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Updated: 26 सितम्बर, 2017 04:32 PM
गोपी मनियार
गोपी मनियार
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की दमदार जोड़ी कांग्रेस मुक्त भारत के अपने लक्ष्य को लेकर चल रही है. इसी के तहत पार्टी देश के आधे से ज्यादा राज्यों में सत्ता पर काबिज हो चुकी है. लेकिन अब 'डूबती कांग्रेस' के लिए प्रधानमंत्री का गृह राज्य गुजरात ही 'तिनके का सहारा' की तरह है. दरअसल गुजरात में हाशिये पर खड़ी कांग्रेस के लिये ये विधानसभा चुनाव इस लिये भी ज़रूरी है, क्योंकि कांग्रेस के लिए मौजूदा चुनाव अभी नहीं तो फिर कभी नहीं के हालात लेकर आया है. गुजरात में इस बार जहां भाजपा के विरोध में पिछले 20 सालों का एन्टीइन्कंबेंसी फैक्टर है. वहीं सत्ताधारी पार्टी में नेतृत्व की कमी का भी कांग्रेस पूरी तरह से फ़ायदा उठाने का प्रयास करेगी.

राहुल गांधी, कांग्रेस, गुजरातराहुल गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष

राहुल गांधी ने भगवान द्वारिकाधीश के दर्शन के साथ अपनी तीन दिनों की 'गुजरात आवे छे नवर्सजन लावे छे' यात्रा शुरू की है. ऐसा पहली बार हुआ है कि राहुल गांधी गुजरात में प्रचार के दौरान ख़ुद को लोगों के साथ जोड़ते दिखे हैं. इस बात को कांग्रेस उपाध्यक्ष भी अच्छी तरह से जानते हैं कि अगर कांग्रेस गुजरात में जीत जाती है, तो पूरे देश में एक मैसेज जायेगा कि मोदी का विकास मॉडल खोखला है. जो कि गुजरात के बाद आने वाले दूसरे राज्यों के चुनावों में कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी की तरह साबित होगा.

राहुल गांधी लगातार ख़ुद को एक प्रखर राजनेता साबित करने में जुटे हैं. राहुल गांधी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्टाइल में ही सौराष्ट्र में लोगों को उन्हीं की भाषा में 'केम छो?' पूछते दिखे. कांग्रेस उपाध्यक्ष में हमेशा से ही एक नेता के तौर पर ये कमी दिखी है कि वो जब भी भाषण देते हैं, लोग उनके साथ जुड़ नहीं पाते हैं. लेकिन गुजरात में राहुल गांधी ने नीचे तबके के लोगों के साथ भी उन्हीं की भाषा में बात करने का प्रयास करते और जुड़ते नजर आए. कांग्रेस उपाध्यक्ष ने किसानों, मछुआरों और गांव के गरीब लोगों के बीच खड़ा होकर, उनके साथ सीधा संवाद किया. गांववालों को उन्हीं की भाषा में शिक्षा के प्राईवेटाईजेशन हो या फिर नोटबंदी या जीएसटी से होने वाला नुक़सान हो, सारी बातों को साफ-साफ समझाने की कोशिश करते नज़र आए. जो कि राहुल गांधी के नेतृत्व में एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है.

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राहुल गांधी का गुजरात में सौराष्ट्र दौरा काफ़ी मायने में अलग है. वजह ये भी है कि यहां आकर राहुल गांधी लोगों को पिछले 20 साल से भाजपा के किए वादों को याद करवा रहे हैं. लोगों को अपने भाषणों के जरिए याद दिला रहे हैं कि नरेन्द्र भाई ने बातें बड़ी-बड़ी की हैं, लेकिन सभी बातें जुमला साबित हुई. प्रदेश के लोग ग़रीबी और बेरोज़गारी से परेशान हैं, तो वहीं किसान अपनी फ़सल का दाम न मिलने से.

पिछले लम्बे वक़्त से गुजरात के पाटीदार भाजपा सरकार से नाराज़ चल रहे हैं. इस दौरे में राहुल पांच ऐसे जिलों से होकर गुजरेंगे, जहां पाटीदार और अहिर जाति का प्रभुत्व है. इतना ही नहीं राहुल इस यात्रा में कागवड, खोडलधाम दर्शन के लिये भी जाएंगे. कहा जाता हैं कि गुजरात में जिस पार्टी के साथ खोडलधाम होते हैं, उनके साथ पूरे गुजरात के पाटीदार होते है. बता दें कि हार्दिक भी राहुल गांधी के स्वागत में ट्वीट कर कांग्रेस का साथ देने के संकेत दे चुके हैं.

हालांकि, राहुल गांधी का ये दौरा चाहे कितना भी कामयाब हो. लेकिन ऐसा माना जाता है कि जब नरेन्द्र भाई गुजरातवासियों के बीच पहुंचते हैं तो फिर लोगों को सिर्फ़ नरेन्द्र मोदी ही दिखते हैं. ना कोई पार्टी, ना कोई उम्मीदवार बस नरेन्द्र मोदी और उनका विकास. हालांकि इस बार प्लानिंग और स्ट्रैटेजी से साथ मैदान में उतर रही कांग्रेस ने पहले ही सोशल मिडिया पर विकास को पागल साबित कर दिया है. वेसे में देखना काफ़ी दिलचस्प होगा कि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह अपने गृह राज्य में जीत के लिए कौन सा नया जादू करते हैं.

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लेखक

गोपी मनियार गोपी मनियार @gopi.maniar.5

लेखिका गुजरात में 'आज तक' की प्रमुख संवाददाता है.

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