इमरान खान जोश-जोश में आतंकियों की कश्मीर में घुसपैठ का प्लान बता गए!
इमरान खान की मुजफ्फराबाद रैली ने 'नया पाकिस्तान' की ताजा तस्वीर जारी कर दी है. इमरान खान का नया पाकिस्तान कुछ और नहीं सिर्फ मुल्क के भविष्य के खून का प्यासा है - सवाल ये भी है कि इमरान खान दुनिया को बेवकूफ क्यों समझते हैं?
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इमरान खान ने पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में रैली कर बहुत सारी बातें साफ कर दी है. अब तो भारत को ऐसा कोई सबूत देने की जरूरत भी नहीं रही कि सरहद पार से घुसपैठ कैसे होती है. सबूत को तो पैमाइश की जरूरत होती, इमरान खान ने तो पाकिस्तान की तरफ से घुसपैठ की कोशिश पर आधिकारिक बयान ही दे डाला है.
साथ ही, इमरान खान ने भारत के अगले सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारियों को भी काफी आसान कर दिया है. अब तो चाहे मौसम खराब हो या बादल छाये रहे, पाकिस्तान ने लोकेशन भी बता दी है - पाकिस्तान कहां पर घुसपैठियों को तैयार कर रहा है.
बस एक बात नहीं समझ में आ रही कि आखिर इमरान खान ने दुनिया के नेताओं को इतना बेवकूफ कैसे समझ रखा है कि जो वो बताएंगे वो नहीं समझेंगे और जो वो समझाना चाहते हैं वही समझेंगे?
दुनिया ने देख ली इमरान खान के नये पाकिस्तान की तस्वीर
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी वही कर रहे हैं जो नवाज शरीफ किया करते थे. जम्मू-कश्मीर में एनकाउंटर में मारे गये बुरहान वानी को नवाज शरीफ संयुक्त राष्ट्र पहुंच कर 'इंतिफदा' बता आये थे - और तब इमरान खान नवाज शरीफ को प्रो-इंडिया पाक लीडर के तौर पर समझाते रहे. अब इमरान खान भी UN पहुंच कर ऐसा ही कुछ करने का प्लान कर रहे हैं.
PoK के मुजफ्फराबाद पहुंचे इमरान खान का भाषण सुन कर फर्क करना मुश्किल होता है कि किसी मुल्क का PM बोल रहा है या फिर किसी दहशदगर्दी तंजीम का सरगना.
इमरान खान पाकिस्तानी नौजवानों को अपने हिसाब से मोटिवेट कर रहे थे. कहीं कोई कमी न रह जाये इसलिए बीच बीच में इस्लाम का वास्ता भी दिये जा रहे थे. पाक सरहद से घुसपैठ के लिए उकसाते उकसाते रुक भी गये - 'LoC कब जाना है मैं बताऊंगा'. गजब. क्या नमूना नेता है. पाकिस्तानी अवाम ने इमरान खान को वोट इसीलिए दिया था - ऐसा ही पाकिस्तान बनाने के लिए?
देख ली दुनिया ने इमरान के नया पाकिस्तान की ताजा तस्वीर!
फौज की बात और है. अगर कोई प्रधानमंत्री फौजी जवानों की हौसलाअफजाई करता तो भी एक बार उसके अपने मुल्क से मोहब्बत से जोड़ कर देखा जाता. ये क्या - एक मुल्क में जम्हूरियत का नुमाइंदा होने का दावा करने वाला कोई कायद अपने ही नौजवानों को ऐसे कैसे मरने के लिए आग में सरेआम झोंक देने की बात कर रहा है? ऐसे तो इमरान खान और और किसी आतंकवादी सरगना में कोई फर्क ही नहीं समझ आ रहा है. आखिर ओसामा बिन लादेन से लेकर हाफिज सईद और मसूद अजहर भी तो ऐसे ही नौजवानों की काउंसिलिंग करते रहे हैं.
जरा इमरान खान की जिहादी लफ्फाजी का भी लुत्फ उठाइए - 'मुझे आपके जज्बे का पता है कि आप लाइन ऑफ कंट्रोल की तरफ जाना चाहते हैं. नौजवानों मुझे पता है आपमें जज्बा और जुनून है - लेकिन अभी लाइफ ऑफ कंट्रोल की तरफ नहीं जाना.'
एक बार ग्रीन सिग्नल दिखाने के बाद खुद ही लाल झंडी भी दिखा देते हैं, 'मैं आपको बताऊंगा कब जाना है... अभी आपको नहीं जाना है... पहले मुझे यूनाइटेड नेशंस जाने दो... दुनिया के लीडर्स को बताने दो... कश्मीर का केस लड़ने दो.'
भई वाह क्या किस्मत है! देश के नौजवानों को मरने के लिए देश का प्रधानमंत्री ही तैयार कर रहा है. देश का प्रधानमंत्री देश के नौजवानों की शेल्फ-लाइफ भी खड़े खड़े तय कर दे रहा है.
इमरान खान ने दुनिया के नेताओं के बारे में गलतफहमी क्यों पाल रखी है
आखिर इमरान खान ने भी तो भारतीय सेना के अफसरों की प्रेस कांफ्रेंस टीवी पर देखी ही होगी. नहीं देख पाये होंगे तो अखबारों में तो खबर पढ़ी ही होगी. कोई खबर छूट कैसे सकती है? बालाकोट में एयरस्ट्राइक होती है तो इमरान खान भले सो रहे हों, घटना की जानकारी तो पाकिस्तानी फौज के प्रवक्ता ही देते हैं. सुरक्षा बलों की एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कश्मीर में पनप रहे स्थानीय आतंकवादियों की शेल्फ लाइफ को लेकर कंफ्यूजन खत्म कर दिया था - अधिकतम 365 दिन. यानी एक साल.
इमरान खान को मालूम होना चाहिये कि जिन नौजवानों को वो ललकार रहे हैं. जिन नौजवानों को वो मोटिवेट कर रहे हैं. जिन नौजवानों को होल्ड करने को कह रहे हैं - सभी कि शेल्फ लाइफ उतने ही दिन हैं जब तक कि वो LoC पार करने के बारे में सोचे नहीं हैं. अगर ऐसा दुस्साहस करने की सोची भी तो शेल्फ लाइफ घंटे भर भी नहीं होगी.
अगर कहीं फिर से सर्जिकल स्ट्राइक हो गयी तो PoK में भी शेल्फ लाइफ खत्म ही समझें. आखिर इमरान खान ने सरहद पार की दहाड़ तो सुनी ही होगी - आर्मी चीफ ने तो साफ साफ कह दिया है कि सेना PoK दौरे के लिए हरदम तैयार है. देर सिर्फ खुली छूट फिर से मिलने भर की है. सबूत भी तो होंगे ही. इमरान खान ने भी देखे ही होंगे - बालाकोट स्ट्राइक के सबूत. पाक फौज के दोस्त से भी बढ़ कर दोस्त हाफिज सईद ने जो दर्द बयां किये होंगे, इमरान खान से भी तो शेयर किया ही गया होगा.
इमरान खान की रैली के बाद मीडिया रिपोर्ट बता रही हैं कि कैसे लोगों को रावलपिंडी और एबटाबाद से ट्रकों में भर कर लाया गया था. क्या इमरान खान किराये की भीड़ को जिहादी जवान समझने की भूल कर रहे हैं? अरे, जो भीड़ भाषण सुनने के बावजूद वोट नहीं देती - वो जान देने जाएगी.
और UN में दुनिया के नेताओं को क्या समझाएंगे इमरान खान? यही कि पाक फौज ने जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के लिए टीम तैयार कर रखी है. बस लौटने की देर है और पाकिस्तान दुनिया को लाइव दिखाएगा कि कैसे किसी हंसते-खेलते खुशहाल मुल्क में घुसपैठ करायी जाती है?
आखिर इमरान खान ने समझ क्या रखा है?
दुनिया पाकिस्तान को भारत के खिलाफ घुसपैठ के लिए मदद में खड़ी हो जाएगी.
हद है. इमरान खान जैसी राजनीति कर रहे हैं, वैसे क्रिकेटर तो कतई नहीं थे. ये क्या हुआ कि पाकिस्तान का प्रधानमंत्री खुद ही दुनिया को वे सारे सबूत पेश कर देगा जिसके बारे में दुनिया का भारत बताता आ रहा है. अगर ऐसा है फिर तो इमरान खान खुद को नवाज शरीफ से भी कहीं आगे बढ़ कर हमदर्द साबित करने पर तुले हुए हैं.
इमरान खान कन्फ्यूज तो नहीं लगते! अगर ऐसा होता राजनीति में आने से पहले वो एक मामूली क्रिकेटर और नाकाम कप्तान ही साबित हुए होते - तो क्या हड़बड़ी में कुछ भी किये जा रहे हैं?
बस इधर का मैसेज उधर पहुंचा रहे हैं. पाक आर्मी चीफ कमर बाजवा व्हाट्सऐप करते हैं और इमरान खान मंच पर खड़े होकर बांचते भर हैं. फिर अगले मैजेस पर चुप हो जाते हैं और आग बढ़ जाते हैं. ऐसा तो कतई नहीं लगता कि पाकिस्तानी अवाम ने ऐसे ही नये पाकिस्तान की कल्पना की होगी? वैसे भी सरहद के पास आकर इमरान खान ने पाकिस्तानी नौजवानों के सामने भविष्य की कोई तस्वीर नहीं खींची है - वो तो सीधे सीधे उनके खून के प्यासे लगते हैं. इमरान खान का भाषण सुन कर ऐसा लगता है जैसे कह रहे हों - 'तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें तत्काल मौत दूंगा.'
आखिर इमरान खान का नया पाकिस्तान अपने ही नौजवानों के खून का इतना प्यासा क्यों है?
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