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Updated: 05 मई, 2023 10:14 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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ब्रिटेन सुर्ख़ियों में है.कारण न तो बोरिस जॉन्सन हैं. न ऋषि सुनक बल्कि ब्रिटेन के चर्चा में आने की वजह किंग चार्ल्स तृतीय का कोरोनेशन या राज्याभिषेक है. राजा की आधिकारिक ताजपोशी 6 मई को होनी है प्रोग्राम कामयाब रहे इसलिए तमाम तरह की तैयारियों को तेज कर दिया गया है, बताया ये भी जा रहा है कि मां एलिजाबेथ द्वितीय के मुकाबले चार्ल्स तृतीय की ताजपोशी काफी अलग रहेगी. कई नयी परम्पराएं रहेंगी जिन्हें किंग चार्ल्स की ताजपोशी में देखा जाएगा. कहा ये भी जा रहा है कि किंग चार्ल्स के कोरोनेशन के जरिये ग्रेट ब्रिटेन का शाही परिवार एक नए अध्याय का श्री गणेश करेगा. जैसा कि हम ऊपर ही इस बात को जाहिर कर चुके हैं कि, तमाम नयी परंपराओं को इस बार जोड़ा गया है. इसलिए किंग चार्ल्स का कोरोनेशन उतना भव्य नहीं होगा जितना महारानी एलिजाबेथ के समय देखने को मिला था लेकिन क्योंकि क्वीन के परिवार के अलावा दूसरे स्टेट्स की रॉयल फॅमिली भी इस प्रोग्राम में होंगी इसलिए किंग चार्ल्स की वेश-भूषा महारानी एलिजाबेथ की तरह रहेगी.

Britain, British, Theft, India, kind Charles, Queen Elizabeth, Coronation, King, Justiceकिंग चार्ल्स की ताजपोशी को लेकर ब्रिटेन में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है

बताते चलें कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मौत के बाद ब्रिटिश गद्दी पर पहुंचे किंग चार्ल्स और उनकी पत्नी क्वीन कैमिला को वेस्टमिंस्टर एब्बे में एक धार्मिक समारोह में औपचारिक रूप से ताज पहनाया जाएगा. ब्रिटेन में राज्याभिषेक विशुद्ध रूप से एक संस्कारपूर्ण और धार्मिक आयोजन है, जिसे एक उत्सव के रूप में आयोजित किया जाता है.

चूंकि कोरोनेशन की तमाम शर्तें हैं. साथ ही ब्रिटेन में इसे एक धार्मिक अनुष्ठान की तरह भी देखा जाता है तो कुछ सवाल भी हैं जो किंग चार्ल्स तृतीय ]और उनके इस कोरोनेशन को लेकर खड़े हो रहे हैं. जैसा कि ज्ञात है सभ्यता कैसी भी हो, संस्कृति कहीं की भी हो हर राजा के लिए जितना जरूरी उसका न्यायसंगत होना होता है उतना ही जरूरी उसके लिए उसकी ईमानदारी भी है. ऐसे में हम ये जरूर जानना चाहेंगे कि वो भारतीय कलाकृतियां जिन्हें ब्रिटिश भारत से लूटने के बाद अपने साथ ब्रिटेन ले गए थे क्या उन्हें किंग चार्ल्स तृतीय के दिशा निर्देशों के बाद ब्रिटिश संग्रहालय वापस भारत को सौपेंगे?

ध्यान रहे करीब 200 साल तक हिंदुस्तान पर शासन करने और और भारत को लूटने वाले ब्रिटेन ने भारत को एक बड़ा नुकसान पहुंचाया है. पूर्व में एक आर्थिक अध्ययन हुआ था जिसमें इस बात का खुलासा हुआ था कि लूट का जो माल ब्रिटिश अपने साथ ब्रिटेन ले गए उसकी अनुमानित कीमत कोई 45 ट्रिलियन डॉलर है. ऐसा नहीं था कि सिर्फ हिंदुस्तान से ही ब्रिटिश हुकूमत ने चोरी की. दुनिया के और भी कई देश हैं जिन्हें अपने शासनकाल में ब्रिटेन ने नुकसान पहुंचाया है. जिक्र भारत का हुआ है तो आइये जानें अपने साथ भारत से क्या क्या लूट के ले गए हैं ब्रिटिश.

कोहिनूर

105.6 मीट्रिक कैरेट का हीरा, जिसका वजन 21.6 ग्राम कोह-ए-नूर है, मुगल सम्राटों के मयूर सिंहासन से संबंधित था, जिसे आंध्र प्रदेश के कोल्लूर से निकाला गया था. इस हीरे की खास बात ये है कि जब इसे काटा नहीं गया था तब ये 793 कैरेट का हुआ करता था. दुनिया भर के हीरा विशेषज्ञों ने इसे माउंटेन ऑफ लाइट का नाम दिया है. 1849 में, अंग्रेजों द्वारा भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी बनाने के बाद, इसे रानी विक्टोरिया को सौंप दिया गया था. 1852 में, महारानी विक्टोरिया ने कोह-ए-नूर हीरे को फिर से आकार दिया और इसे कई मौकों पर पहना. यह वर्तमान में लंदन के टॉवर के ज्वेल हाउस में रखा गया है. कोहिनूर दुनिया के सबसे पुराने और सबसे प्रसिद्ध हीरों में से एक है और इसे मुगल बादशाहों ने अपने पास रखा था.

टीपू सुल्तान की अंगूठी

1799 में जब मैसूर के शासक टीपू सुल्तान अंग्रेजों से एक युद्ध हार गए, तो उपनिवेशवादियों ने उनके शरीर से उनकी तलवार और अंगूठी चुरा ली. तलवार को भारत वापस कर दिया गया था, लेकिन 2014 में अंग्रेजों द्वारा 145,000 पाउंड में अंगूठी की नीलामी की गई थी. क्रिस्टी की वेबसाइट के अनुसार, मध्य लंदन में हुई नीलामी में 41.2 ग्राम की अंगूठी एक अज्ञात बोलीदाता को इसकी अनुमानित कीमत से लगभग 10 गुना अधिक कीमत पर बेची गई. रत्नजड़ित अंगूठी पर देवनागरी में हिंदू भगवान राम का नाम खुदा हुआ है.

शाहजहां का शराब का प्याला

सफेद रंग का जेड वाइन कप मुगल साम्राज्य के बादशाह शाहजहां का है. जार के नीचे का कमल का फूल है और इसमें पत्तियां एसेंथस हैं और साथ ही इसमें एक बकरीनुमा जानवर की भी कृति है. 19वीं शताब्दी में कर्नल चार्ल्स सेटन गुथरी द्वारा शाहजहां का ये खूबसूरत वाइन जार चुरा लिया गया और ब्रिटेन भेज दिया गया. 1962 से इसे लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय में रखा गया है.

अमरावती मार्बल्स

अमरावती मार्बल्स वर्तमान में लंदन में ब्रिटिश संग्रहालय में प्रदर्शित हैं. लंदन में ब्रिटिश संग्रहालय में भारत की प्रसिद्ध अमरावती मूर्तियों को दर्शाने वाले 70 टुकड़ों के संग्रह का उद्घाटन किया गया था. इन मूर्तियों को1859 में मद्रास से यूके भेजा गया था जिन्हें 30 से अधिक वर्षों तक संग्रहालय के तहखाने में रखा गया.

भगवान हरिहर की मूर्ति

मध्य प्रदेश के खजुराहो में मंदिर से लूटी गई भगवान हरिहर की एक सुंदर नक्काशीदार बलुआ पत्थर की मूर्ति ब्रिटिश संग्रहालय, लंदन में प्रदर्शित है.

महाराजा रणजीत सिंह का तख़्त

सिख साम्राज्य के पहले महाराजा महाराजा रणजीत सिंह के शानदार सिंहासन में सोने की चादरें थीं और इसे विशेष रूप से राज्य सभाओं के लिए बनाया गया था. इसे एंग्लो सिख युद्ध के दौरान स्थानांतरित किया गया था और तब से इसे विक्टोरियन और अल्बर्ट संग्रहालय में रखा गया है.

सुल्तानगंज बुद्ध

1862 में सुल्तानगंज बिहार में बुद्ध की 2.3 मीटर ऊंची और 500 किलोग्राम तांबे की मूर्ति की खोज की गई थी और अनुमान लगाया गया था कि इसे 1500 साल पहले मूर्तिकला की गुप्त शैली के सौजन्य से पहले बनाया गया था. मूर्ति वर्तमान में बर्मिंघम संग्रहालय में रखी है.

तो ऊपर हमने लीओस्ट बता दी है. अब क्योंकि जल्द ही किंग चार्ल्स तृतीय की ताजपोशी होने वाली है. उम्मीद यही है वो ब्रिटिश हुकूमत द्वारा की गयी पिछली गलतियों से सबक लेते हुए अपनी न्यायप्रियता का परिचय देंगे और उन कीमती वस्तुओं को भारत को लौटाएंगे जिन्हें ब्रिटिश चुराकर ब्रिटेन ले गए थे.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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