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Updated: 15 अगस्त, 2019 06:05 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से जो भाषण दिया है, उसमें उन्होंने अगली सर्जिकल स्ट्राइक के संकेत दे दिए हैं. ये कब होगा, ये तो पता नहीं, लेकिन ये तय है कि होगा जरूर. सख्त फैसलों के लिए लोकप्रिय पीएम मोदी ने 29 सितंबर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक से जो शुरुआत की थी, वह अब कश्मीर से धारा 370 हटाने तक आ गई है. अब पीएम मोदी अगली सर्जिकल स्ट्राइक जनसंख्या पर करने वाले हैं. स्वतंत्रता दिवस पर दिए भाषण में उन्होंने यही इशारा किया है. हालांकि, उन्होंने सीधे-सीधे ये नहीं कहा है कि जनसंख्या वृद्धि को लेकर कोई सख्त कदम उठाया जाएगा, लेकिन सभी जानते हैं कि पीएम मोदी को सरप्राइज देना बहुत पसंद है.

पहला सरप्राइज मिला था सर्जिकल स्ट्राइक से, जिसके बाद लोग ये समझ गए थे कि पीएम मोदी सख्त फैसले लेने में कतराते नहीं हैं, बशर्ते वह देश हित में हो. फिर नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसले लिए. पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान में घुसकर बालाकोट में चल रहे आतंकी कैंप को नष्ट करने के लिए वायुसेना को भेजा. हाल ही में 5 अगस्त को जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटा दी है, जो वहां के लोगों की जिंदगी जहन्नुम बना रही थी. स्वतंत्रता दिवस पर भाषण देते हुए पीएम मोदी ने साफ कर दिया कि जनसंख्या वृद्धि इस समय देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन चुका है, जिस पर लोगों को लगाम लगाना चाहिए.

जनसंख्या, सर्जिकल स्ट्राइक, नरेंद्र मोदीपीएम मोदी ने सीधे-सीधे ये नहीं कहा है कि जनसंख्या वृद्धि को लेकर कोई सख्त कदम उठाया जाएगा, लेकिन इशारा जरूर कर दिया.

छोटा परिवार रखना भी देशभक्ति

पीएम मोदी बोले कि हमारे यहां बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट हो रहा है. जो हमारे लिए और आने वाली पीढ़ी के लिए संकट पैदा करता है. हालांकि यह भी कहा कि देश का एक जागरुक वर्ग इस बात को अच्छे से समझता है और बच्चे पैदा करने से पहले ये जरूर सोचता है कि मैं उसकी जरूरतों को पूरा कर पाऊंगा या नहीं, कहीं उसके साथ कोई अन्याय तो नहीं कर दूंगा. एक छोटा वर्ग स्वयं प्रेरणा से परिवार को सीमित कर के अपना तो भला करता ही है, देश का भला करने में भी एक बड़ा योगदान देता है. ये सभी लोग सम्मान और आदर के हकदार हैं. इन सभी लोगों के उदाहरण लेकर समाज के बाकी वर्गों को जागरुक करना होगा और सरकारों को भी इसकी चिंता करनी होगी. अगर आबादी तंदुरुस्त नहीं होती तो ना घर सुखी होता है ना ही देश. उन्होंने कहा कि छोटा परिवार रखना भी देशभक्ति है. लोग छोटा परिवार रखकर देश के प्रति अपनी देशभक्ति दिखाते हैं.

जनसंख्या नियंत्रण जरूरी क्यों?

आजादी के बाद पहली बार 1951 में जनगणना की गई, जिसमें जम्मू-कश्मीर शामिल नहीं था. तब आबादी 36 करोड़ थी. 1961 में यह आबादी 43.92 करोड़ हो गई. 1971 में 54.81 करोड़ और फिर 1981 तक 68.33 करोड़ हो गई. 1991 में जब आबादी 84.64 करोड़ पहुंची तो इस पर थोड़ी चिंता हुई, लेकिन 2001 में देश की आबादी 1 अरब को पार करते हुए 102 करोड़ हो गई. 2011 तक 121 करोड़ का आंकड़ा छू चुकी भारत की जनसंख्या, आज करीब 133 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है. जितनी तेजी से भारत की आबादी बढ़ रही है, अगर इस पर रोक ना लगाई गई तो अगले दो सालों में शायद चीन भी हमने पीछे रह जाए, जिसका मौजूदा आबादी करीब 140 करोड़ है.

आबादी चिंता का सबब इसलिए है, क्योंकि इसका सीधा असर प्रतिव्यक्ति आय पर पड़ता है, जो अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है. इस समय देश की करीब 35 फीसदी आबादी 14 साल से कम उम्र की है, यानी ये आबादी पूरी तरह से दूसरों पर निर्भर है, जो देश की अर्थव्यवस्था में कोई योगदान नहीं देती. भले ही कल ये बच्चे बड़े होकर कितना भी कमाएं, लेकिन आज के वक्त में यह अनप्रोडक्टिव कंज्यूमर्स हैं, इसलिए बढ़ती आबादी पर चिंता करना जरूरी है. यूं तो हर सरकारों ने आबादी को नियंत्रित करने के लिए कोई न कोई कोशिश की ही है, योजना चलाई है, लेकिन बावजूद इसके आबादी बढ़ने की रफ्तार काफी अधिक है. क्योंकि पीएम मोदी ने इस मुद्दे को लाल किले की प्राचीर से स्पर्श किया है, इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि वह इसे लेकर कोई सख्त फैसला लें, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये मुमकिन है?

क्या पीएम जनसंख्या वृद्धि पर सख्त फैसला ले सकते हैं?

बिल्कुल. पीएम मोदी तो वैसे भी सख्त फैसले लेने से हिचकते नहीं हैं, बशर्ते वह देश हित में हो. ये फैसला तो इस समय देश की सबसे बड़ी जरूरत है. हालांकि, जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित के लिए जो भी सख्त फैसला वह लेंगे, उसे लागू करने में चुनौतियां बहुत होंगी. क्योंकि ये कोई नोटबंदी या धारा 370 हटाने जैसा नहीं है, जहां रातोंरात एक घोषणा कर दी और सब कुछ बदल जाए. पीएम मोदी को जनसंख्या वृद्धि पर काबू पाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन जैसा कोई अभियान चलाना होगा, जिसके तहत जागरुकता के साथ-साथ कुछ दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान हो. एकदम से 'वन चाइल्ड पॉलिसी' जैसा कुछ लागू करना तो मुमकिन नहीं लगता, लेकिन 'हम दो, हमारे दो' का विकल्प खुला हुआ है, जिस पर विचार किया जा सकता है.

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