चौधरी फवाद हुसैन ने पाकिस्तान की पैदाइश का कन्फ्यूजन जमीन पर ला दिया
कश्मीर मसले पर पंडित नेहरू का जिक्र करते हुए चौधरी फवाद ने राहुल गांधी को ज्ञान तो दे दिया है. मगर कई ऐसी अहम चीजें हैं जिन्हें या तो वो भूल गए हैं या फिर सीधे तौर पर उन्हें उनके द्वारा नजरंदाज कर दिया गया है.
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जम्मू और कश्मीर मसले पर पाकिस्तान में इमरान सरकार में मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की चुटकी लेते हुए उन्हें ज्ञान दिया है. ध्यान रहे कि कश्मीर मसले को राहुल गांधी ने भारत का आंतरिक मामला बताते हुए पाकिस्तान की तीखी आलोचना की थी. इमरान खान ने राहुल के बयानों का इस्तेमाल करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा था. इमरान सरकार में मंत्री चौधरी फवाद हुसैन ने राहुल गांधी के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें कन्फ्यूज़ बताया है. लेकिन उन्होंने इस कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए जो दलीलें दी हैं, उससे पाकिस्तान में जड़ों में घुसा हुआ कन्फ्यूजन जमीन पर आ गया है.
साथ ही चौधरी फवाद ने राहुल गांधी को ये भी नसीहत दी है कि उन्हें वास्तविकता की तरफ रुख करना चाहिए, अपने ग्रेट ग्रेट ग्रैंडफादर की तरह ऊंचा कद रखना चाहिए, जो भारत में सेक्युलरिज्म और लिबरल सोच का प्रतीक थे. इसके बाद अपनी बात को विराम देते हुए चौधरी फवाद ने पाकिस्तान के मशहूर शायर 'फैज़ अहमद फैज़' का शेर भी लिखा है. जो इस प्रकार है.
ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर
वो इंतज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं
Biggest problem of your politics is Confusion, take a stance closer to reality, stand tall like your great great grandfather who is a symbol of Indian Secularism and liberal thinking , “ye daaġh daaġh ujālā ye shab-gazīda sahar vo intizār thā jis kā ye vo sahar to nahīñ”.. https://t.co/ufP518Ep83
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) August 28, 2019
दरअसल, जम्मू-कश्मीर राज्य से धारा 370 और अनुच्छेद 35A हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान के हुक्मरान बौखलाए हुए हैं. इमरान खान तो कई बार मोदी सरकार की तुलना हिटलर और नाजी से करते हुए नेहरू और गांधी के सेक्युलर भारत के कसीदे पढ़ चुके हैं. पाकिस्तान का मोदी सरकार के प्रति विरोध तो समझ में आता है, लेकिन अचानक नेहरू के सेक्युलरिज्म की तारीफ वे किस मुंह से कर रहे हैं?
चौधरी फवाद हुसैन ने राहुल गांधी को ज्ञान तो दिया मगर कई बातों को खुद नजरंदाज कर दिया है
कन्फ्यूज़ राहुल नहीं, पाकिस्तान है और पिछले 70 सालों से
चौधरी फवाद ने राहुल गांधी की राजनीति को कन्फ्यूज़ बताया है जो अपने आप में हास्यास्पद है. भारत और पाकिस्तान एक साथ आज़ाद हुए. आज भारत कहां है और पाकिस्तान का क्या हाल है? दुनिया देख रही है. अपनी नीति के कारण प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार आलोचना का शिकार हो रहे हैं. पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में हैं. देश की अर्थव्यवस्था कर्ज के बोझ तले दबी है. युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं और उनका भविष्य राम भरोसे है ऐसे में चौधरी फवाद का कश्मीर मसले पर राहुल गांधी या उनकी राजनीति को कन्फ्यूज बताना पाकिस्तान की दिशा और दशा दोनों का निर्धारण कर देता है.
नेहरू 2019 में महान तो 1947 में क्यों नहीं
चौधरी फवाद ने राहुल गांधी को सच्चाई के करीब आने और अपने ग्रेट ग्रेट ग्रैंडफादर यानी पंडित नेहरू की तरह ऊंचा कद रख कर खड़े होने की बात की है. ये बात समझ से परे है कि आखिर चौधरी फवाद किस मुंह से ऐसी बातें कह रहे हैं. चौधरी फवाद को याद रखना चाहिए कि नेहरू और गांधी की इच्छा के विपरीत 47 में न सिर्फ मोहम्मद अली जिन्नाह ने सिर्फ मुसलमानों के लिए एक अलग देश की मांग की. बल्कि बंटवारा करा कर अपने कायदे आज़म बनने के सपने को पूरा किया.
सवाल ये है कि वो पाकिस्तान जो आज प्रधानमंत्री मोदी के विरोध में नेहरू की तारीफें कर रहा है. आखिर उसने क्यों 47 में नेहरू की बातों को नहीं माना? अगर नेहरू का कद पाकिस्तान की नजर में इतना ही बुलंद था तो फिर उसने 47 में उनकी बातों को अहमियत क्यों नहीं दी?
सिर्फ एक पक्ष के फायदे की बात सेक्युलरिज्म नहीं है
चौधरी फवाद, नेहरू के नाम पर सेक्युलरिज्म की बातें कर उनका गुणगान कर रहे हैं मगर जैसा की हमने ऊपर बताया है कि नेहरू की इच्छा के विरुद्ध उन्होंने पाकिस्तान का निर्माण किया था और एक ऐसे देश की बात की थी जो केवल मुसलमानों के लिए था. सवाल अब ये है कि आखिर तक सेक्युलरिज्म का कॉन्सेप्ट कहां था? क्या सेक्युलरिज्म तभी तक है जब अपना निजी फायदा हो? साफ़ है कि तब जो जिन्नाह ने अपने स्वार्थ के लिए किया वो हिंदू मुस्लिम सभी के साथ एक बड़ा विश्वासघात था.
लिबरल थिंकिंग कि बातें पाकिस्तान के मुंह से शोभा नहीं देतीं.
राहुल गांधी को मुखातिब होकर जो ट्वीट चौधरी फवाद ने किये हैं उसमें उन्होंने लिबरल थिंकिंग की बात की है. ऐसे में जब पाकिस्तान का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसे अल्लाह के बाद मुल्ला चलाता है. जहां के सुन्नियों का शियाओं से छत्तीस का आंकड़ा है. जहां पर अहमदियों को उनके मसलक के कारण मूलभूत सुविधाएं नहीं दी जाती, उन्हें वंचित रखा जाता है.
जहां लोग सिर्फ इसलिए मार दिए जाते हैं क्योंकि उन्होंने ईश्वर की शान में गुस्ताखी की होती है. जहां कट्टरपंथ इस हद तक हावी है कि जुमे की नमाज के बाद बमों का फटना एक आम बात है. वो पाकिस्तान जहां 'लिबरल' शब्द की कोई जगह नहीं है, समझ से परे है कि चौधरी फवाद आखिर किस मुंह से लिबरल थिंकिंग की बात कर रहे हैं. शुरुआत खुद को सुधारने से होती है कम से कम इसके लिए पाकिस्तान, इमरान खान और चौधरी फवाद को प्रयास तो करना ही चाहिए.
जवाबी शेर
अपने ज्ञान की छीटों से राहुल गांधी को तर करने वाले चौधरी फवाद ने पाकिस्तान के अलावा दुनिया भर में लोकप्रिय शायर फैज़ अहमद फैज़ का शेर पढ़ा है तो हम भी उन्हें एक बेहद खूबसूरत शेर सुनाते हुए अपनी बात को विराम देंगे. शेर पाकिस्तान के ही एक और शायर जलील 'आली' का है जिसपर चौधरी साहब को ज़रूर गौर करना चाहिए. शेर कुछ यूं है कि
रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है
सर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है
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