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Updated: 04 नवम्बर, 2017 01:56 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
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गुजरात का सबसे दिलचस्प क्षेत्र है दक्षिण गुजरात, यहाँ पर जहाँ एक तरफ औद्योगिक विकास और शहरीकरण दिखाई देता है तो दूसरी तरफ शहर की भागमदौड़ और कोलाहल से दूर सदियों पुरानी परंपराओं में बंधे आदिवासी. यह क्षेत्र बीजेपी का गढ़ माना जाता है. दक्षिण गुजरात में सूरत, नवसारी, भरूच, वलसाड़, नर्मदा, तापी, डांग जिले हैं. इस क्षेत्र में जहाँ सूरत, भरुच जैसे व्यवसायिक जिले है तो नर्मदा, डांग जैसे आदिवासी बहुल जिले है जहाँ विकास अन्य की तुलना में कम है. यहाँ की कई सीटों पर पटेल और कोली जाति का वर्चस्व है. यहाँ पर विधानसभा चुनाव पहले चरण में 9 दिसंबर को होना है. दक्षिणी गुजरात नब्बे के दशक तक कांग्रेस का गढ़ रहा है लेकिन, पिछले डेढ दशक से इस इलाके में बीजेपी काफी मजबूत हुई है. दक्षिण गुजरात में कुल 35 सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव यानि 2012 में बीजेपी यहाँ से 28 सीट जीतने में कामयाबी हासिल की थी. कांग्रेस सिर्फ 6 सीट ही जीत पायी थी. एक सीट जनता दाल (यूनाइटेड) के खाते में गयी थी.

गुजरात और भारत ही नहीं बल्कि पुरे वर्ल्ड में टेक्सटाइल और डायमंड हब के रूप में फेमस सूरत दक्षिण गुजरात का एक प्रमुख जिला है. नोटबंदी और जीएसटी के बाद से इस व्यावसायिक इलाके में बीजेपी को लेकर नाराजगी बढ़ी है. यहाँ के कारोबारियों में रोष काफी अधिक है. इनका कहना है की मोदी सरकार की इन्ही दो नीतियों के कारण उनके बिज़नेस का काफी नुकसान हुआ है. कई कारीगर बेरोजगार हुए हैं और कई व्यवसायियों को अपने धंधा तक बंद करना पड़ा. सूरत के डायमंड वर्करों का डर है की जीएसटी नब्बे हज़ार करोड़ रूपये की इस इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचा रहा है और इसके कारण उनके निर्यात भी 20 प्रतिशत तक कम हो सकते है. सूरत डायमंड इंडस्ट्री प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब 10 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराती है. सूरत में जून के महीने में हुए स्ट्राइक में करीब 700 करोड़ रूपये के बिज़नेस का नुकसान हुआ था. ये स्ट्राइक जीएसटी के विरोध को लेकर थी.

गुजरात, गोधरा, नरेंद्र मोदी, इलेक्शन

यहाँ पर ये जानना बहुत जरुरी है की सूरत जिले में कुल 16 सीट है. 2012 विधानसभा चुनाव में बीजेपी यहाँ से 15 सीट पर विजयी हुई थी. कांग्रेस को सिर्फ एक सीट से ही संतोष करना पड़ा था. राहुल गाँधी अपने दक्षिण गुजरात के दौरे के दौरान इन दो मुद्दों पर बीजेपी को घेरने की कोशिश की. दक्षिण गुजरात में पटेल लोगों की संख्या काफी अधिक है. कई रिपोर्ट्स और समीक्षकों के अनुसार पाटीदार आंदोलन के बाद बीजेपी की पकड़ इस इलाके में कम हुई है. जनता किस पार्टी के पक्ष में है ये तो चुनाव के रिजल्ट के बाद ही पता चल पायेगा लेकिन अगर जमीनी हकीकत और हालात को देखें तो बीजेपी थोड़ा नर्वस जरूर है.

कांग्रेस को अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद ...

कांग्रेस इस बार दक्षिण गुजरात में अच्छा प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है. राहुल गाँधी को जिस तरह से जनता का रिस्पांस मिला है उससे वो काफी उत्साहित है. वो लगातार बीजेपी पर हमला कर रहे हैं. बिज़नेस क्लास को नोटेबंदी और जीएसटी के खिलाफ अगर कांग्रेस घेरेबंदी करने में सफल हो जाती है तो पिछली बार की तुलना में उनकी सीटों में बढ़ोतरी हो सकती है. कांग्रेस सोशल मीडिया कैंपेन में इन दो मुद्दों के अलावा पाटीदार आंदोलन, दलितों पर अत्याचार को भी बढ़ावा दे रही है. किसानों की दशा आदि कई विषयों पर बीजेपी को आड़े-हाथों लिया है.

बीजेपी का फिर परचम लहराने का दावा ...

बीजेपी को पूरा विश्वास है की वो फिर से इस क्षेत्र में अपना परचम लहरायेगी. उनका कहना है कि उनका कोर बेस जो की व्यापारी वर्ग है अभी भी उनके साथ है. वे जानते हैं कि नरेंद्र मोदी ने जो भी कदम उठाया है वो देश हित में उठाया है.

क्या कहता है इलेक्शन सर्वे...

इंडिया टुडे सर्वे के परिणाम के अनुसार बीजेपी यहां पर 30 सीटों पर जीत सकती है. जबकि 5 सीटों पर कांग्रेस विजय पा सकती है. यहां पर 54 फीसदी वोट बीजेपी को, 33 फीसदी वोट कांग्रेस गठबंधन को और 13 फीसदी अन्य को मिल सकता है.

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आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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