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Updated: 23 अगस्त, 2020 08:06 PM
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चाहे मध्य प्रदेश हो या फिर राजस्थान जैसा गतिरोध कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के नेताओं में आपस में देखने को मिला उम्मीद की जा रही कि पार्टी में कुछ निर्णायक चीजें देखने को मिलेंगी. वो समय इतनी जल्दी आएगा ये शायद ही किसी ने सोचा हो. अभी आंतरिक बगावत से कांग्रेस उभर भी नहीं पाई है ऐसे में पार्टी के अंदर फूटे 'लेटर बम' से खलबली मच गई है. बताया जा रहा है कि 20 से अधिक नेताओं ने कांग्रेस पार्टी की वर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को चिट्ठी लिखकर 'बदलाव' की मांग की जिसे सोनिया गांधी ने गंभीरता से लिया और अपने इस्तीफे (Sonia Gandhi To step down) की पेशकश की है. ध्यान रहे कि सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष तो हैं लेकिन लंबे समय से कांग्रेस में पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग जोरों पर थी. बताया जा रहा है कि ख़ुद सोनिया गांधी ने कांग्रेस से नया अध्यक्ष चुनने की अपील की है. सोनिया गांधी ने साफ कर दिया है कि आगे वो पार्टी की कमान अपने हाथों में नहीं लेना चाहतीं. जल्द ही कांग्रेस की वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक हुई है और इसी बैठक में इस बात का फैसला होगा कि अब कांग्रेस का मुस्तक़बिल किन हाथों में आएगा.

Sonia Gandhi, Congress, Rahul Gandhi, Priyanka Gandhi, Resignationइस खबर के बाद कि सोनिया गांधी इस्तीफ़ा दे रही हैं कांग्रेस पार्टी में खलबली मच गयी है

इस घोषणा के बाद कि सोनिया इस्तीफा दे सकती हैं एक वर्ग वो भी है जो चाहता है कि राहुल गांधी दोबारा सामने आएं और इस जिम्मेदारी का बोझ अपने कंधों पर लें वहीं एक वर्ग ऐसा भी है जिसका मानना है कि सोनिया की विरासत प्रियंका गांधी को संभालनी चाहिए ऐसा क्यों है? इसके पीछे दलील ये दी जा रही है कि जिस सूझ बूझ का परिचय प्रियंका ने राजस्थान में दिया और जैसे इन्होंने सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच टकराव को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई वैसी ही सूझ बूझ का परिचय यदि ये कांग्रेस का अध्यक्ष बन देती हैं तो फिर पार्टी की दिशा और दशा में एक अहम बदलाव देखने को मिलेगा.

सोनिया के बाद कांग्रेस के अन्य नेता राहुल पर दोबारा भरोसा करते हैं? या फिर वो प्रियंका गांधी को मौका देते हैं? या फिर कोई नया अध्यक्ष सामने आएगा? सवाल कई हैं जिनके जवाब वक़्त की गर्त में छिपे हैं. वहीं पार्टी के अंदर राहुल-प्रियंका के इतर कयासों का दौर शुरू हो गया है और कई ऐसे नाम निकल कर सामने आ रहे हैं जिनपर यदि विचार कर लिया जाए तो शायद 2024 के लोक सभा चुनाव तक कांग्रेस उस मुकाम पर आ जाए जहां आकर वो भारतीय जनता पार्टी को सीधी टक्कर और बेहद कड़ा मुकाबला दे सकती है.

गौरतलब है कि एक ऐसे वक्त में जब कांग्रेस के खेमे से राहुल गांधी के समर्थन में आवाजें बुलंद हैं तो पार्टी के अंदर ही ऐसे लोगों की भी कोई कमी नहीं जिन्होंने हमेशा ही राहुल गांधी और उनकी नीतियों जा विरोध किया है. ऐसे लोगों का मानना है कि भाजपा से लड़ाई जिस मुकाम पर आ पहुंची है वहां से राहुल गांधी शायद ही उसका नेतृत्व कर पाएं. बात राहुल के आलोचकों की चल रही है तो ऐसे में हम पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का जिक्र ज़रूर करना चाहेंगे.

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि NDA के सफल होने के कारण एक मजबूत, एकजुट विपक्ष की अनुपस्थिति है और इस महत्वपूर्ण मोड़ पर पार्टी को हर फैसला सोच समझ के लेना होगा. बता दें कि यहां कैप्टन ने कांग्रेस पार्टी के उन लोगों को निशाने पर लिया था जो राहुल गांधी की वकालत कर रहे थे और चाहते थे कि राहुल कांग्रेस का अध्यक्ष बन अपनी सेवाएं दें.

सोनिया गांधी के इस्तीफे के बाद कांग्रेस को स्थिति क्या होती है? क्या राहुल या प्रियंका अपनी रणनीति से पार्टी को दोबारा खड़ा कर पाते हैं ? इन सवालों के जवाब वक़्त देगा लेकिन जैसी प्रतिक्रियाएं इस फैसले के बाद ट्विटर पर आ रही हैं कहीं न कहीं ये यकीन हो जाता है कि सही लीडरशिप के अभाव में एक पार्टी के तौर पर कांग्रेस की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. आइये नजर डालें ट्विटर पर और ये समझें कि सोनिया गांधी के इस्तीफे और राहुल गांधी के दोबारा पार्टी अध्यक्ष बनने की खबरों के बीच क्या कह रही है ट्विटर की जनता.

कहा जा रहा है कि सोनिया के इस्तीफे में त्याग बलिदान जैसा कुछ नहीं है इस बार भी हमें ऐसा ही कुछ देखने को मिलेगा जैसा 2004 में हमने मनमोहन सिंह के समय में देखा.

साथ ही इस बात पर भी बल दिया जा रहा है कि अगर आज कांग्रेस को वोट मिलता है तो इसकी एक बड़ी वजह गांधी परिवार है. अब अगर कोई नया व्यक्ति कांग्रेस का अध्यक्ष बनता है तो स्थिति काफी हद तक जटिल होगी.

बड़ा सवाल ये भी हो रहा है कि सोनिया के जाने के बाद पार्टी में आखिर क्या नया बदलाव होगा.

चूंकि कयासों का दौर शुरू हो गया है इसलिए लोग ये भी कह रहे हैं कि अब वो वक़्त आ गया है जब पार्टी की कमान शशि थरूर को दे देनी चाहिए

लोग ये भी कह रहे हैं कि सिर्फ पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह में ये जज्बा है कि वो इस जिम्मेदारी का निर्वाह कर सकते हैं.

सवाल ये भी खड़ा हो रहा है कि आखिर सोनिया के जाने के बाद कांग्रेस का भविष्य क्या होगा?

 

अब जबकि कांग्रेस के खेमे से बड़ी घोषणा हुई है. तो इतना तो साफ़ हो गया है कि आने वाला वक़्त राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के लिहाज से महत्वपूर्ण तो है ही. साथ ही पार्टी का भी पूरा भविष्य इस फैसले पर निर्भर करता है. कुल मिलाकर आने वाला वक़्त दिलचस्प है इंतजार करना है और इसी के बाद फैसला हो जाएगा कि नया अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी को अच्छे दिन दिखा पाएगा या नहीं.   

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