राजनीति के फेर में कांग्रेस ने राहुल गांधी की जान खतरे में डाली है !
एक तो कांग्रेस ने कॉन्फिडेंशियल लेटर को गृह मंत्रालय को देने से पहले ही मीडिया में लीक कर दिया. दूसरा, ये लेटर जिस अंदाज में लिखा गया है, वह पढ़कर ही आप भी समझ जाएंगे कि ये ओछी राजनीति से अधिक कुछ नहीं.
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चुनावी दौर है. ऐसे में हर छोटी-बड़ी बात पर राजनीति होना भी लाजमी है, और ऐसा हुआ भी. इस बार राजनीति की है कांग्रेस ने, एक ऐसे मुद्दे पर जो राहुल गांधी की सुरक्षा से जुड़ा है. बुधवार को राहुल गांधी ने अमेठी से नामांकन दाखिल किया था. वहीं पर पत्रकारों से बात करते समय उनके चेहरे पर एक हरे रंग की लाइट दिखी, जिसे कांग्रेस ने लेजर गन की लाइट समझा और देखते ही देखते तिल का ताड़ बना दिया. कांग्रेस ने बाकायदा एक 'कॉन्फिडेंशियल लेटर' के जरिए इसकी शिकायत गृह मंत्रालय से की, जो फिलहाल पूरे मीडिया में फैला हुआ है.
अब इसे राजनीति नहीं तो फिर और क्या कहें. जो लेटर कॉन्फिडेंशियल था, वो गृह मंत्रालय पहुंचने से पहले मीडिया में लीक हो गया. खैर, गृह मंत्रालय ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर ही छानबीन भी की और एसपीजी के डायरेक्टर ने बताया कि वह लाइट किसी स्नाइपर की नहीं है. वह लाइट एक मोबाइल फोन की है, जिससे कांग्रेस का ही कोई कार्यकर्ता वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहा था. इसकी जानकारी तुरंत ही एसपीजी डायरेक्टर ने गृह मंत्रालय के साथ-साथ राहुल गांधी और उनकी सुरक्षा में लगी एसपीजी यूनिट को भी दे दी. सब कुछ हो गया, लेकिन लेटर गृह मंत्रालय तक नहीं पहुंचा. यूं लग रहा है कि इस शिकायत का मकसद ही राजनीति करना था, वरना एक कॉन्फिडेंशियल लेटर गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही मीडिया में लीक कैसे हो गया? यानी इसे जानबूझकर लीक किया गया है !
लेजर लाइट किसी स्नाइपर गन की नहीं
यूं तो एसपीजी के डायरेक्टर ने साफ कर दिया है कि ये लाइट स्नाइपर गन की नहीं, बल्कि एक मोबाइल की है, लेकिन फिर भी बहुत से लोग पुख्ता सबूत चाहते होंगे. इसके सबूत वीडियो में ही छुपे हैं. करीब 7 बार राहुल गांधी के चेहरे पर वो हरी लाइट देखी जा सकती है. अब ध्यान से सामने ANI के माइक को भी देखिए. जब-जब उस पर सूरज की रोशनी का रिफ्लेक्शन आता है, तब-तब राहुल गांधी के चेहरे पर वो लाइट दिखती है. यानी वो रिफ्लेक्शन राहुल गांधी के दाईं ओर खड़े व्यक्ति के मोबाइल पर पड़ रहा है. और उस रिफ्लेक्शन का रिफ्लेक्शन राहुल गांधी के चेहरे पर दिख रहा है.
ये कोई स्नाइपर गन की लेजर लाइट नहीं, बल्कि मोबाइल की ओर से आ रहा रिफ्लेक्शन है.
ये रिफ्लेक्शन कांग्रेस की ओर से वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहे शख्स का है, ये इस बात से साबित होता है कि ANI का रिफ्लेक्शन कांग्रेस के वीडियो में ही साफ दिख रहा है, जो कांग्रेस के ट्विटर से लेकर यूट्यूब तक पर डाला गया है. अगर ये किसी लेजर गन की लाइट होती तो उसका ANI के माइक के रिफ्लेशन से कोई संबंध नहीं होता. हो सकता है एक-दो बार संयोग हो जाता, लेकिन हर बार वो लाइट तब चेहरे पर नहीं दिखती, जब रिफ्लेक्शन आता. अब पूरे वीडियो को ध्यान से देखिए, आपको भी वो हरी लाइट रिफ्लेक्शन के साथ ही दिखेगी.
कांग्रेस ने कैसे की राजनीति, इसे भी समझिए
एक तो कांग्रेस ने कॉन्फिडेंशियल लेटर को गृह मंत्रालय को देने से पहले ही मीडिया में लीक कर दिया. दूसरा, ये लेटर जिस अंदाज में लिखा गया है, वह पढ़कर ही आप भी समझ जाएंगे कि ये ओछी राजनीति से अधिक कुछ नहीं.
- पत्र की शुरुआत में ही कहा गया है कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या के समय भी सुरक्षा में चूक हुई थी.' यानी उनका इशारा है कि राहुल गांधी की सुरक्षा में भी चूक की जा रही है.
- अपने इशारे को साफ करते हुए कांग्रेस ने आगे लिख भी किया है कि 'राजनीतिक मतभेदों को परे रखते हुए देखा जाए तो भी राहुल गांधी की सुरक्षा की जिम्मेदारी 'आपकी' सरकार की है. 'आपके' ऑफिस को ये पता ही होगा कि राहुल गांधी की जान को खतरा है.' कांग्रेस ने आपकी सरकार लिखा है, जबकि ये पत्र गृह मंत्रालय को है. सरकार पूरे देश की होती है. आपकी सरकार कहकर कांग्रेस ये जताना चाहती है कि मौजूदा सरकार सिर्फ भाजपा का हित और सुरक्षा देख रही है और कांग्रेस को नजरअंदाज कर रही है.
कांग्रेस ने कॉन्फिडेंशियल लेटर को गृह मंत्रालय को देने से पहले ही मीडिया में लीक कर दिया.
रही बात गृह मंत्रालय की, तो उसने अपना काम बखूबी किया है. गृह मंत्रालय को तो अभी शिकायत का लेटर मिला भी नहीं था और उसने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर ही मामले की जांच करवा दी. एसपीजी डायरेक्टर को आदेश दे दिए और लेजर लाइट का राज खोल दिया. यहां तक कि इस मामले की जानकारी राहुल गांधी और उनके सुरक्षा अधिकारियों को भी दे दी, जबकि कांग्रेस ने उस लेटर के जरिए राजनीति करनी चाही.
MHA: Director SPG informed MHA that the “green light” shown in clipping was found to be that of a mobile phone used by AICC photographer, who was video graphing the impromptu press interaction of Rahul Gandhi near the collectorate in Amethi. (2/2) https://t.co/jNDX61Q7Y4
— ANI (@ANI) April 11, 2019
हरी लेजर लाइट के मौजूदा मामले में भले ही राहुल गांधी की जान को कोई खतरा ना हो, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है राजनीतिक मतभेदों के चलते खतरा तो है. जिस तरह से कांग्रेस ने अपने ही अध्यक्ष की जान के खतरे में होने की कॉन्फिडेंशियल खबर को मीडिया में लीक किया है, उससे वह इस गंभीर मामले को काफी हल्का बना रही है. इस दौरान तो कांग्रेस के साथ-साथ राहुल गांधी को भी सुरक्षा पर अधिक ध्यान देना चाहिए, लेकिन कांग्रेस तो ओछी राजनीति से ही बाज नहीं आ रही है, सुरक्षा का क्या सोचेगी.
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