राहुल के समर्थन में उतरी कांग्रेस के साथ साथ आप भी जानें विरोध का रंग काला क्यों है?
अडानी मामले को लेकर जेपीसी की मांग और राहुल गांधी की अयोग्यता के विरोध में काला कपड़ा पहनकर संसद पहुंचे खड़गे और संपूर्ण विपक्ष ने तो अपनी बातें कह दीं आइये कांग्रेस और राहुल गांधी की पृष्ठभूमि में समझें कि विरोध प्रदर्शनों में काले रंग की भूमिका और प्रासंगिकता क्या है?
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सूरत की सेशन कोर्ट द्वारा मानहानि मामले में सजा सुनाए जाने और संसद से राहुल गांधी की सदस्यता रद्द किये जाने के बाद, कांग्रेस बौखला गयी है. निशाने पर भाजपा और पीएम मोदी हैं. इसलिए कांग्रेस का विरोध सड़क से लेकर सदन तक हर जगह जारी है. कांग्रेस के सांसदों और अलग अलग राज्यों में विधायकों ने काले कपड़े पहनकर अपना विरोध दर्ज किया है. होने को तो कांग्रेस के इस विरोध प्रदर्शन को लेकर तमाम तर्क दिए जा सकते हैं लेकिन जैसी सूरत ए हाल है 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले किसी एक मुद्दे पर पूरा विपक्ष एकजुट हुआ है.
राहुल गांधी के समर्थन में काले रंग को धारण कर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज करते कांग्रेस के नेता
राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बैठक बुलाई जिसमें कांग्रेस समेत अन्य दलों के सांसद भी शामिल हुए. यदि इस बैठक का अवलोकन करें तो इसमें शामिल सभी संसद सदस्य काले कपड़ों में नजर आ रहे हैं.
ना तानाशाही, ना सत्ता की सनक, ना तुम्हारे तंत्र से डरता है इस देश का विपक्ष संसद परिसर में संयुक्त विपक्ष का विरोध प्रदर्शन सत्यमेव जयते ✊ pic.twitter.com/whzof0NPkw
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) March 27, 2023
अडानी मामले को लेकर जेपीसी की मांग और राहुल गांधी की अयोग्यता के विरोध में काला कपड़ा पहनकर संसद पहुंचे खड़गे का मानना है कि कांग्रेस पार्टी हर उस शख्स या फिर पार्टी का स्वागत करती है जो लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आ रहा है.
मैं सभी पार्टियों के नेताओं का शुक्रिया अदा करता हूं, जिन्होंने कल कमजोर होते लोकतंत्र और राहुल जी को डिसक्वालीफाई किए जाने के विरोध में हमारा समर्थन किया.: कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री @kharge pic.twitter.com/8at09jzOvN
— Congress (@INCIndia) March 27, 2023
काले रंग के कपड़ों में केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले खड़गे ने ये भी कहा कि हम काले कपड़े में इसलिए आए हैं, क्योंकि हम दिखाना चाहते हैं कि पीएम मोदी देश में लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से खड़गे ने आरोप लगाया है कि पहले प्रधानमंत्री ने स्वायत्त निकायों को समाप्त किया, फिर उन्होंने चुनाव जीतने वालों को डरा-धमका कर हर जगह अपनी सरकार खड़ी कर दी. फिर उन्होंने ईडी, सीबीआई का इस्तेमाल उन लोगों को झुकाने के लिए किया जो नहीं झुके.
Why are we here in black clothes? We want to show that PM Modi is ending democracy in the country. He first finished autonomous bodies, then they put up their own govt everywhere by threatening those who had won polls. Then they used ED, CBI to use bend those who didn't bow:… pic.twitter.com/HCBr1yDhsy
— ANI (@ANI) March 27, 2023
बताते चलें कि खड़गे ने सदन की कार्यवाही से पहले अपने चैंबर में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी. जिसमें कांग्रेस के साथ साथ तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, सपा, जेडीयू, बीआरएस, सीपीएम, आरजेडी, एनसीपी, सीपीआई, आप और टीएमसी समेत 17 पार्टियों के सांसदों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
राहुल गांधी के साथ जो हुआ उसे कांग्रेस किसी बड़े मुद्दे की तरह पेश कर रही है. अचानक से ही जैसी मुसीबत का सामना कांग्रेस और राहुल गांधी को करना पड़ा है इतना तो तय है कि जैसे जैसे दिन आगे बढ़ेंगे कांग्रेस अपनी रणनीति को बदलेगी और हो ये भी सकता है कि राहुल गांधी की आड़ में स्वघोषित कांग्रेसी सड़कों पर उत्पात करें.
चाहे वो शोक हो या विरोध इनकारंग काला क्यों है?
अक्सर ही हमने देखा है कि चाहे वो किसी मृत्युपरांत शोक हो या किसी मुद्दे को लेकर किसी समूह का विरोध लोग काले रंग का इस्तेमाल करते हैं. उदाहरण के लिए काले कपड़े, काले रिबन, काली तख्ती इत्यादि. ऐसे में सवाल ये है कि आखिर ऐसे अवसरों पर काले रंग के ही वस्त्रों का इस्तेमाल क्यों होता है? सवाल ये भी है कि क्या वाक़ई काला रंग विरोध का रंग है?
बात एक रंग के रूप में काले की चली है तो बता दें कि काला, एक बहुत लोकप्रिय रंग है, सार्वभौमिक तो ये है ही साथ ही इसे जिसने धारण किया होता है ये उसे भी सुंदर दर्शाता है. लेकिन जब यही रंग किसी विरोध के दौरान लोगों के झुंड द्वारा पहना जाता है, तो काले रंग में बयान देने की सहज क्षमता होती है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो किसी प्रोटेस्ट में काले रंग की खासियत ये होती है कि इससे संदेश बिलकुल स्पष्ट और साफ़ जाता है.
माना जाता है कि किसी गुट द्वारा विरोध स्वरुप काले रंग के कपड़े धारण करना विरोध रणनीति का सबसे कारगर हथियार है जिसका इस्तेमाल मुख्यतः पूंजीवाद और फासीवाद के खिलाफ किया जाता है. इसके अलावा काले रंग को गंभीर और मजबूत रंग माना जाता है जो कही गयी बात को और प्रभावी बनाता है. काले रंग को लेकर मान्यता ये भी है कि काले रंग को अगर किसी विरोध में लोगों के समूह द्वारा पहना जाए तो इसकी तासीर खतरनाक हो जाती है.
विरोध में सुरक्षा भी प्रदान करता है काला रंग
एक मत ये भी है कि यदि किसी विरोध में उपस्थित लोगों ने काला रंग पहना हुआ है तो ये उन्हें सुरक्षा की भावना भी देता है. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर विरोध के दौरान पुलिस आती है तो क्योंकि सभी ने एक ही रंग धारण किया हुआ होता है तो ऐसे में प्रदर्शनकारियों को पहचानना पुलिस के लिए एक टेढ़ी खीर रहती है. कुल मिलाकर काले रंग को लेकर अवधारणा यही है कि यह 'स्वतंत्र विचार से लेकर एकमुश्त अवज्ञा और क्रांति तक सब कुछ संकेत देता है.'
विरोध प्रदर्शनों में कब पहली बार इस्तेमाल हुआ काला रंग ?
कहा जाता है कि फरवरी 1967 में, अराजकतावादी समूह ब्लैक मास्क ने न्यूयॉर्क शहर में वॉल स्ट्रीट पर काले कपड़े पहनकर मार्च किया था. यह पश्चिमी दुनिया में एक सामाजिक आंदोलन का पहला उदाहरण था जिसमें मास्क और काली पोशाक का उपयोग किया गया था, जिसका उपयोग भेस के उद्देश्यों के लिए नहीं बल्कि एक उग्रवादी पहचान को दर्शाने के लिए किया गया था.
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