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Updated: 11 अक्टूबर, 2016 04:01 PM
राकेश चंद्र
राकेश चंद्र
  @rakesh.dandriyal.3
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस हफ्ते भारत दौरे पर आने वाले हैं. तो आने से पहले एक बयान जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने के मुद्दे पर भारत से बातचीत करने को तैयार है लेकन मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने की भारत की कोशिश का वह समर्थन नहीं कर सकता.

ब्रिक्स समूह की आठवीं बैठक 15-16 अक्टूबर को गोवा में होनी है, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में इसे काफी अहम माना जा रहा है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत अन्य नेताओं के साथ भी प्रधानमंत्री मोदी की वार्ता होगी. 16 सितंबर को ब्रिक्स शिखर देशों के नेताओं की बैठक होगी और इसमें आतंकवाद के विरुद्ध आवाज उठने की पूरी संभावना है. भारत उरी में आतंकी हमले का मामला उठा सकता है. प्रधानमंत्री विश्व के नेताओं को सर्जिकल स्ट्राइक किए जाने की जरूरत के बारे में जानकारी दे सकते हैं. पाकिस्तान से प्रॉक्सीवार के तौर पर जारी आतंकवाद तथा ताजा हालात के बारे में जानकारी देकर भारत पक्ष रख सकते हैं. आतंकवाद पर अगर चीन का यही अड़ियल रवैया जारी रहा तो ब्रिक्स इन्हीं मतभेदों के कारण फेल हो सकता है.

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आतंकवाद और व्यापर साथ साथ नहीं चल सकता

भारत चीन के राष्ट्रपति के साथ चर्चा में आतंकी सरगना मसूद अजहर का मुद्दा उठ सकता है और उसे उठाना भी चाहिए. भारत जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर और उसके संगठन को संयुक्त राष्ट्र में आतंकी घोषित करने की पहल कर रहा है और चीन इसमें अडंगा डाल रहा है. इसके अलावा हिमालयी पर्यावरण, ब्रह्मपुत्र नदी के जल प्रवाह पर भारत की नाराजगी को लेकर भी चर्चा के पूरे आसार हैं. हालांकि चीन ने एक बार फिर साफ किया है कि ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी शियाबुकु का पानी वो नहीं रोकेगा. लेकिन अब समय आ गया है कि हिंदुस्तान चीन को साफ साफ बता दे कि भारत के मामलों में चीन का हस्तक्षेप उसे मंजूर नहीं है, और अगर चीन नहीं मनाता तो भारत चीन पर आर्थिक प्रतिबंध तो लगा ही सकता है.

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अगर चीन को अपने आर्थिक हित पाकिस्तान में ही दिखते हैं तो वह पाकिस्तान को अपनाने की लिए स्वतंत्र है, भारत से दूर ही रहे व भारत भी हर मामले में चीन से दूर ही रहे. साबरमती का ज्ञान शायद चीनी नहीं समझेंगे, उन्हीं फिरंगी छल प्रपंच ही भाता है .

प्रधानमंत्री को इस संम्बंध में चीन के राष्ट्रपति से साफ-साफ बात करनी होगी कि चीन किन किन मामलों में पाकिस्तान के साथ है, आतंकवाद और व्यापर साथ साथ नहीं चल सकता है, भारत में दीपावली से पहले ही चीन की वस्तुओं का विरोध शुरू हो चूका है, शायद इसी कारण चीन से ये प्रतिक्रिया आई है.

हाल ही में चीन ने भारत के साथ एक बार फिर गद्दारी की. उसने मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रस्ताव को फिर से वीटो कर दिया था. चीन अगर कोई फैसला नहीं लेता तो मसूद अजहर अंतराष्ट्रीय आतंकी घोषित हो जाता लेकिन चीन ने भारत के साथ फिर गद्दारी करते हुए अस्थाई रोक को 6 महीने के लिए और बढ़ा दिया. संयुक्त राष्ट्र के 15 में से 14 सदस्य देश मसूद अजहर के मामले में भारत के समर्थन में थे लेकिन अकेला चीन मसूद अजहर के समर्थन में खड़ा था और अपनी वीटो पावर का गलत इस्तेमाल करते हुए भारत को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है.

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राकेश चंद्र राकेश चंद्र @rakesh.dandriyal.3

लेखक आजतक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं

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