ब्रिटेन में भी 'भाजपा' ऐतिहासिक रूप से जीती है!
राष्ट्रवाद, कश्मीर जैसे मुद्दों पर Boris Johnson ने Britain के चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की है, बात अगर यहां की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी, लेबर पार्टी की हो तो अत्यधिक सेक्युलर बनने के चक्कर में वो उस मुकाम पर आ गई है जहां भारत में Congress है.
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13 दिसंबर 2019 ये वो तारीख है जो ब्रिटेन और नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) को हमेशा याद रहेगी. ब्रिटेन में हुए आम चुनावों में जॉनसन की कंजरवेटिव पार्टी (Conservative Paty) ने करिश्मा कर दिखाया. ब्रिटेन में भी कुछ वैसा हुआ, जैसा हमने इसी साल भारत में तब देखा था जब आम चुनाव हुए थे. बोरिस की कंजरवेटिव पार्टी ने बहुमत के आंकड़े 326 को पार कर दिया है. हाउस ऑफ कॉमन्स की कुल 650 में से प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन(PM Boris Johnson) की कंजरवेटिव पार्टी को 364 सीटों पर जीत मिल चुकी है. यह बहुमत के आंकड़े (326) से 30 ज्यादा है. बात अगर दूसरे दल यानी लेबर पार्टी की हो तो लेबर पार्टी ने 203 सीटों पर जीत दर्ज की है. बोरिस का ये चुनाव भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बहुत ज्यादा प्रभावित था. बोरिस ने राष्ट्रवाद, एंटी माइग्रेंट, कश्मीर (Kashmir Issue In Britain Elections) जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की. माना जा रहा है कि इस जीत के बाद बोरिस, ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से अलग करने वाली ब्रेक्जिट को लागू कर सकेंगे.
ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन ने वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद शायद ही किसी ने की हो
बात अगर ब्रिटेन की लेबर पार्टी की हो तो बोरिस की इस जीत के बाद उसकी हालत भारत में कांग्रेस जैसी हो गई है. माना जा रहा है कि अधिक सेक्युलर बनने के चक्कर में लेबर पार्टी ने ऐसा बहुत कुछ कर दिया जिसका खामियाजा उसे इस चुनाव में भुगतना पड़ा. जीत के बाद बोरिस जॉनसन ने ट्विटर पर ख़ुशी जाहिर करते हुए लिखा है कि यूके दुनिया का सबसे महान लोकतंत्र है. जिन्होंने भी हमारे लिए वोट किया, जो हमारे उम्मीदवार बने, उन सबका शुक्रिया.
Thank you to everyone across our great country who voted, who volunteered, who stood as candidates. We live in the greatest democracy in the world. pic.twitter.com/1MuEMXqWHq
— Boris Johnson (@BorisJohnson) December 12, 2019
इसके विपरीत बात अगर विपक्षी दल यानी लेबर पार्टी की हो तो दल का नेतृत्व कर रहे जेरेमी कॉर्बिन ने ब्रेग्जिट को अपनी हार का कारण बताया है. इसके अलावा कार्बिन ने ये भी ऐलान किया है कि अब वो आगे पार्टी का नेतृत्व नहीं करेंगे.
It was a very disappointing night.
But I'm proud that we took our message of hope, unity and justice to every part of this country. pic.twitter.com/GohzcCfWkM
— Jeremy Corbyn | Vote today ???? (@jeremycorbyn) December 13, 2019
बात ट्विटर और बोरिस जॉनसन की जीत की चल रही है तो भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बोरिस की इस जीत पर ख़ुशी जाहिर की है. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि,'बोरिस जॉनसन को दमदार बहुमत के साथ सत्ता में लौटने की बधाई. मेरी तरफ से उन्हें शुभकामनाएं. भारत-यूके के करीबी संबंधों के लिए हम साथ काम जारी रखेंगे.'
Many congratulations to PM @BorisJohnson for his return with a thumping majority. I wish him the best and look forward to working together for closer India-UK ties. pic.twitter.com/D95Z7XXRml
— Narendra Modi (@narendramodi) December 13, 2019
तमाम राजनेताओं से इतर पीएम मोदी की बोरिस को ये मुबारकबाद इसलिए भी अहम है क्योंकि कंजरवेटिव पार्टी की ब्रिटेन में जीत में भाजपा की भी एक बड़ी भूमिका है. माना जा रहा है कि भाजपा ने भी कंजरवेटिव पार्टी को पर्दे के पीछे से समर्थन दिया था. बताया जा रहा है कि ब्रिटेन में रह रहे भारतीय मूल के लोगों को कहा गया था कि वो बोरिस और उनकी पार्टी को ही वोट करें. ध्यान रहे कि ब्रिटेन में भारतीयों की एक बड़ी संख्या है और कहा यही जा रहा है कि अगर आज ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन इस मुकाम पर आए हैं तो इसमें उन भारतीय वोटों का बहुत अहम रोल है जो बोरिस के पाले में गए.
बोरिस जॉनसन ने इतिहास रचा है तो हमारे लिए भी उन कारणों पर नजर डाल लेना बहुत जरूरी है जिनके चलते ब्रिटेन में बोरिस ने वो कर दिखाया जिसकी कल्पना इस चुनाव से पहले शायद ही किसी ने की हो.
भारतीय वोटों के लिए बोरिस का मंदिर जाना
बात बोरिस जॉनसन, उनकी जीत और भारतीयों के सन्दर्भ में चल रही है तो बता दें कि अभी बीते दिनों ही बोरिस जॉनसन ने आम चुनावों में भारतीय समुदाय को लुभाने के लिए अपनी गर्लफ्रेंड कैरी सायमंड्स के साथ स्वामीनाथन मंदिर में दर्शन किये थे. स्वामिनाथन मंदिर में दर्शन करने आए बोरिस ने नए भारत के निर्माण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साझेदारी का संकल्प जताया था.
स्वामीनाथन मंदिर में अपनी प्रेमिका के साथ बोरिस जॉनसन
बोरिस ने कहा था कि, मैं जानता हूं कि प्रधानमंत्री मोदी नए भारत का निर्माण कर रहे हैं. ब्रिटिश सरकार में हम इस प्रयास में उनका समर्थन करेंगे. साथ ही जॉनसन ने ये भी कहा था कि वो इस देश में (ब्रिटेन में ) किसी भी तरह के नस्लवाद या भारत विरोधी भावना के लिए कोई जगह नहीं है.
ज्यादा से ज्यादा इंडियन वोट कंजरवेटिव पार्टी की झोली में आएं इसके लिए अपनी मंदिर यात्रा के दौरान बोरिस ने मंदिर को लेकर ये भी कहा था कि, यह मंदिर हमारे देश को हिंदू समुदाय द्वारा दिया गया सबसे महान उपहारों में से एक है. यह हम सभी के जीवन में सामुदायिक भावना को प्रबल करता है. आप महान धर्मार्थ कार्य कर समाज में काफी योगदान दे रहे हैं. लंदन और ब्रिटेन भाग्यशाली हैं.
कश्मीर पर लेबर पार्टी का रुख
बात अगर ब्रिटेन चुनाव के मद्देनजर लेबर पार्टी की हो जनता द्वारा उसे नकारे जाने की एक बड़ी वजह उसका हद से ज्यादा सेक्युलर होना या ये कहें कि अपने को सेक्युलर दर्शाना था. जिसके लिए लेबर पार्टी ने कश्मीर मुद्दे की मदद तो ली मगर जनता को उसका अंदाज नहीं भाया और चुनाव परिणाम के रूप में नतीजा हमारे सामने हैं.
कश्मीर मसला भी बना बोरिस जॉनसन की जीत का एक बड़ा कारण
आपको बताते चलें कि लेबर पार्टी के जेरेमी कॉर्बिन ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भारत सरकार के फैसले के विरोध में प्रस्ताव पारित किया था, उन्होंने कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक तैनात करने के लिए कहा था. साथ ही कश्मीर में तनाव घटाने और भय-हिंसा को रोकने की नसीहत दी थी. कॉर्बिन ने कहा था कि भारत सरकार को कश्मीर के लोगों को खुद का फैसला करने देना चाहिए.
दिलचस्प बात ये है कि लेबर पार्टी का यह रुख ब्रिटेन सरकार के अधिकारिक रुख के विपरीत था. ब्रिटेन सरकार का मानना है कि जम्मू-कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है. माना जा रहा है कि लेबर पार्टी के इस रवैये ने ब्रिटेन के आम नागरिकों को तो खफा किया ही वो भारतीय जो ब्रिटेन में रह रहे थे उनको भी लेबर पार्टी की इस हरकत ने खूब आहात किया.
अब जबकि नतीजे आ गए हैं तो लेबर पार्टी के अध्यक्ष इयान लेवेरी ने कश्मीर मसले को दरकिनार करके सारा ठीकरा ब्रेग्जिट पर फोड़ दिया है. लेवेरी ने कहा है कि ब्रेग्जिट के लिए दूसरी बार जनमत संग्रह का प्रस्ताव देकर उनकी पार्टी ने गलती की, लेवेरी ने कहा कि इसके पीछे पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन की कोई गलती नहीं है,हम यूके के लोगों की भावनाओं को नहीं समझ पाए.
राष्ट्रवाद और प्रवासी बने एक बड़ा मुद्दा
भारत की इस तर्ज पर राष्ट्रवाद और प्रवासी का मुद्दा ब्रिटेन चुनाव में एक बड़े मद्दे की तरह देखा गया. कंजरवेटिव पार्टी और बोरिस जॉनसन की तरफ से जितने भी भाषण हुए उनमें राष्ट्रवाद को एक बड़ा मुद्दा तो बनाया ही गया साथ ही ये बात भी हुई कि अवैध प्रवासी और आतंकवाद भी मुल्क के विकास में एक बड़ा खतरा हैं.
लोगों को पार्टी और जॉनसन की ये बात समझ में आई और परिणाम स्वरुप वो हुआ जिसकी कल्पना शायद ही कभी किसी ने की हो. चुनाव के बाद एग्जिट पोल में ये बात तो निकल कर सामने आ ही गई थी कि कंजरवेटिव पार्टी बढ़त बनाएगी मगर वो बढ़त ऐसी होगी इसका किसी को अंदाजा नहीं था.
ब्रिटेन में कांग्रेस जैसी हो गई है लेबर पार्टी
चाहे 2014 के आम चुनाव रहे हों या फिर 2019 के जिस तरह कांग्रेस को भारत में जनता ने नकारा वो किसी से छिपा नहीं है. सवाल हो कि एक ऐसी पार्टी जिसने एक लंबे समय तक भारत में शासन किया, उसकी ये हालत क्यों हुई ?
तो स्पष्ट जवाब है पार्टी की नीतियां. ये पार्टी की नीतियां ही थीं जिनसे तंग आकर 2014 के आम चुनाव में भारत की जनता ने भाजपा को दी और यही सिलसिला 2019 में भी जारी रहा. बात ब्रिटेन कि चल रही है तो वहां भी लेबर पार्टी भारत की कांग्रेस पार्टी से मिलती जुलती नजर आ रही है जिसका खुद को अत्यधिक सेक्युलर दिखाना उसकी राहों का रोड़ा हो गया.
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