इमरान खान 'कराची' का मसला दबाने के लिए कश्मीर की बात कर रहे हैं
कश्मीर का मुद्दा पाकिस्तान के लिए हर मुश्किल से उबारने का सबसे कारगर उपाय है. मुल्क की हालत बद से बदतर होती चली जा रही है और कश्मीर के बूते ही पाकिस्तान में सभी नेताओं की सियासत चलती है - नजर तो इमरान खान की भी 'कराची' पर है!
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कश्मीर का मुद्दा पाकिस्तान में होती चली आ रही सियासत के लिए संजीवनी बूटी है. एक बार कश्मीर का नाम ले लो फिर तो हर किसी का ध्यान बड़े से बड़े मसलों से अपनेआप हट जाता है. जिस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश इराक की अधूरी लड़ाई को अंजाम देने के नाम पर दोबारा चुनाव जीत गये - कश्मीर का नाम जपते हुए पाकिस्तान में कोई भी सत्ता पर आसानी से काबिज हो जाता है - नवाज शरीफ और मुशर्रफ से लेकर इमरान खान ने भी ऐसा ही किया है. बल्कि, कहें कि ऐसे ही कसमें वादों के बूते इमरान खान ने पाकिस्तान के फौजी हुक्मरानों को साध लिया और वजीर-ए-आजम बनने की नामुमकिन हो चली उम्मीद को एक झटके में एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर में बदल दिया.
जिस तरह इमरान खान ने मुजफ्फराबाद पहुंच कर भारत के खिलाफ आतंकवादी घुसपैठ का अपना पूरा प्लान ही बता डाला, उनके एक मंत्री ने भी एक इंटरव्यू में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की एक गोपनीय रणनीति सरेआम कर दी है. पाकिस्तान के कानून मंत्री के एक बयान के बाद पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी अब इमरान खान पर हमला बोल रहे हैं - और कराची को लेकर किसी भी तरह के एक्शन को बर्दाश्त न करने के लिए आगाह किया है.
जैसे ही इमरान खान को लगा कि कराची का मामला तूल पकड़ने लगा है, वो बगैर वक्त गंवाये फटाफट मुजफ्फराबाद पहुंचे और फिर वहीं से अपने संयुक्त राष्ट्र दौरे का ऐलान भी कर दिया - तो क्या कश्मीर का नाम लेने भर से ही इमरान खान के कराची प्लान पर बवाल खत्म हो जाएगा?
इमरान खान के 'मिशन कराची' पर बवाल
बलूचिस्तान और गिलगिट-बाल्टिस्तान पर मचे बवाल से इमरान खान अभी निबट भी नहीं पाये कि पाकिस्तान में कराची पर हंगामा शुरू हो गया है. हंगामे की वजह पाकिस्तान की आपसी सियासी रंजिश है.
पाकिस्तान में केंद्रीय सत्ता पर फिलहाल इमरान खान की पार्टी PTI का कब्जा है, जबकि सिंध प्रांत में उनकी राजनीतिक विरोधी PPP की सरकार है. कुछ दिनों से पाकिस्तान की आर्थिक हालत और दूसरी मुश्किलों को लेकर पाकिस्तान पीपल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी हमलावर तो थे ही, PTI सरकार के एक मंत्री के बयान के बाद से आक्रामक हो गये हैं.
ट्विटर पर इसी हफ्ते #SindhRejectsKarachiCommittee और #UnitedSindhUnitedPakistan ट्रेंड कर रहे थे - और ये सब यूं ही नहीं हो रहा था. ये बवाल पाकिस्तान की इमरान सरकार में कानून मंत्री फरोग नसीम के बयान के बाद शुरू हुआ. मंत्री के बयान पर बिलावल भुट्टो ने बड़ी ही सख्त जबान में रिएक्ट किया है.
फरोग नसीम ने इंटरव्यू में साफ साफ कह दिया कि वो वक्त आ गया है जब कराची को केंद्र सरकार के अधीन करने के लिए अनुच्छेद 149 (4) को लागू कर दिया जाये. साथ ही, फरोग नसीम ने ये भी कह डाला कि ये प्लान जल्द ही वो कराची कमेटी के सामने रखना चाहेंगे.
वैसे तो पाकिस्तानी कानून मंत्री ने इसे अपनी निजी राय बतायी लेकिन विरोधी राजनीतिक दल की सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि कराची के लोग अपने शहर के गवाह हैं - और इसे एक विशाल कचरे के ढेर में बदलता हुआ देख रहे हैं, जहां कचरा, बिजली की कमी और मक्खियों के अलावा कुछ नहीं है.
बिलावल भुट्टो की चेतावनी - कई और भी बांग्लादेश हैं कतार में!
ये सुनते ही बिलावल भुट्टो आपे से बाहर हो गये और अपनी बात कहने के लिए हैदराबाद में प्रेस कांफ्रेंस बुला ली. बिलावल भुट्टो ने इल्जाम लगाया कि इमरान खान कराची पर कब्जा करने की मंशा रखते हैं.
बिलावल ने पाकिस्तानी मीडिया से कहा, 'सिंध में PPP की सरकार है - और सूबे के खिलाफ किसी भी साजिश को उनकी पार्टी स्वीकार नहीं करेगी.'
बिलावल का सीधा इल्जाम था - केंद्र सरकार कराची को इस्लामाबाद से चलाना चाहती है. बिलावल ने तो यहां तक धमकी दे डाली की इमरान खान का यही रवैया रहा तो वो कश्मीर मसले पर राजनीति करते रहेंगे और देखते देखते एक और बांग्लादेश बन जाएगा.
कश्मीर पर पाकिस्तान में ही घिरे इमरान खान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर दिया तो मलाला युसुफजई ने भी घाटी में होने वाली हिंसा और कश्मीरियों के मानवाधिकार का मुद्दा उठाया. पाकिस्तान में लड़कियों की तालीम की पैरोकार मलाला की बात मीडिया ने हाथों हाथ लिया - लेकिन जब भारतीय मीडिया में अपनी टिप्पणी के खिलाफ कड़ा तेवर देखा तो वो खामोश हो गयीं. असल में मलाला को यही बात समझाने की कोशिश हुई कि वो कश्मीर तक देख रही हैं और अपने ही मुल्क में अल्पसंख्यक हिंदुओं और ईसाइयों की हालत उन्हें नहीं दिखायी दे रही. मलाला को बलूचिस्तान, पश्तूनों और नॉर्थ वजीरिस्तान के लोगों की मुश्किलें नजर नहीं आ रही हैं - आखिर क्यों नहीं मलाला उनकी भी आवाज उठाती हैं?
इमरान खान को तो बिलावल भुट्टो ही आईना दिखा रहे हैं. बिलावल भुट्टो की दलील है - एक तरफ आप कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर पर कब्जा कर लिया है और दूसरी तरफ आप खुद कराची पर कब्जे की कोशिश कर रहे हैं.
दुनिया के दूसरे नेताओं की कौन कहे, इमरान खान के राजनीतिक विरोधी ही उनकी कश्मीर पॉलिसी पर सवाल खड़े करने लगे हैं. बिलावल भुट्टो इस बात के लिए भी आगाह कर रहे हैं कि कराची को लेकर संविधान में बदलाव करने के बाद वो भला कैसे कश्मीर को लेकर भारत सरकार से सवाल खड़ा कर सकते हैं. बिलावल का कहना है कि ऐसा करके तो इमरान खान अपना नैतिक साहस ही गंवा बैठेंगे.
बिलावाल ने इमरान को उनके बयानों और रणनीतियों के दायरे में रखते हुए सवालों के कठघरे में खड़ा कर दिया है, 'एक तरफ आप कहते हैं कि कश्मीर में मानवाधिकार के उल्लंघन दुनिया के हर मंच पर आवाज उठाएंगे, दूसरी तरफ अपने ही मुल्क में मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं. एक तरफ कश्मीर में जम्हूरियत की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ अपने यहां जम्हूरियत का जनाजा निकाल रहे हैं.'
अभी अभी ब्रिटेन सरकार के नुमाइंदे ने जम्मू-कश्मीर पर भारत के रूख का पूरा समर्थन किया है. भला किस बूते इमरान खान कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र में दुनिया को समझाने की बात कर रहे हैं. लग तो यही रहा है कि अवाम से नया पाकिस्तान के नाम पर वोट मांग कर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद इमरान खान अब अपने ही लोगों को गुमराह करने लगे हैं.
सबसे बड़ी तो बिलावल भुट्टो ने सिंध को लेकर कह डाली है. इमरान के इरादे को भांपते हुए बिलावल भुट्टो ने साफ कर दिया है कि अगर कराची कमेटी ने कोई सिफारिश की और इमरान सरकार ने पीपीपी को कमजोर करने को लेकर कोई सियासी चाल चली तो पाकिस्तान सिंध को गंवा बैठेगा. बकौल बिलावल बिलावल भुट्टो - 'कल बांग्लादेश बना था... तो फिर आप जुल्म करते रहेंगे और पीपीपी जैसे संगठन खड़े नहीं होंगे... तो फिर सिंध देश भी बन सकता है.'
बिलावल यहीं नहीं रुकते, कह डालते हैं - 'इसी तरह पख्तूनों का देश बन सकता है.'
इमरान खान को ये तो समझ में आ ही रहा होगा कि दुनिया में पाकिस्तान कैसे अलग थलग पड़ चुका है. पाकिस्तानी हुक्मरान हाफिज सईद को बचाते रहे लेकिन अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित होने से नहीं रोक पाये. इमरान खान जी जान से जुटे रहे. चीन का भी हाथ पकड़े रहे लेकिन मसूद अजहर को आतंकी घोषित होने से रोकने में नाकाम रहे. FATF में पाकिस्तान के ब्लैकलिस्ट होने का खतरा टला नहीं है - अमेरिका भी इमरान खान को आतंकवाद के मुद्दे पर बार बार आगाह कर रहा है.
इमरान खान जंग की बात कर रहे हैं. इमरान खान ये भी कबूल कर रहे हैं कि परंपरागत युद्ध में पाकिस्तान को भारत से मुंह की खानी पड़ेगी. ऐसे में वो न्यूक्लियर बम के इस्तेमाल की धमकी भी दे डालते हैं. साफ है इमरान खान के दिमाग में 1971 का हर लम्हा गूंज रहा है. भारत की तरफ से भी PoK को लेकर बातें तो सुनी ही होंगी. अब तो यही बात पाकिस्तान के अंदर से ही बिलावल भुट्टो उठा रहे हैं - आखिर एक कराची के लिए इमरान खान कितने बांग्लादेश बनाने में जुटे हुए हैं?
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