CDS Bipin Rawat रक्षा मंत्री के कार्यक्षेत्र का अतिक्रमण तो नहीं कर रहे?
CDS Bipin Rawat ने जिस सख्ती से Pakistan और Terrorism पर अपना पक्ष रखा है उससे भले ही भारत की मजबूती दिखती हो, लेकिन जनरल रावत का बयान हूबहू वैसा ही है जैसे भारत के राजनेता खासकर रक्षा मंत्री देते आए हैं.
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भारत में आतंकवाद (Terrorism in India) एक गंभीर समस्या है. बात अगर सप्लाई की हो तो भारत में बढ़ते हुए आतंकवाद का एक प्रमुख कारण पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान (Pakistan sponsered terrorism) है. भारत हमेशा ही आतंकवाद के रूप में, एक ग्लोबल समस्या के लिए (Terrorism a global problem) गंभीर रहा है. तमाम अलग अलग वैश्विक मंच हैं, जहां से भारत और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद (PM Modi on terrorism) का मुद्दा उठाया है और इसके लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए उसे अपनी हद में रहने को कहा है. इसके अलावा बात अगर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की हो तो वो भी आतंकवाद (Defence Minister Rajnath Singh on Terrorsim) को एक बड़ी चुनौती के रूप में देखते हैं और उन्होंने भी पाकिस्तान को यही संकेत दिए हैं कि वो इसपर लगाम कसे अन्यथा दूरगामी परिणाम पाकिस्तान के लिए कहीं से भी सुखद नहीं होंगे. इतनी बातों से तो साफ़ है कि बात जब जब रक्षा की आएगी तो भारत इसे हलके में नहीं लेगा और इसके लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे. बढ़ते आतंकवाद और रक्षा को लेकर देश के पहले CDS Bipin Rawat ने भी अपनी नीयत साफ़ कर दी है. दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व आर्मी चीफ और वर्तमान सीडीएस रावत ने कहा कि जब तक कुछ देश आतंकवाद (CDS Bipin Rawat on Pakistan based Terrorism) को प्रॉक्सी वॉर के रूप में इस्तेमाल करना नहीं छोड़ देते और उनकी फंडिंग बंद नहीं करते, तब तक आतंकवाद के खिलाफ जंग जारी रहेगी. कार्यक्रम में जिस तरह की बातें सीडीएस बिपिन रावत ने कहीं साफ़ था कि वो पाकिस्तान के ग्लोबल आइसोलेशन के पक्षधर हैं.
सीडीएस बिपिन रावत ने जिस लहजे में अपनी बात रखी है उसमें ऐसा बहुत कुछ है जो देश के रक्षा मंत्री को टेंशन देगा
बात वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के ग्लोबल आइसोलेशन की हुई है. तो बता दें कि रावत का ये बयान इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि पाकिस्तान को ग्लोबली अलग करने का निर्णय पूर्व रूप से एक राजनीतिक फैसला है जिसपर अब तक भारत सरकार और रक्षा मंत्री बयान देते आये हैं. सवाल ये है कि CDS Bipin Rawat कहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यक्षेत्र का अतिक्रमण तो नहीं कर रहे हैं? या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि भारत दुनिया को अपनी शक्ति का एहसास कराना चाहता है और जो बातें बिपिन रावत ने कहीं हैं उसके पीछे की वजह स्वयं भारत सरकार और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का मार्गदर्शन है.
#WATCH Chief of Defence Staff (CDS) General Bipin Rawat speaks on stone pelters & use of pellet guns in Kashmir valley. pic.twitter.com/WvJfAwAdCi
— ANI (@ANI) January 16, 2020
बता दें कि कार्यक्रम में बोलते हुए बिपिन रावत बेहद गंभीर नजर आए और कहा कि यह लड़ाई अभी खत्म होने वाली नहीं है और हमें इसी के साथ जीना है. इसके खात्मे के लिए इसकी जड़ों तक पहुंचना होगा.
कैसे ख़त्म होगा भारत में आतंकवाद
कार्यक्रम में तमाम बातें हुईं मगर जो सवाल हमारे सामने जस का तस खड़ा है वो ये है कि भारत में आतंकवाद कैसे ख़त्म होगा? सीडीएस बिपिन रावत ने इसका भी समाधान सुझाया. रावत का मानना है कि अगर भारत को वाकई आतंकवाद ख़त्म करना है तो उसे अमेरिका जैसा रास्ता अपनाना होगा जैसा उसने 9/11 के बाद किया.
Chief of Defence Staff: We've to bring an end to terrorism & that can only happen the way Americans started after 9/11, they said let's go on a spree on global war on terror. To do that you have to isolate the terrorists,anybody who is sponsoring terrorism has to be taken to task https://t.co/lpFjgn7ayj pic.twitter.com/6ahRvbOg8z
— ANI (@ANI) January 16, 2020
साथ ही उन्होंने ये भी माना कि आतंकवाद के खिलाफ अब वैश्विक जंग की शुरुआत हो चुकी है. अब वो समय आ गया है जब आतंकवाद के मददगार और इसके प्रायोजक देशों के साथ नर्म नहीं बल्कि कड़ा रवैया अपनाने की जरूरत है.
तालिबान से बाद तब ही जब वो हथियार डाले
कार्यक्रम के दौरान न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि तालिबान पर भी बात हुई. रावत से तालिबान के साथ शांति वार्ता पर सवाल हुआ. जिसका जवाब देते हुए उन्होंने यही कहा कि हमें सभी से शांति के प्रयास करने चाहिए. मगर जब तक तालिबान हथियार नहीं डालता और आतंकवाद का रास्ता नहीं छोड़ता. तब तक वार्ता की कोई गुंजाइश नहीं है. तालिबान के लिए भी पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराने वाले सीडीएस रावत ने कहा कि, सर्वप्रथम तो उन्हें राजनीतिक मुख्यधारा में आना होगा. इसके बाद लोगों की इच्छा के अनुरूप शासन उन्हें देना होगा. देश के पहले सीडीएस ने इस बात पर भी बल दिया कि तालिबान के पीछे जो विचारधारा है उसे बदले बगैर क्षेत्र में शांति की कल्पना नहीं की जा सकती है.
पत्थरबाजों और पैलेट गन पर भी रखा रावत ने अपना पक्ष
कश्मीर में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पत्थरबाजों पर पैलेट गन के इस्तेमाल पर समय समय पर सेना की आलोचना हुई है. सीडीएस बिपिन रावत ने इस सवाल पर भी अपना पक्ष रखा है. सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि,'पत्थर भी पैलेट गन जितना ही घातक है. हमने पत्थरबाजों से त्रस्त होकर पैलेट गन का इस्तेमाल करना शुरू किया है. रावत के अनुसार, पैलेट गन से पत्थरबाजों के पैरों को निशाना बनाया जाता है. चूंकि वे जमीन पर पड़े पत्थर उठाने के लिए झुकते हैं, तो उनके चेहरों पर भी पैलेट गन के छर्रे लग जाते हैं.' सीडीएस ने कहा कि आर्मी पत्थरबाजों के चेहरों को निशाना नहीं बनाती है.
कैसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्य क्षेत्र में घुसे सीडीएस बिपिन रावत
कार्यक्रम में बात आतंकवाद की हुई थी. जोर पाकिस्तान पर पहले ही दिया जा चुका था इसलिए सीडीएस बिपिन रावत ने भी आतंकवाद को पोषित करने वाले मुल्कों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि FATF जैसे मंचों पर ऐसे देशों को ब्लैक लिस्ट किया जाना चाहिए साथ ही कूटनीतिक तौर पर भी ऐसे मुल्कों को कहीं भी जगह नहीं मिलनी चाहिए. ध्यान रहे कि पाकिस्तान खुद कई मौकों पर अपने को आतंकवाद पीड़ित के रूप में दर्शा चुका है और अपने इस हथकंडे से उसने दुनिया की नजरों में सहानुभूति जुटाने का प्रयास किया है.
बहरहाल, रावत की इन बातों की कितनी सुध पाकिस्तान लेता है? वो सुधरता है या नहीं ? इन सभी सवालों के जवाब वक़्त देगा मगर सीडीएस बनने के बाद जिस मुखरता से रावत भारत की रक्षा को लेकर बात कर रहे हैं साफ़ है कि उन्हें अपनी और अपने पद की पावर का अंदाजा है. अगर ये बातें देश के रक्षामंत्री की देख रेख में हो रही हैं तब तो ठीक है और अगर नहीं तो देश के रक्षा मंत्री के पद पर देश के पहले सीडीएस का ये अतिक्रमण उन्हें जरूर टेंशन देगा.
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