हमारे शहर भी साफ हो सकते हैं, बस करना इतना ही है...
चीन जैसी स्थिति हमारे अपने देश की भी. पिछले कुछ हफ्तों से राजधानी दिल्ली भी विषैले स्मॉग के चादर से ढ़की हुई है. इसके लिए हमें बिना देर किए ठोस कदम उठाने होंगे क्योंकि पूरा का पूरा शहर इस जहरीली गैस के साए में है.
-
Total Shares
चीन सरकार ने सोमवार को पहली बार राजधानी बीजिंग में प्रदूषण स्तर बढ़ जाने पर रेड अलर्ट जारी किया है. इसके चलते मंगलवार सुबह बीजिंग के सभी स्कूल बंद कर दिए गए. कंस्ट्रक्शन के सभी काम रोक दिए गए. सड़कों पर कम गाड़ियां दौड़े इसके लिए नए प्रतिबंध जारी कर दिए गए हैं. शहर के म्यूनिसिपल डिपार्टमेंट ने अपनी चेतावनी में कहा है कि अगले कई दिनों तक राजधानी पर जहरीले बादल छाये रहने की उम्मीद है लिहाजा यह रेड अलर्ट गुरुवार दोपहर तक लागू रहेंगे. इसके बाद प्रदूषण के स्तर को देखते हुए प्रतिबंधों पर फैसला किया जाएगा. गंदगी का आलम यह है कि बीजिंग में घूम रहे विदेशी टूरिस्ट बिना मास्क लगाए सेल्फी भी नहीं ले पा रहे हैं.
बीजिंग का प्रमुख बर्ड नेस्ट स्टेडियम |
इस स्थिति से चौंकने की जरूरत नहीं है. ऐसा होता है और ऐसा पहले भी हो चुका है. चीन जैसी स्थिति हमारे अपने देश की भी. पिछले कुछ हफ्तों से राजधानी दिल्ली भी विषैले स्मॉग के चादर से ढ़की हुई है. दिल्ली का आनन्द विहार इलाका सबसे प्रदूषित मापा गया है. दिल्ली सरकार फिलहाल इस समस्या से लड़ने के लिए आम राय बनाने में लगी है. अफवाह है कि जनवरी 2016 से लागू होने वाले कुछ प्रतिबंधों का ऐलान होने वाला है.
बीजिंग की सड़कों पर दौड़ती गीड़ियांं |
अमेरिका के कई शहर ऐसी समस्या को 1970 के दशक में देख चुके हैं. इस दशक में अमेरिका की फैक्ट्रियां अपने चरम पर थी. कोयले का इस्तेमाल इन कंपनियों को चला रहा था. मैनहैटन और कैलिफोर्निया जैसे शहरों में हैवी ट्रैफिक की समस्या के साथ-साथ फैक्ट्रियों और वाहनों से होने वाला प्रदूषण सबसे बड़ी चुनौती था. इस चुनौती के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन क्लीन एयर एक्ट 1970 लेकर आए, जिसके तहत सात साल तक प्रदूषण के खिलाफ सघन कार्यक्रम चलाया गया. महज इत्तेफाक था कि इसी दौर में अमेरिका में टेलीविजन घर-घर पहुंच चुका था. इस टेलीविजन की मदद से जहां निक्सन अपने लिए लार्जर दैन लाइफ इमेज बनाने में सफल हुए वहीं प्रदूषण के खिलाफ राष्ट्रीय कार्यक्रम को भी इसी के चलते बड़ी सफलता मिली. लिहाजा कहा जा सकता है कि टेलीविजन ने अमेरिकी लोगों को प्रदूषण के प्रति सजग कर दिया और इसके चलते आज अमेरिकी शहरों में स्वच्छ हरियाली देखने को मिलती है.
पूरी दुनिया की फैक्ट्री बन चुके चीन पर यह संकट का बादल छाया हैं. ऐसा नहीं है कि यह जहरीला बादल इसी साल देखने को मिल रहा है. दरअसल चीन सरकार ने राजधानी बीजिंग पर छाए धुंध को मापने के लिए अपनी टेक्नोलॉजी में इजाफा कर लिया है. इस इजाफे के चलते पहली बार चीन सरकार बीजिंग पर छाए जहरीले बादल में हवा की शुद्धता को सूक्ष्मता के एक स्तर पर माप पा रहा है. इस माप में मिले आंकड़ों ने चीन सरकार को बिना समय गंवाए रेड अलर्ट जारी करने के लिए बाध्य कर दिया गया है. आंकड़ों के मुताबिक बीजिंग के प्रदूषण में मानव फेफड़ों के लिए सुरक्षित हवा के स्तर से लगभग 10 गुना ज्यादा विषाक्त तत्व मौजूद है.
चीन का थियानमेन स्क्वायर |
इस रेड अलर्ट के जरिए चीन सरकार ने मंगलवार से ऑड और ईवेन नंबर प्लेट की गाड़ियों के इस्तेमाल करने के प्रतिबंध को लागू करते हुए शहर में दौड़ रही गाड़ियों की संख्या को आधा कर दिया है. इसके साथ ही सडकों पर कूड़े की गाड़ियां समेत सभी भारी वाहनों पर 72 घंटे तक प्रतिबंध लगा दिया है. प्रदूषण फैलाने वाले व्यवसायिक गतिविधियों को रोक दिया गया है. यहां तक कि पटाखा छुड़ाने और घरों के बाहर बारबेक्यू लगाने की मनाही हो गई है.
ऐसे में हमें कम से कम यह मान लेना चाहिए कि हमारे शहर भी प्रदूषण के गंभीर खतरों से जूझ रहे हैं. इससे पहले कि हमारी टेक्नोलॉजी विकसित हो और हम प्रदूषित हवा के सूक्ष्तम कंड़ को माप सके, कम से कम इन देशों से सबक लेते हुए ही कुछ प्रतिबंधों को चुना जा सकता है. वहीं अगर हम टेक्नोलॉजी विकसित करने या फिर पश्चिमी देशों से खरीदने का इंतजार करने लगे तो ऑड और ईवेन नंबर प्लेट जैसे कदम सोशल मीडिया की बहस बनकर रह जाएंगे.
आपकी राय