कांग्रेस के भीतर से उठी आवाज़: 'क्या हम दुकान बंद कर लें?'
भले ही दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) में कांग्रेस (Congress) खाता तक नहीं खोल पाई, लेकिन खुश बहुत है, क्योंकि आप (AAP) ने भाजपा (BJP) को हरा दिया. दिल्ली चुनाव के नतीजों (Delhi Election Results) पर खुशी जताने वाले कांग्रेसियों के खिलाफ अब पार्टी के अंदर से ही आवाज उठने लगी है.
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अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) जीत चुकी है और इसी के साथ अरविंद केजरीवाल ने जीत की हैट्रिक लगा ली है. भाजपा (BJP) की मोदी लहर लगातार दूसरी बार कोई कमाल नहीं दिखा पाई. और कांग्रेस (Congress) लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाई. अब इस विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) अपनी जीत का जश्न मना रही है तो भारतीय जनता पार्टी अपनी हार की समीक्षा करने में जुटी है, ताकि भविष्य के लिए रणनीति बनाई जा सके. रही बात कांग्रेस की, तो भले ही कांग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई, लेकिन खुश बहुत है. कांग्रेस इस बात से खुश है कि आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को बुरी तरह हरा (Delhi Election Results) दिया. वह सिर्फ भाजपा को हारना देखना चाहते हैं, भले ही अपनी हालत बद से बदतर क्यों ना हो जाए. आलम ये है कि इस चुनाव में कांग्रेस के करीब 67 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई, लेकिन चिदंबरम का ट्वीट दिखा रहा है कि कांग्रेस हारकर भी खुद को जीता हुआ समझ रही है. खुद को बाजीगर समझने वाली कांग्रेस के अंदर से अब आवाजें उठने लगी हैं कि 'क्या हम दुकान बंद कर लें?'
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने पी चिदंबरम को आईना दिखाने वाला बयान दिया है.
शर्मिष्ठा बोलीं- दुकान बंद कर लेनी चाहिए !
इसकी शुरुआत हुई पी चिदंबरम के ट्वीट से जिसमें उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार पर खुशी जताई है. उन्होंने लिखा है- 'AAP की जीत हुई, बेवकूफ बनाने तथा फेंकने वालों की हार. दिल्ली के लोग, जो भारत के सभी हिस्सों से हैं, ने BJP के ध्रुवीकरण, विभाजनकारी और खतरनाक एजेंडे को हराया है. मैं दिल्ली के लोगों को सलाम करता हूं, जिन्होंने 2021 और 2022 में अन्य राज्यों जहां चुनाव होंगे के लिए मिसाल पेश की है.'
भाजपा की हार पर खुशी जताते समय चिदंबरम ये भूल गए कि दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की दुर्गति हो गई है. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उन्हें ये याद दिलाया और अपनी नाराजगी भी जाहिर की. उन्होंने लिखा- बेहद आदर के साथ सर मैं ये जानना चाहती हूं कि क्या कांग्रेस ने भाजपा को हराने का काम राज्य की पार्टियों को आउटसोर्स कर दिया है? अगर नहीं तो आप आम आदमी पार्टी की जीत पर खुश क्यों हो रहे हैं, बजाए इस हार की वजह तलाशने के? और अगर हां तो हमें (कांग्रेस को) शायद अपनी दुकान बंद कर लेनी चाहिए !
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा है कि हमें अपनी दुकान बंद कर लेनी चाहिए.
शिकस्त में फतह
शशि थरूर ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद कांग्रेस नेताओं के खुश होने पर तंज करते हुए एक शेर लिखा है- 'किसी की जीत पे यूं नाज़ां हैं, शिकस्त खा के फतह पाई हो !' मतलब वह कह रहे हैं कांग्रेस नेता आम आदमी पार्टी की जीत पर इस तरह खुशियां मना रहे हैं, जैसे उन्होंने हार कर भी बाजी जीत ली हो. वैसे चिदंबरम जैसे नेता तो मानते भी यही हैं क्योंकि उनके हिसाब से कांग्रेस की जीत भाजपा की हार में छुपी है. जब-जब भाजपा हारेगी, तब-तब कांग्रेस खुश होगी. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि भाजपा को कांग्रेस ने हराया है या किसी और ने.
शशि थरूर ने बिना किसी का नाम लिए एक शेर के जरिए हारने पर भी खुशी मनाने वालों पर तंज कसा है.
कांग्रेस हमेशा हारती रहेगी !
रॉबर्ट वाड्रा के बहनोई तहसीन पूनावाला ने भी कांग्रेस को खूब खरी-खोटी सुनाई है. उन्होंने लिखा है- कांग्रेस हमेशा ही हारती रहेगी अगर वह लेफ्ट विचारधारा वालों और लेफ्ट से आए बाहरी लोगों को बढ़ावा देती रहेगी, बजाए पार्टी के अंदर के टैलेंट के. जैसे महाराष्ट्र में केटकर और गुजरात में जिग्नेश. कांग्रेस को अपने खुद के टैलेंट को बढ़ावा देने की जरूरत है. लेफ्ट को नोटा से भी कम वोट मिले हैं. मैं सीधा बोलता हूं. मैं कांग्रेस से प्यार करता हूं, लेकिन आम आदमी पार्टी ने राघव और सौरभ भाई जैसे युवा को आगे बढ़ाकर स्टार बना दिया, भाजपा ने बग्गा भाई को स्टार बना दिया. कांग्रेस ने कन्हैया, जिग्नेश को स्टार बना दिया. अपने भरोसे के लोग और बच्चे क्यों नहीं? ये लेफ्ट वाले ही क्यों?
तसहीन पूनावाला ने दिल्ली में हार के लिए कांग्रेस द्वारा लेफ्ट पर अत्यधिक भरोसे को वजह बताया है.
पूनावाला का मानना है कि युवाओं को आगे कर के ही सत्ता साधी जा सकती है.
बता दें कि ये वही तहसीन पूनावाला हैं, जिन्होंने गुजरात चुनाव के दौरान अपने भाई शहजाद पूनावाला से सारे रिश्ते सिर्फ इसलिए तोड़ लिए थे, क्योंकि शहजाद ने उस समय कहा था कि अगर अध्यक्ष पद के लिए निष्पक्ष चुनाव होता है तो वह भी चुनाव लड़ेंगे. इस पर तहसीन पूनावाला ने ट्वीट किया था- 'मैं यह जानकर आश्चर्य में हूं कि शहजाद ने यह सब तब किया जब कांग्रेस गुजरात में जीतने जा रही है. मैं उनसे राजनीतिक रूप से सारे संबंध खत्म करने की घोषणा करता हूं. कांग्रेस, राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाना चाहती है.' तब जो तहसीन पूनावाला कांग्रेस के लिए अपने भाई से लड़ बैठे थे, आज वही खुद कांग्रेस को उसकी कमियां गिना रहे हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इन कमियों को दूर करने की कोशिश करती है या फिर भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत का सपना साकार करने में मदद करती है.
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