कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर गांधी परिवार का नजरिया बदल चुका है!
कांग्रेस का नया अध्यक्ष गांधी परिवार से बाहर का ही हो, ऐसा अब जरूरी नहीं लगता. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की राय से सहमति जताने वाले प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता के ट्वीट से तो ऐसा ही लगता है.
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कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के विचार बिलकुल एक जैसे हैं - कांग्रेस की कमान गांधी परिवार (Gandhi Family) से बाहर के किसी नेता के हाथ में होनी चाहिये. प्रियंका गांधी के ये विचार हाल ही में प्रकाशित एक किताब में उनके इंटरव्यू के जरिये सामने आयी है. प्रियंका गांधी को लेकर आयी इस खबर पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला के ट्वीट से मामला उलझ गया लगता है. सुरजेवाला का कहना है कि ये इंटरव्यू एक साल पुराना है और अब इसे बेवजह तूल दिया जा रहा है.
सवाल है कि कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका गांधी के बयान को अप्रासंगिक बताने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?
ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर गांधी परिवार का नजरिया बदल चुका है?
प्रियंका भी राहुल से इत्तेफाक रखती हैं
2019 के आम चुनाव में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था - और कांग्रेस कार्यकारिणी के सामने शर्त रखी कि वो गांधी परिवार से अलग किसी नेता को अध्यक्ष के तौर पर चुनने की तैयारी करे. तैयारियां भी देखने को मिलीं - और तब भी राहुल गांधी ने कहा कि नये कांग्रेस अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया से गांधी परिवार दूरी बनाये रखेगा. राहुल गांधी ने ही बताया कि नया अध्यक्ष चुने जाने की प्रक्रिया से सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी दूर रहेंगी.
अचानक एक दिन बताया गया कि सोनिया गांधी को कांग्रेस कार्यकारिणी ने अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया है. कुछ दिनों तक तो राहुल गांधी जहां भी जाते खुद को महज एक सांसद के तौर पर पेश करते रहे, लेकिन धीरे धीरे कामकाज में उनका दखल बढ़ता गया. हाल में तो कांग्रेस के कुछ नेताओं में इस बात को लेकर नाराजगी की भी खबरें आयीं. ऐसे नेताओं का मानना है कि या तो राहुल गांधी फिर से कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभाल लें या फिर बात बात पर दखल देना बंद कर दें. राज्य सभा सांसदों की मीटिंग में तो सारी हदें पार हो गयीं जब राहुल गांधी के करीबी नेता राजीव सातव ने यूपीए शासन पर सवाल ही खड़े कर दिये और पुराने कांग्रेसी मनमोहन सिंह के पक्ष में लामबंद हो गये.
सोनिया गांधी के अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर 10 अगस्त, 2020 को एक साल पूरे होने से पहले स्थाई तौर पर कमान सौंपे जाने को लेकर अच्छी खासी चर्चा हुई. राहुल गांधी की वापसी के कयास भी लगाये जा रहे थे - और सोनिया गांधी की तरफ से बुलायी जाने वाली कांग्रेस की बैठकों में राहुल गांधी को फिर से कुर्सी सौंपे जाने की मांग भी कई बार हुई.
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सलाह दी कि चूंकि पार्टी के लक्ष्यहीन और दिशाहीन होने की लोगों में धारणा बढ़ती जा रही है, जिसे खत्म करने के लिए एक पूर्णकालिक अध्यक्ष की तलाश जरूरी हो गयी है. शशि थरूर ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मैंने पिछले साल अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया जी की नियुक्ति का स्वागत किया था, लेकिन मेरा मानना है कि उनसे अनश्चितकाल तक इस जिम्मेदारी को उठाने की उम्मीद करना उचित नहीं होगा.'
कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर राहुल गांधी क्या यू-टर्न लेने वाले हैं?
तमाम चर्चाओं के बीच सीनियर कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी का बयान आया कि जल्द ही कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल सकता है. सिंघवी ने बताया कि कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की एक प्रक्रिया है जिसका पालन किया जाता है - ये सब निकट भविष्य में ही होने वाला है और जल्दी ही इसके नतीजे भी मिल जाएंगे.
हाल ही में संजय झा ने ट्विटर पर लिखा कि कांग्रेस के सांसदों सहित करीब 100 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिख कर अध्यक्ष बहदलने की मांग की है. कांग्रेस की तरफ से संजय झा के दावे को ये कहते हुए खारिज कर दिया गया कि ऐसे इंसान की बातों का क्या जो कांग्रेस के सदस्य भी नहीं है - और अब जबकि इंटरव्यू के जरिये कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर प्रियंका गांधी के विचार सामने आये हैं, रणदीप सिंह सुरजेवाला उसे भी बीती हुई बात के रूप में समझाने की कोशिश कर रहे हैं.
किताब के लेखक से प्रियंका गांधी ने कहा है, 'मेरे भाई ने लोकसभा चुनाव के बाद अपने इस्तीफे में कहा था कि वो चुनाव की जिम्मेदारी लेता है. फिर बाद में उसने कहा कि गांधी परिवार के अलावा कोई कांग्रेस अध्यक्ष होना चाहिये. मैं उसकी बात से पूरी तरह सहमत हूं. अब पार्टी को अपना आगे का रास्ता खुद तय करना चाहिए.'
सवाब-जवाब के दौरान प्रियंका ने इस बात से भी इनकार किया कि गांधी परिवार के बाहर का अगर कोई कांग्रेस अध्यक्ष बनता है तो किसी तरह का टकराव होगा. प्रियंका गांधी कहती हैं, 'अगर कोई गांधी परिवार से बाहर का कोई कांग्रेस अध्यक्ष बनता है तो वह मेरा बॉस होगा - कल को अगर वो मुझे कहता है कि आप उत्तर प्रदेश छोड़कर अंडमान निकोबार जायें तो मैं खुशी-खुशी चली जाऊंगी.'
एक महत्वपूर्ण बात और - प्रियंका गांधी ने ये भी कहा है कि नजदीकी भविष्य में वो कांग्रेस पार्टी की बागडोर नहीं संभालने जा रही हैं - और राहुल गांधी ही उनके नेता रहेंगे.
किताब के बाजार में आने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा के इस बयान को लेकर मीडिया में खबरें आयी हैं और फिर उस कांसेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला की की प्रतिक्रिया भी आ चुकी है - ये प्रतिक्रिया ही प्रियंका गांधी के बयान को संदेह के घेरे में ला देती है.
क्या अब राय बदल चुकी है
कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर प्रियंका गांधी की बातों को कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला पुरानी बातें बता रहे हैं - और बीती बातों को लेकर तो यही समझाने की कोशिश होती है कि भुला देने में ही भलाई है. रणदीप सुरजेवाला ने प्रियंका गांधी के इंटरव्यू को लेकर एक साथ तीन ट्वीट किये हैं.
नेहरू-गांधी परिवार ने सत्ता के मोह से दूर, सदा सेवाभाव से कांग्रेस को एक सूत्र में बांधे रखा है।
2004 में सोनिया जी ने सत्ता की बजाय पार्टी की सेवा चुनी।
2019 में राहुल जी ने भी दृढ़ विश्वास की हिम्मत दिखाई और कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया।1/3https://t.co/X5DMCANULT
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 19, 2020
2/3हम श्रीमती प्रियंका गांधी की एक वर्ष पुरानी टिप्पणी (1 जुलाई, 2019) में अचानक उपजी प्रायोजित मीडिया की रूची (सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर) के खेल को समझते हैं।
आज समय है मोदी-शाह द्वारा भारतीय लोकतंत्र पर किए बर्बरतापूर्ण हमले का सामना करने और निडरता से इससे लोहा लेने का है।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 19, 2020
3/3लाखों कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल जी के अनथक संघर्ष व संकल्प के गवाह हैं, जिससे उन्होंने इस लड़ाई का नेतृत्व किया है। न विपरीत स्थिति की परवाह की और न ही मोदी सरकार के विभत्स हमलों की।
यही वह निडरता और अदम्य साहस है जिसकी कांग्रेस को ही नहीं बल्कि देश को सबसे ज़्यादा जरूरत है।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 19, 2020
कांग्रेस प्रवक्ता के तीनों ट्वीट में मुद्दा तो एक ही है लेकिन पहलू अलग अलग नजर आते हैं - और इसीलिए गंभीर सवाल भी खड़े होते हैं. साथ ही, कांग्रेस प्रवक्ता ने सोनिया गांधी प्रधानमंत्री पद अस्वीकार करने और राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे को एक साथ पेश कर बहुत बड़ा घालमेल कर दिया है.
सवाल ये उठता है कि कांग्रेस क्या अब राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफे को उतने ही महान त्याग के तौर पर पेश करने का मन बना रही है जितना कि सोनिया गांधी का 2004 में आम चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री पद अस्वीकार करना रहा. मानते हैं कि दोनों ही वाकये बीजेपी के दबाव में हुए, लेकिन दोनों का महत्व बराबर कैसे हो सकता है?
सवाल ये भी है कि क्या कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका गांधी के बयान को एक्पायरी डेट वाला समझाने की कोशिश कर रहे हैं?
मतलब, ये समझा जाये कि गांधी परिवार का नजरिया अब बदल चुका है. गांधी परिवार से बाहर के कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर गांधी परिवार का मन अब बदल चुका है - क्या कांग्रेस प्रवक्ता ये मैसेज देना चाहते हैं?
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