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Updated: 24 दिसम्बर, 2019 04:46 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने दूसरे कार्यकाल का पहला भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने सीडीएस (CDS) यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief of Defence Staff) की नियुक्ति की बात की थी. पीएम मोदी (Narendra Modi) ने लाल किले की प्राचीर से लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि उनकी सरकार ने CDS का एक नया पद बनाने का फैसला किया है, जो भारतीय सेना (Indian Army), नौसेना (Indian Navy) और वायुसेना (Indian Air Force) तीनों का प्रमुख होगा. आपको बता दें कि CDS की नियुक्ति की मांग कई बार हो चुकी है. सबसे पहले 1999 में करगिल युद्ध (Kargil War) के बाद CDS की मांग उठी थी. CDS की नियुक्ति का मकसद ये है कि तीनों सेनाओं को आपस में समन्वय और बेहतर हो सके, ताकि युद्ध जैसे हालात में बेहतर रणनीति बनाकर तीनों सेनाओं को इस्तेमाल किया जा सका. एक बार फिर से सीडीएस को लेकर चर्चा तेज हो गई है और माना जा रहा है कि जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) को इस पर नियुक्त किया जा सकता है. ऐसे में लोग CDS के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं. वह जानना चाहते हैं कि इसकी फुल फॉर्म (CDS Full Form) क्या है, सीडीएस होता है क्या है (What is CDS) और इसकी जरूरत क्यों (Why CDS needed) पड़ी है. आइए जानते हैं आपके हर सवाल का जवाब.

क्या है CDS?

अगर आसान भाषा में समझें तो CDS वह पोस्ट है जिस पर तैनात शख्स सीधे सरकार को सेना के बारे में सलाह देगा. वह भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों से ही जुड़े मामलों पर सरकार को सलाह दे सकेगा. इस तरह हमारी तीनों सेनाएं एक दूसरे से इंटीग्रेटेड होंगी. इस पद पर किसी फाइव स्टार मिलिट्री ऑफिसर की तैनाती होगी.

CDS Full Form and its necessityपीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर घोषणा की थी कि CDS की नियुक्ति की जाएगी. जनरल बिपिन रावत को इस पद के लिए चुना जा सकता है.

CDS की जरूरत क्यों थी, जानिए एक्सपर्ट क्या कहते हैं

2016 में इंडिया टुडे से पूर्व आर्मी चीफ जनरल एनसी विज ने कहा था कि CDS की जरूरत है, ताकि सेना की एक प्रोफेशनल बॉडी हो जो तीनों सेनाओं के बीच की कड़ी की तरह काम करे और तीनों से जुड़े किसी भी मामले पर सीधे सरकार से सलाह-मशवरा कर सके. उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए CDS की बहुत जरूरत है.

जनरल विज ने बताया कि इसकी जरूरत इसलिए है ताकि अगर कभी सर्विस से जुड़ी अलग-अलग राय हों तो उनमें एक इंटिग्रेशन बनाया जा सके, जिससे कि सरकार के एक फैसले पर पहुंचने में मदद मिले. उनके अनुसार CDS के जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा की ऐसी पॉलिसी बनाई जा सकती है, जो बेहतर तो होगी ही, कॉस्ट इफेक्टिव भी होगी. CDS की मदद से ना केवल तीनों सेनाओं के बीच मजबूत रिश्ते बनेंगे, बल्कि बजट बनाने, हथियार और उपकरण खरीदने, ट्रेनिंग देने और सेना से जुड़े ऑपरेशनों में आधुनिक वारफेयर के हिसाब से रणनीति बनाने में भी मदद मिलेगी.

केंद्र की तरफ से ज्वाइंट वॉरफेयर स्टडी के लिए पब्लिश की गई एक किताब 'रिफॉर्मिंग एंड रीस्ट्रक्चरिंग: हायर डिफेंस ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया' में ब्रिगेडियर डॉक्टर राजीव भुटानी (रिटायर्ड) ने कहा है- मुमकिन है कि भारत दुनिया में अकेला देश है, जहां पर रक्षा विभाग के सचिव को ही देश के डिफेंस और इसके बाकी सारे कामों की जिम्मेदारी दे दी गई है, जिसमें डिफेंस की तैयारी भी शामिल है. रक्षा विभाग के सचिव सिविल सर्वेंट होते हैं, जो अलग-अलग बैकग्राउंड से आते हैं और वह रक्षा मंत्रालय में अपनी सेवाएं एक निश्चित समय के लिए देते हैं.

ब्रिगेडियर भुटानी ने अपनी 2016 की किताब में आश्चर्य जताया था- क्या इसका ये मतलब है कि रक्षा मंत्रालय की अध्यक्षता कर रहा एक ब्यूरोक्रेट युद्ध की रणनीति बनाएगा और सेना प्रमुख उस पर अमल करेंगे? अगर ऐसी विसंगति है तो इसे जल्द से जल्द सुधारा जाना चाहिए.

इसी बीच पीएम मोदी की घोषणा पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए रिटायर्ड जनरल वीपी मलिक ने कहा है- पीएम मोदी आपका धन्यवाद कि आपने CDS की नियुक्ति को लेकर ये ऐतिहासिक कदम उठाया. ये स्टेप हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को और अधिक इफेक्टिव बनाने के साथ-साथ किफायती बनाएगा.

करगिल युद्ध और CDS की जरूरत

CDS की नियुक्ति की सिफारिश पहली बार 1999 के करगिल युद्ध के बाद ही की गई थी. करगिल युद्ध के बाद सतर्क होते हुए एक कमेटी बनाई गई थी, जिसने देश की सुरक्षा प्रणाली में खामियों की समीक्षा कर के ये सुझाव दिया था कि तीनों सेनाओं का एक प्रमुख होना चाहिए, CDS. कमेटी ने ये भी कहा था कि यह फाइव स्टार मिलिट्री ऑफिसर सेना की ओर से रक्षा मंत्री के साथ बात करने वाला प्वाइंट होगा.

इस हाई लेवल कमेटी के अलावा करगिल वार के बाद 2001 में मंत्रियों के एक समूह ने भी यह सुझाव दिया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए CDS की जरूरत है.

इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए 2012 में नरेश चंद्र टास्क फोर्स ने भी सुझाव दिया था कि तीनों सेनाओं का एक प्रमुख होना चाहिए. हालांकि, टास्क फोर्स ने इस पद को CDS का नाम नहीं दिया था, लेकिन मकसद वही था, तीनों सेनाओं के बीच समन्वय.

तो फिर इसमें 20 साल क्यों लग गए?

सबसे पहले इसका सुझाव 20 साल पहले दिया गया था. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर फिर इसे लागू होने में 20 साल क्यों लग गए? पिछले 20 सालों में कई बार संसद में ये मामला गूंजा. इस मामले में आखिरी बार 12 फरवरी 2018 को मोदी सरकार की तरफ से CDS का पद बनाए जाने का मामला संसद में उठाया.

सरकार ने अपने जवाब में कहा कि CDS बनाए जाने का सुझाव 2001 में मंत्रियों के समूह ने दिया. इस पर राजनीतिक पार्टियों से बात करने के बाद एक फैसला लिया जाएगा. इसी क्रम में नरेश चंद्र टास्क फोर्स ने भी 2012 में राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर तीनों सेनाओं का प्रमुख बनाने के लिए कहा था. दोनों ही सुझावों पर सरकार गौर कर रही है. CDS का पद बनाए जाने में 20 साल लग जाने की सबसे बड़ी वजह ये है कि इस पर राजनीतिक पार्टियां एकमत नहीं हो पाई थीं. लेकिन अब मोदी सरकार ने इस पर फैसला ले लिया है.

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#सीडीएस, #सेना, #मोदी सरकार, CDS, Chief Of Defence Staff, General Bipin Rawat

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