत्रियों के सम्मेलन के बाद चीन ने ब्राजील, रूस, भारत और दक्षिण अफ्रीका से आग्रह किया था कि वो ट्रेड वॉर के खिलाफ एक मोर्चा बनाकर उसका डट कर मुकाबला करें.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक अनुमान के अनुसार अमेरिका के एकतरफा ट्रेड एक्शन के कारण होने वाले ग्लोबल ट्रेड वॉर में नुकसान बहुत अधिक हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार 2020 तक करीब 430 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है. इस समिट में पांचों देश मुख्य रूप से चीन जो अमेरिकी एक्शन का सबसे ज्यादा शिकार है, ट्रम्प के सरक्षणवादी नीति का विरोध करेंगे.

BRICS summitइस बार का ब्रिक्स समिट ट्रेड वॉर के साये के बीच होने जा रहा है

अन्य मुद्दे जिस पर चर्चा हो सकती है

आतंकवाद को समाप्त करने में सभी देशों का सहयोग, संयुक्त राष्ट्र में सुधार, साइबर सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर इस समिट में चर्चा की जा सकती है.

भारत का दबाव किस पर रहेगा

भारत एक ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी स्थापित करने के लिए काफी इच्छुक है. उसने तर्क देते हुए कई दफा कहा है कि एस & पी, फिच और मूडी विकासशील देशों के खिलाफ पक्षपात रुख अपनाते हैं. जब 2016 में भारत ने इसको लेकर एक साध्यता स्टडी पेश की थी तो अन्य सदस्य देश ज्यादा उत्साहित नहीं हुए थे. लेकिन इस बार फिर भारत इस मुद्दे को लेकर दबाव बना सकता है.

मोदी ने ब्रिक्स को आतंकवाद से लड़ने के लिए रणनीति बनाने पर जोर दिया है. भारत इसके लिए अपनी पुरजोर कोशिश कर रहा है. भारत चाहता है कि ब्रिक्स के सभी देश पूरी ताकत से मनी लॉन्डरिंग, आतंकवादियों को वित्तीय पोषण, साइबर स्पेस और कट्टरता पर संयुक्त कार्रवाई करे. भारत इस समिट में चाहता है कि सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ ब्रिक्स एक कड़ा व्यक्तव्य जारी करे ताकि पाकिस्तान को एक गंभीर मैसेज जाए. 2017 में चीन में हुए ब्रिक्सस समिट में भारत को बहुत बड़ी कामयाबी मिली थी जब घोषणापत्र में आतंक के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का नाम लिया गया था. भारत इस बार भी ब्रिक्स समिट में लश्कर और जैश का नाम घोषणापत्र में डलवाने का दबाव बनाएगा.

ब्रिक्स समूह की प्रासंगिकता

ब्रिक्स देशों के पास दुनिया की जीडीपी का करीब 23 फीसदी हिस्सा है. इतना ही नहीं पूरे विश्व का 18 फीसदी व्यापार इसी समूह के देश करते हैं. पूरे विश्व की 41 फीसदी आबादी भी ब्रिक्स देशों में रहती है. इस समूह की खासियत ये है कि सदस्य देशों के बीच भारी अंतर्विरोध होने के बावजूद भी ये अभी तक सुचारु ढंग से चल रहा है. चीन और रूस में प्रभुत्वशाली सरकारें, चीन और भारत के बीच सीमा विवाद और कई मुद्दों पर खींचातानी, दक्षिण अफ्रीका और भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए प्रतिस्पर्धा. इन सब के बावजूद हाल के वर्षो में ब्रिक्स विश्व में एक मुकाम हासिल करने में सफलता हुआ है. 2014 में स्थापित नया विकास बैंक ब्रिक्स की एक बड़ी उपलब्धि है. एक खास देश की बढ़ती संरक्षणवाद की नीति के खिलाफ ब्रिक्स राष्ट्रों ने चिंता जाहिर की है.

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आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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