सिसोदिया के घर सीबीआई छापे से साफ है कि केजरीवाल तीसरी ताकत बन चुके हैं
मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के घर सीबीआई रेड को अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और उनकी टीम अलग ही राजनीतिक ट्विस्ट देने की कोशिश कर रही है - लेकिन इस मामले में कांग्रेस (Congress) ने जो स्टैंड लिया है उससे वो लड़ाई में अकेले पड़ गये नजर आ रहे हैं.
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मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के घर सीबीआई के छापे के बीच एक नयी राजनीतिक तस्वीर उभर कर आ रही है. दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ट्विटर पर खुद ही छापे की जानकारी देते हुए सीबीआई का तंज भरे अंदाज में स्वागत भी किया है. लगे हाथ जांच में सहयोग की हामी भरी - और याद दिलाया कि पहले भी कई केस हुए, जांच पड़ताल हुई और कुछ नहीं निकला. मतलब, उनको भरोसा है कि आगे भी कुछ नहीं निकलने वाला है.
और फिर मनीष अपने खिलाफ छापेमारी को अपने नेता अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के भारत को दुनिया में नंबर 1 बनाने वाले कैंपेन से जोड़ दिया, 'बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में जो अच्छा काम करता है उसे इसी तरह परेशान किया जाता है... इसीलिए हमारा देश अभी तक नंबर-1 नहीं बन पाया.'
ये सिर्फ मनीष सिसोदिया ही नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी ने सीबीआई की छापेमारी के खिलाफ यही लाइन ली है. कुछ दिनों पहले चुनावी तैयारियों के लिए कर्नाटक पहुंच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दावा कर रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उनको देश के सबसे इमानदार मुख्यमंत्री होने का सर्टिफिकेट दे रखा है. अपने दावे की दलील में अरविंद केजरीवाल समझा रहे थे कि उनके यहां सीबीआई ने छापेमारी की और कभी कुछ नहीं मिला. मनीष सिसोदिया भी अपने केस को लेकर ट्विटर पर लिखा है, 'हम कट्टर ईमानदार हैं.'
मनीष सिसोदिया के बचाव में उतरे आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा अपने नेता अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता का बखान करते हुए उनको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकल्प बता रहे हैं. राघव चड्ढा का कहना है कि पहले लोगों के पास मोदी का कोई विकल्प नहीं होता था, लेकिन जबसे केजरीवाल विकल्प के तौर पर उभरे हैं उनको घेरने की कोशिशें चालू हो गयी हैं.
दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया के घर हुई सीबीआई रेड को भारत को नंबर वन बनाने वाले अपने कैंपेन से जोड़ कर अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि वो रुकने वाले नहीं हैं - और एक नया मिस कॉल नंबर जारी करते हुए लोगों से समर्थन मांग रहे हैं. लोगों के साथ साथ मीडिया से मिस कॉल वाले नंबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करने की अपील करते हुए केजरीवाल देश को नंबर 1 बनाने वाले कैंपेन से जुड़ने की भी अपील कर रहे हैं.
ये सब तो चल ही रहा है, बीजेपी नेता भी अरविंद केजरीवाल के दावों की अपने तरीके से हवा निकाल रहे हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बुरी बात है, सत्ता पक्ष के साथ साथ विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) के भी निशाने पर आ जाना.
गांधी परिवार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के एक्शन को लेकर तूफान मचा देने वाली कांग्रेस ये मानने को तैयार ही नहीं है कि मनीष सिसोदिया के खिलाफ हो रही कार्रवाई भी वजह भी राजनीति ही है.
कांग्रेस का ये स्टैंड निश्चित तौर पर मुश्किल पैदा करने वाला है, लेकिन ये अरविंद केजरीवाल की उभरती ताकत के सिंबल के रूप में नजर आ रहा है - और ऐसा लगने लगा है कि अरविंद केजरीवाल देश की राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस के बाद तीसरी ताकत के तौर पर उभर रही है. राघव चड्ढा तो दो कदम आगे बढ़ कर ही दावे कर रहे हैं, लेकिन ये सब यूं ही नहीं है.
CBI रेड को कांग्रेस ने सही ठहराया
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई के छापे पर कांग्रेस का त्वरित रिएक्शन थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन वो भी एक पॉलिटिकल लाइन ही है. राजनीतिक लाइन समझना तो मुश्किल नहीं है, लेकिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय के केस और मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई की जांच पड़ताल को एक चश्मे से देखा जाना अजीब जरूर लगता है.
मनीष सिसोदिया के साथ अगर सत्येंद्र जैन जैसा मामला हुआ तो अरविंद केजरीवाल कमजोर पड़ जाएंगे.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सीबीआई रेड को सही ठहराने के लिए जांच एजेंसियों के प्रति बन रही धारणा को मुद्दा बनाया है. साथ ही ये भी समझाने की कोशिश की है कि मनीष सिसोदिया के यहां सीबीआई की छापेमारी और कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय का एक्शन कैसे अलग अलग है.
पवन खेड़ा ट्विटर पर लिखते हैं, 'एक बड़ा नुकसान ये भी होता है कि जब वो एजेंसी सही काम भी करे तब भी उसके कदम को शक की दृष्टि से देखा जाता है... ऐसे में भ्रष्ट लोग दुरुपयोग की दुहाई देकर बच निकलते हैं - और जो ईमानदारी से जनता के मुद्दे उठाते हैं, वो दुरुपयोग का शिकार होते रहते हैं.'
एजेन्सीयों के निरंतर दुरुपयोग का एक बड़ा नुक़सान यह भी होता है कि जब वह एजेन्सी सही काम भी करे तब भी उसके कदम को शक की दृष्टि से देखा जाता है। ऐसे में भ्रष्ट लोग दुरुपयोग की दुहाई देकर बच निकलते हैं और जो ईमानदारी से जनता के मुद्दे उठाते हैं, वो दुरुपयोग का शिकार होते रहते हैं
— Pawan Khera ?? (@Pawankhera) August 19, 2022
सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ भ्रष्टाचार की जो जांच चल रही है उसमें दोनों अदालत से जमानत पर रिहा हैं - और जांच भी अदालत के आदेश पर ही हो रही है. मनीष सिसोदिया का मामला अभी शुरू हुआ है. अदालत तक पहुंचा भी नहीं है, बल्कि दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना की सिफारिश पर शुरू हुई है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने एक ही ट्वीट में कई बातें बताने की कोशिश की है. एक, जांच एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है और इसीलिए लोगों में ये धारणा बन जाती है. ये सत्ताधारी बीजेपी पर निशाना है. ऐसा करके कांग्रेस प्रवक्ता ये जताने की कोशिश कर रहे हैं कि कांग्रेस के खिलाफ जांच एजेंसियों का एक्शन राजनीति से प्रेरित है, लेकिन तभी वो ये भी दावा करते हैं कि जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का गलत लोग भी फायदा उठाने लगते हैं. कांग्रेस प्रवक्ता की बातों से लगता है कि बीजेपी की तरह वो भी मनीष सिसोदिया को अभी गलत मान कर चल रही है.
लेकिन कांग्रेस छोड़ने के बाद छोड़ स्वतंत्र हो चुके राज्य सभा सांसद कपिल सिब्बल की अलग राय है. कपिल सिब्बल के ट्वीट से लगता है कि वो मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई के एक्शन को तो गलत मानते ही हैं, ये भी मान चुके हैं कि अरविंद केजरीवाल एक उभरती हुई ताकत हैं जिससे बीजेपी डरी हुई है. कपिल सिब्बल का कहना है कि मनीष सिसोदिया को भी सत्येंद्र जैन की तरह ही टारगेट किया जा रहा है.
Sisodia raided by CBICBI , ED - the long arms of Government Now that Kejriwal is on the rise Time for BJP to destabilise So target Satyendra JainNow Sidodia
— Kapil Sibal (@KapilSibal) August 19, 2022
कांग्रेस और केजरीवाल दो बार करीब आते देखे गये थे - पहली बार 2013 में और दसरी बार 2019 में. 2013 में तो अरविंद केजरीवाल ने पहली बार सरकार कांग्रेस की मदद से ही बनायी थी और दूसरी बार 2019 के आम चुनाव में चुनावी गठबंधन करना चाहते थे, लेकिन तब फैसला दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को लेना था और बात नहीं बन पायी.
अरविंद केजरीवाल ने तो राजनीति की शुरुआत ही कांग्रेस के विरोध से की थी, और इसी कारण उन पर बीजेपी की बी टीम होने के इल्जाम भी लगते रहे. एक बार फिर अरविंद केजरीवाल केंद्र में कांग्रेस की अब तक की सरकारों के खिलाफ हैं. मौजूदा मोदी सरकार के शासन के अलावा 75 साल में बड़ी जिम्मेदारी तो कांग्रेस ने ही निभायी है.
अब तो अरविंद केजरीवाल खुद 130 करोड़ लोगों तक पहुंचने की बात कर रहे हैं - मतलब, वो कांग्रेस को ओवरटेक कर बीजेपी को चैलेंज करने जैसा अपने समर्थकों और देश की जनता को संदेश देना चाहते हैं. भले ही ऐसा अगले चुनाव तक संभव होता नजर न आ रहा हो.
केजरीवाल की मुश्किल घड़ी में भी कांग्रेस के विरोध के और भी कई कारण हैं. प्रवर्तन निदेशालय के एक्शन के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सपोर्ट में विपक्षी दलों की तरफ से एक साझा बयान भी जारी किया गया था. बयान पर बीजेपी विरोधी खेमे के नेताओं में के. चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस की तरफ से भी दस्तखत किया गया था, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने दूरी बना ली थी. दूरी तो ममता बनर्जी ने भी बनायी थी, लेकिन उनको लेकर कांग्रेस का रिएक्शन ऐसी नौबत आने पर ही देखने को मिल सकता है.
और कांग्रेस के अरविंद केजरीवाल के विरोध में खड़े होने की एक बड़ी वजह ये भी लगती है कि आम आदमी पार्टी अपनी नयी मुहिम के जरिये 2024 के आम चुनाव की तैयारी में जुट गयी है. कांग्रेस कानूनी पचड़ों की वजह से आगे नहीं बढ़ पा रही है, जबकि सत्येंद्र जैन के बाद मनीष सिसोदिया पर लटकने लगी गिरफ्तारी की तलवार के बावजूद अरविंद केजरीवाल डंके की चोट पर कह रहे हैं कि वो रुकने वाले नहीं हैं.
वैसे अरविंद केजरीवाल के साथ जो भी रहता है वो तो उनके आगे बढ़ने का महज एक टूल ही होता है. ये सही है कि मनीष सिसोदिया शुरू से साथ रहे हैं और सबसे करीबी भी, लेकिन केजरीवाल को आगे बढ़ाने वालों का धीरे धीरे साथ तो छूटता ही जा रहा है. फिर भी अरविंद केजरीवाल की तरक्की पर कोई असर नहीं होता है. अभी जैसे अरविंद केजरीवाल, सत्येंद्र जैन को जेल भेजे जाने के बाद मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की आशंका जता रहे हैं, कल को कोई और भी हो सकता है.
पेड न्यूज के चक्कर में फंसे केजरीवाल
मनीष सिसोदिया के घर सीबीआई के पहुंचते ही अरविंद केजरीवाल, आतिशी मर्लेना और बाकी साथियों ने जोर जोर से बताना शुरू कर दिया कि जिस दिन अंतर्राष्ट्रीय अखबार में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को लेकर खबर छपी उसी दिन केंद्र सरकार ने सीबीआई की टीम भेज दी.
ट्विटर पर अरविंद केजरीवाल ने जहां न्यूयॉर्क टाइम्स के फ्रंट पेज की कॉपी शेयर की, प्रेस कांफ्रेस में प्रिंटआउट लेकर बैठ गये. आप नेताओं की तरफ से न्यूयॉर्क टाइम्स के इंटरनेशनल एडिशन का जो फ्रंट पेज शेयर किया जा रहा है जिस पर मनीष सिसोदिया की बच्चों के साथ तस्वीर है.
Delhi has made India proud. Delhi model is on the front page of the biggest newspaper of US. Manish Sisodia is the best education minister of independent India. pic.twitter.com/6erXmLB2be
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 19, 2022
अभी अरविंद केजरीवाल अपनी सरकार के कामकाज की तारीफ करते थके भी नहीं थे कि बीजेपी की टीम टूट पड़ी. केजरीवाल का साथ छोड़ बीजेपी के साथ हो चुके कपिल मिश्रा न्यूयॉर्ट टाइम्स के साथ वैसी ही एक कॉपी खलीज टाइम्स की भी लगा दी - और दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने तो केजरीवाल के प्रेस कांफ्रेंस की 30 सेकंड की एक क्लिप शेयर कर मजे लेना शुरू कर दिया. ये क्लिप केजरीवाल के प्रेस कांफ्रेंस का वो हिस्सा है जिसमें वो अमेरिकी अखबार की अहमियत समझा रहे हैं.
एक है आज का न्यू यॉर्क टाइम्स और एक है ख़लीज टाइम्स : दोनो में एक ही दिन , एक जैसी खबर , एक ही जैसी फ़ोटो ये पेड न्यूज़ है , पैसे देकर छपवाए गए लेख केजरीवाल की चोरी और झूठ दोनो पकड़े गए pic.twitter.com/UnfNKb5XYl
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) August 19, 2022
सच अपना रास्ता खुद बना लेता है। केजरीवाल खुद बोल गए न्यू यॉर्क टाइम्ज़ में ‘खबर छपवाना’ आसान नहीं, लेकिन केजरीवाल के पास बजट बहुत है इन सब के लिए। pic.twitter.com/VgVnTe6tgO
— Parvesh Sahib Singh (@p_sahibsingh) August 19, 2022
कपिल मिश्रा ने न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ खलीज टाइम्स की भी फोटो शेयर कर दोनों रिपोर्ट को पेड न्यूज पहले ही करार दिया था, लेकिन धीरे धीरे लूपहोल सामने आने लगे. ध्यान देने वाली बात ये है कि दोनों ही अखबारों में मनीष सिसोदिया की बच्चों के साथ तस्वीर कॉमन है - और दोनों ही आर्टिकिल का ऑथर भी एक ही है. ध्यान से पढ़ने पर मालूम होता है कि कंटेट की शुरुआत भी एक जैसे शब्दों से ही हो रही है.
ये तो ऐसा लगता है जैसे शौकिया सिर मुड़ाते ही ओले पड़े हैं. मनीष सिसोदिया के बचाव में मामले को ट्विस्ट देते देते केजरीवाल खुद ही फंस गये हैं - और कांग्रेस ने केजरीवाल और मोदी सरकार पर एक साथ हमला बोलते हुए अपना मतलब भी साध लिया है.
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