Colonel Santosh Babu चीन से जो बातें करने गए थे, वो तो हमारे नेताओं को करनी चाहिए!
लदाख स्थित गलवान घाटी (Galwan Valley, Ladakh) में कर्नल रैंक ऑफिसर संतोष बाबू (Colonel Santosh Babu) भी वीरगति को प्राप्त हुए हैं. कर्नल वहां चीन सैनिकों (China Army) से वार्ता करने गए थे. सवाल ये है कि हमारी सरकार ये कब समझेगी कि धूर्त चीनियों से वार्ता करने का वक्त चला गया है.
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हाल ही में लद्दाख (Ladakh) की गलवान वैली (Galwan Valley ) में हुई मुठभेड़ में बीस सैनिकों के शहीद होने की ख़बर है जिनमें कर्नल रैंक ऑफिसर संतोष बाबू (Colonel Santosh Babu) भी शामिल हैं. ज्ञात हो कि संतोष बाबू उस वक़्त चीन के कमांडर से बात करने गए थे. उस वक़्त LAC पर कोई दस-बारह चीनी सैनिक ही थे लेकिन अचानक सौ से ज़्यादा सैनिकों ने आकर लोहे के डंडे और पत्थरों से भारतीय सेना के कर्नल समेत बाकी फौजियों पर भी हमला बोल दिया. अब उस दौरान ऐसी क्या बात हुई कि वो चीनी सैनिक (Chinese Army) भड़क गए या क्या वो पहले से प्लान करके आए थे कि पंगा करना है और हिंसा पर उतरना है; ये वहां मौजूद सैनिक ही बता सकते हैं. सवाल ये उठता है कि सैनिक अगर युद्ध में शहीद हो तो आप वीरगति को प्राप्त हुआ कहकर दिल का दर्द कुछ कम कर सकते हैं लेकिन बातचीत से समाधान निकालने की ये प्रक्रिया भी सैनिक ही करेंगे तो कैबिनेट में बैठेे नेता क्या करेंगे? आखिर हमारी सरकार ये कब समझेगी कि चीनी सैनिकों के साथ वार्ता का वक्त चला गया है.
लदाख स्थित गलवान घाटी में कर्नल संतोष बाबू का जाना और शहीद हो जाना साफ़ तौर पर हमारे नेताओं पर सवाल खड़े करता है
एक कर्नल रैंक ऑफिसर तैयार करने में, उसे कमांडर बनाने में बहुतों की मेहनत और उसकी खुद की काबिलियत लगी होती है. यूं तो हर एक जवान की जान की कीमत अनमोल है, इसे किसी तुलना में नहीं रख सकते पर कमांडिंग ऑफिसर बनाना रोज़-रोज़ का काम नहीं होता. अब वक़्त है कि दोनों देशों के विदेशमंत्री बैठकर इस विवाद को ख़त्म करें और अगर वो भी इस समझौते में अक्षम हैं तो सेना को खुली छूट मिले और बात न करने के लिए कहा जाए.
ख़बरों के अनुसार चीनी कमांडर समेत चीन के भी 43 सैनिक शहीद हुए हैं. शायद यही वजह है कि चीन की तरफ से हताहत सैनिकों के बारे में कोई संख्या उजागर नहीं की गयी है. गौर करें, ये छुटपुट झगड़े विवाद को शांत करने की बजाए और बढ़ावा दे हैं. क्या हो कि भारत चीन की जंग का बिगुल बज जाए?
आज से 38 साल पहले भारत और चीन के बीच सन 62 में युद्ध हुआ था जिसमें भारतीय सैनिक बिना पानी बिना खाने के लड़े थे. चीन की सेना बहुत बड़ी थी लेकिन उनके पास हथियार इतने नहीं थे कि हर एक सैनिक अपने हाथ में राइफल ले सके, तब एक सैनिक के शहीद होने के बाद दूसरा उस बन्दूक को उठाकर लड़ने लगता था. इस जंग में भारत को शिकस्त उठानी पड़ी थी और करीब 40,000 वर्ग किलोमीटर ज़मीन भी चीन के कब्ज़े में आ गयी थी.
इसके दो साल बाद नाथुला में एक मुठभेड़ हुई थी जिसमें गोली बम आर्टिलरी फायरिंग सब हुई थी पर इसे जंग घोषित नहीं किया गया था. इसमें भारत विजयी रहा था और LAC पर होने वाली चीनी सैनिकों की बद्तमिज़ियों पर कुछ समय के लिए ही सही अंकुश लगा था. लेकिन अब हालात सन 62 या 64 वाले नहीं हैं. आज ये दोनों देश परमाणु हथियारों से सशक्त हैं.
भारत और चीन की जीडीपी में भले ही बहुत बड़ा फ़र्क़ दिखता हो पर भारत की सैन्यशक्ति बहुत मजबूत है. भारत के पास ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, इजराइल, जापान और अमेरिका जैसे देशों का सपोर्ट है वहीं चीन का साथ देने के लिए रूस और कुछ छोटे देशों के सिवा और कोई नज़र नहीं आता. इस छोटी सी मुठभेड़ में भी भारतीय सैनिकों ने दिखा दिया कि हमारी इन्फेंट्री किसी भी हमले का मुंह तोड़ जवाब देने में अतिसक्षम है.
बस हम पहल नहीं करना चाहते. फिर रूस और चीन में एक तरह से साम्यवाद के नाप पर राजशाही चल रही है. इन दोनों देशों का सारा कण्ट्रोल सिर्फ इनके चुनिंदा शीर्ष पर बैठे लोगों के हाथ में हैं. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है, भारत में लोकतंत्र है, पारदर्शिता है और इसका ये नुकसान भी है कि भारत चोट खाने के बाद ही जवाब दे सकता है, पहल करके अपने सैनिकों को हताहत होने से नहीं बचा सकता.
चीनी अख़बार ग्लोबल टाइम्स के पत्रकार हु शिजिन (Hu Xijin) ने चीनी सरकार का मुंह बनकर भारतीय सेना को आधुनिक सैन्य क्षमता से पिछड़ा हुआ बताकर अपमान किया है. साथ ही वो भारतीय जनता को शालीन बनने की नसीहत भी देते दिखे हैं. उन्होंने लिखा है कि 17 घायल भारतीय जवान का समय रहते उपचार न हुआ जिसके चलते वो शहीद हुए. ये घटना दर्शाती है कि भारतीय सेना आधुनिक युग की जंग के लिए तैयार ही नहीं है.
17 injured Indian soldiers reportedly died due to lack of in-time rescue, which reflects the serious flaws of Indian army to provide emergency treatment to the wounded. This is not an army with real modern combat capabilities at plateau. Indian public opinion needs to stay sober.
— Hu Xijin 胡锡进 (@HuXijin_GT) June 16, 2020
हु शिजिन के इस ट्वीट पर कड़ी प्रतिक्रिया आ रही हैं. वहीं सबकी नज़र प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी द्वारा 19 जून को आयोजित All party meeting पर होगी. इसमें जल, थल और वायु सेना के शीर्ष अफसरों के साथ मोदी जी वार्ता करेंगे. हम उम्मीद और दुआ करेंगे कि इस मीटिंग के बाद फिर किसी कर्नल संतोष बाबू को बातचीत करने के नाम पर धोखे से शहीद न होना पड़ेगा.
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