Sonia Gandhi की राज्य सभा वाली सूची में छुपा है Congress का भविष्य
कांग्रेस ने राज्य सभा उम्मीदवारों (Congress Rajya Sabha Candidates List) की सूची नहीं बल्कि पार्टी के धुंधले भविष्य का ड्राफ्ट है. राहुल गांधी और सोनिया गांधी (Rahul Gandhi and Sonia Gandhi) के हिसाब से देखें तो बेटे की बात मानी भी गयी है, मां की तो बिलकुल नहीं - हुड्डा और गहलोत (Hooda and Gehlot) का दबदबा जरूर देखा जा सकता है.
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कांग्रेस (Congress) की किस्मत कुछ ऐसी चल रही है कि हर चुनाव भारी पड़ रहा है. राज्य सभा चुनाव की उम्मीदवारी ने तो भूकंप ही ला दिया. कभी कांग्रेस नेतृत्व के चहेते रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) राज्य सभा टिकट को लेकर ही सियासी दुश्मन से जा मिले हैं - फिर भी मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. कांग्रेस ने वैसे तो 12 उम्मीदवारों की सूची (Congress Rajya Sabha Candidates List) जारी की है, लेकिन सिर्फ 9 ही ऐसे हैं जिनकी सीट नंबर के हिसाब से पक्की है, ऐसा मान कर चला जा रहा है. बाकी तीन सीटें सिर्फ चांस लेने वाली हैं, काफी हद तक किस्मत के भरोसे वाला पावर पॉलिटिक्स.
राज्य सभा उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया के बीच राजीव शुक्ला तारीफ जरूर बटोर रहे हैं, लेकिन बाकी नेताओं का चयन कैसे हुआ है वो काफी दिलचस्प है - हर नाम के पीछे वही पुरानी रवायत है और भविष्य के विवादों की नींव पड़ी है. उम्मीदवारों के चयन में जहां भूपिंदर सिंह हुड्डा और अशोक गहलोत (Hooda and Gehlot) का दबदबा दिखा है, वहीं राहुल गांधी और सोनिया गांधी (Rahul Gandhi and Sonia Gandhi) की भूमिका अप्रूवल तक सीमित लगती है.
हुआ वही जो हुड्डा चाहते थे
राहुल गांधी ने तो पहले ही साफ कर दिया था कि राज्य सभा उम्मीदवारों के चयन में उनका कोई हाथ नहीं है, वो तो वायनाड का ख्याल रख रहे हैं - और देश की अर्थव्यवस्था को लेकर युवाओं को जागरुक कर रहे हैं. जागरुक करने का तरीका भी साफ साफ देखा जा सकता है, सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करना है. राहुल गांधी का ये बयान ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने को लेकर डिस्क्लेमर जैसा भी लगता है.
फिर तो कोई दो राय नहीं कि राज्य सभा के लिए कांग्रेस के उम्मीदवारों का चयन सोनिया गांधी ने ही किया होगा. वैसे भी अंतरिम अध्यक्ष के रूप में तकनीकी रूप से भी कांग्रेस की सर्वेसर्वा हैं - और अंतिम फैसले उन्हीं के होते होंगे. हां, ये हो सकता है कि कांग्रेस का महासचिव होने के नाते प्रियंका गांधी की भी कोई राय शुमार होती होगी.
कांग्रेस की सूची में कई उम्मीदवारों को टिकट दिये जाने की जो तात्कालिक वजह सामने आ रही है वो काफी दिलचस्प है-
1. नीरज डांगी: राजस्थान कांग्रेस के नेता हैं और तीन बार विधानसभा का चुनाव हार चुके हैं. राज्य सभा का टिकट पाने की वजह महज अशोक गहलोत का करीबी होना है. हारने को तो दिग्विजय सिंह और दीपेंद्र हुड्डा भी लोक सभा चुनाव हार चुके हैं और राज्य सभा के उम्मीदवार बने हैं. लोक सभा हार कर राज्य सभा पहुंचने की तैयारी कोई नयी नहीं है, लेकिन जो तीन बार विधानसभा हार चुका हो उसके नाम पर अगर कार्यकर्ताओं में असंतोष होना तो लाजिमी है.
2. राजीव साटव: राहुल गांधी जो भी कहें, लेकिन हकीकत और ही बयां कर रही है. महाराष्ट्र से राज्य सभा के टिकट के तीन दावेदार थे - मुकुल वासनिक, राजीव साटव और रजनी पाटिल. यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे राजीव साटव को राहुल गांधी गांधी का करीबी माना जाता है - और फाइनल सूची में महाराष्ट्र से वही नाम दर्ज हुआ है.
3. केटीएस तुलसी: कांग्रेस कोटे से राज्य सभा के मनोनीत सदस्य रह चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील हैं. नयी सूची में नाम दर्ज होने की वजह उनका रॉबर्ट वाड्रा का वकील होना माना जा रहा है. रॉबर्ट वाड्रा, सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति हैं.
टिकट पाने वालों में राहुल गांधी के एक और करीबी का नाम भी शामिल है - केसी वेणुगोपाल जो अभी कांग्रेस महासचिव हैं. एक बात फिर से देखने को मिल रही है वो ये कि जिस तरह आम चुनाव में कमनाथ और अशोक गहलोत ने अपने बेटों के टिकट के लिए राहुल गांधी पर दबाव डाला था, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने ठीक वैसा ही किया है.
हरियाणा से कांग्रेस को एक सीट मिलनी है और सोनिया गांधी की पसंद कुमारी शैलजा रहीं, लेकिन हुड्डा जिद कर बैठे. टिकट तो बेटे को ही दिया जाएगा. कुमारी शैलजा को सोनिया गांधी ने हरियाणा विधानसभा चुनावों से ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था. शैलजा अध्यक्ष जरूर रहीं, लेकिन टिकट बंटवारे में भी उनकी सिफारिशें दरकिनार रहीं क्योंकि चुनाव अभियान समिति के प्रमुख तो भूपिंदर सिंह हुड्डा रहे.
कांग्रेस की मौजूदा हालत का नमूना है कुमारी शैलजा की जगह दीपेंद्र हुड्डा को टिकट मिलना
राज्य सभा का टिकट तय होते वक्त हुड्डा इस बात पर अड़े रहे कि कुमारी शैलजा या तो अध्यक्ष पद छोड़ें या फिर राज्य सभा जायें. अध्यक्ष पद भी भूपिंदर हुड्डा बेटे दीपेंद्र हुड्डा के लिए ही चाहते रहे. याद कीजिये जब राहुल गांधी के करीबी अशोक तंवर पांच साल तक हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे तो पूरे वक्त हुड्डा परिवार उनकी कुर्सी को लेकर जंग छेड़े रहा और दम तभी लिया जब हटा दिया गया.
हरियाणा से एक और दावेदार रहे रणदीप सिंह सुरजेवाला. सुरजेवाला को लेकर तो हुड्डा ने बोल दिया कि उनको किसी भी राज्य से उम्मीदवार न बनाया जाये. सुरजेवाला कैथल से विधायक रहते राहुल गांधी के कहने पर जींद से उपचुनाव लड़े थे लेकिन हार गये. जब 2019 में विधानसभा चुनाव हुए तो कैथल से भी हार गये. हारने को तो हुड्डा पिता-पुत्र दोनों ही हार गये थे.
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से इसे लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. कांग्रेस नेतृत्व ने कोई सख्ती इसलिए भी नहीं दिखायी क्योंकि वो 2016 का वाकया दोहराये जाने का जोखिम नहीं उठाना चाहता था. तब कांग्रेस उम्मीदवार को इसलिए हार का मुंह देखना पड़ा था क्योंकि 14 विधायकों वोट रहस्यमय तरीके से अवैध हो गया था. वे सारे हुड्डा के समर्थक बताये गये थे. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि हुड्डा खुद ही राज्य सभा जाना चाहते थे और अपनी सीट से इस्तीफा देकर बेटे को विधायक बनाना चाहते थे, लेकिन सोनिया गांधी ने इतनी भी छूट न देने का फैसला किया.
'...राजीव शुक्ला जैसा हो'
खबर है कि सोनिया गांधी चाहती थीं कि गुजरात से राजीव शुक्ला राज्य सभा के उम्मीदवार बनाये जायें. विधायकों ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया. विधायकों ने सिर्फ शक्तिसिंह गोहिल और भरत सिंह सोलंकी के नाम पर हम सहमति जतायी. साथ में धमकी भी दी - अगर किसी बाहरी उम्मीदवार बनाया गया तो तो वे वोट ही नहीं डालेंगे. आखिर वे दोनों ही गुजरात से कांग्रेस के राज्य सभा उम्मीदवार बन पाये. वैसे इस कहानी में एक ट्विस्ट भी है.
राजीव शुक्ला ने एक ट्वीट में बताया कि कांग्रेस नेतृत्व की तरफ से उनको राज्य सभा का टिकट ऑफर किया गया था, लेकिन वो मना कर चुके हैं. राजीव शुक्ला ने बताया कि ऐसा वो इसलिए किये क्योंकि वो पार्टी के काम में काफी व्यस्त हैं और उसे पूरा करना चाहते हैं ताकि कांग्रेस को फिर से खड़ा किया जा सके. राजीव शुक्ला के ट्वीट को कांग्रेस की तरफ से री-ट्वीट करते हुए लिखा गया है - 'आप जैसे नेता कार्यकर्ताओं को पार्टी को लेकर अपनी प्रतिबद्धता और विचारधारा के प्रति प्रेरित करते हैं - आपका काम पार्टी को हर लेवल पर मजबूत करेगा.'
Leaders like you always inspire all the workers with your commitment to the party and its ideology. May your work in organisation building continue to motivate our cadre at all levels. https://t.co/AM2jwGyrQD
— Congress (@INCIndia) March 12, 2020
कांग्रेस की तरफ से ये जो सूची जारी हुई है और उसके पीछे जो कहानी सुनने को मिल रही है वो किसी भी तरीके से पार्टी के भविष्य के लिए ठीक नहीं लगती. ऐसा लग रहा है जैसे हरियाणा में हुड्डा की चली है तो राजस्थान में अशोक गहलोत की - और गुजरात में सूबे के विधायकों की. जो सूरत-ए-हाल नजर आ रहा है, लगता तो ऐसा है जैसे राहुल गांधी के करीबी तो टिकट पाने में कामयाब भी रहे हैं, लेकिन सोनिया गांधी बस मन मसोस कर रह गयी हैं.
Congress President Smt. Sonia Gandhi has approved the candidature of the following persons to contest the Rajya Sabha elections as Congress candidates from Haryana and Gujarat pic.twitter.com/U0LeKWEkyT
— INC Sandesh (@INCSandesh) March 12, 2020
कहने को तो ये राज्य सभा के उम्मीदवारों की सूची भर है, लेकिन जिन हालात में ये सूची फाइनल हुई है वे कांग्रेस के अंधकारमय भविष्य की ओर ही इशारा कर रहे हैं - ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रकरण को अगर कांग्रेस नेतृत्व ये समझता है कि एक बीमारी थी वो खत्म हो गयी तो गलत है. सिंधिया एपिसोड तो बीमारी का लक्षण भर है जो नासूर बन कर कांग्रेस को अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है.
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