मोदी के निशाने पर केजरीवाल-राहुल के होने की वजह गुजरात चुनाव है या 2024?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आजकल राजनीतिक विरोधियों को चुन चुन कर टारगेट कर रहे हैं. जैसे पहले अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को कठघरे में खड़ा किया था, ठीक वैसे ही राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी निशाने पर आ गये हैं - असली चक्कर आखिर है क्या?
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की तरफ से अभी तक बिहार में हुई उठापटक पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है - और न ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पाला बदल कर फिर से महागठबंधन में लालू यादव से हाथ मिला लेने के बाद उनके हमलावर रुख पर. बीजेपी और मोदी को टारगेट करते हुए नीतीश कुमार ने कहा था, '14 में जो आये थे... वो 24 तक आगे रह पाएंगे कि नहीं...' दरअसल, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान पर ही ये नीतीश कुमार का रिएक्शन था, जिसमें वो बहाने से प्रधानमंत्री मोदी को भी लपेट लिये.
हाल फिलहाल जिस स्टाइल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने राजनीतिक विरोधियों को चुन चुन कर टारगेट कर रहे हैं, अगला निशाना नीतीश कुमार ही लग रहे हैं. ऐसा दूसरा मौका है जब नीतीश कुमार के एनडीए छोड़ने की असली वजह भी मोदी ही हैं.
मोदी के निशाने पर फिलहाल अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) और राहुल गांधी हैं और दोनों ही अलग अलग मौकों पर अलग अलग वजहों से निशाने पर आये हैं. अरविंद केजरीवाल को मोदी ने आम आदमी पार्टी के मुफ्त वाले चुनावी वादों को रेवड़ियां कह कर घेरा है, तो राहुल गांधी को महंगाई के खिलाफ कांग्रेस की तरफ से 5 अगस्त को किये गये ब्लैक फ्राइडे प्रोटेस्ट के लिए.
अरविंद केजरीवाल पर प्रधानमंत्री मोदी ने तब हमला बोला था जब वो बुंदेलखंड में एक्सप्रेसवे का उद्घाटन कर रहे थे - और हरियाणा के पानीपत में वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के जरिये एक प्लांट का उद्घाटन करते वक्त भी दोहराया, साथ ही राहुल गांधी की कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन को काले जादू की कोशिश करार दिया.
सीनियर मोस्ट होने के बावजूद नीतीश कुमार तो फील्ड में जूनियर प्लेयर के रूप में कूदे हैं, लेकिन राहुल गांधी के बाद ये अरविंद केजरीवाल ही हैं जो 2024 के आम चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं. हो सकता है ममता बनर्जी भी फिर से प्रधानमंत्री पद की रेस ज्वाइन कर लें, लेकिन फिलहाल उनके तेवर थोड़े ठंडे पड़े नजर आ रहे हैं.
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने तो यूपी चुनाव के दौरान ही गुजरात चुनाव की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन तब अरविंद केजरीवाल पंजाब में व्यस्त रहे. बाद में राहुल गांधी भी कुछ दिन प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेशी की वजह से फंसे रहे - लेकिन एक बार फिर राहुल और केजरीवाल दोनों ही आने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों जुटे दिखायी पड़ रहे हैं. दोनों ही नेताओं की दिलचस्पी तीन राज्यों के चुनाव में देखी जा सकती है - गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक. तीनों ही राज्यों अगले एक साल के भीतर विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार अरविंद केजरीवाल को छोटे शहर के मामूली नेता जैसा बताया था - और राहुल गांधी को मोदी और बीजेपी कैसे प्रोजेक्ट करती है, बताने की जरूरत तो है नहीं. लेकिन मोदी की तरफ से दोनों नेताओं को मौका देख कर कठघरे में खड़ा किया जाना क्या इशारे करता है, ये समझना जरूरी हो गया है.
काला जादू का चक्कर
5 अगस्त को हुए कांग्रेस नेताओं के काले कपड़े पहन कर महंगाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को बीजेपी नेता अमित शाह ने अयोध्या के राम मंदिर निर्माण से जोड़ दिया था. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कांग्रेस नेतृत्व पर राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन के विरोध से जोड़ कर माफी मांगने की बात की थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर अपने राजनीतिक विरोधियों की कुछ बातों को नजरअंदाज कर देते तो ज्यादा फायदे में रहते.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन को काला जादू फैलाने का आरोप लगा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी का कहना है, 'निराशा और हताशा में डूबे कुछ लोग सरकार पर लगातार झूठा आरोप मढ़ने में जुटे हैं... लेकिन ऐसे लोगों पर से जनता का विश्वास पूरी तरह से उठ चुका है... यही वजह है कि अब वे काला जादू फैलाने पर उतर आये हैं.'
धर्म और राष्ट्रवाद बीजेपी के राजनीतिक एजेंडे में सबसे ऊपर नजर आते हैं. कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन को पहले धर्म से जोड़ने के बाद राष्ट्रवाद से जोड़ने की कोशिश हो रही है. प्रधानमंत्री मोदी असल में अमित शाह के बाद की बात कह रहे हैं.
कांग्रेस के विरोध को प्रधानमंत्री मोदी ने तिरंगे से जोड़ दिया है, 'आजादी के अमृत महोत्सव में जब देश तिरंगे के रंग में रंगा हुआ है... तब कुछ ऐसा भी हुआ है, जिसकी तरफ देश का ध्यान दिलाना चाहता हूं... हमारे वीर स्वतंत्रता-सेनानियों को अपमानित करने का... इस पवित्र अवसर को अपवित्र करने का प्रयास किया गया है... ऐसे लोगों की मानसिकता, देश को भी समझना जरूरी है.'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये लोग चाहे कितने भी झाड़-फूंक और काला जादू कर लें, देश के लोग अब इन पर भरोसा नहीं करने वाले - और फिर मोदी ने कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन को तिरंगे के अपमान से जोड़ दिया, 'काले जादू के फेर में आजादी के अमृत-महेत्सव का अपमान ना करें... तिरंगे का अपमान ना करें.'
मोदी के हमले का जवाब सभी कांग्रेस नेता अपने अपने तरीके से दे रहे हैं - और ऐसा ही एक तरीका कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का भी है. प्रियंका गांधी ने शहाब जाफरी के एक शेर पर अपने हिसाब से पैरोडी तैयार कर पेश किया है.
..@narendramodi जी आप इधर उधर की बात न करें, ये बताएं महंगाई बढ़ाकर क्यों लूटा जनता को काले कपड़ों से गिला नहीं, आपकी रहबरी पर सवाल है।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) August 10, 2022
और ये रेवड़ी कल्चर
चुनाव आयोग के हाथ खड़े कर देने के बाद सुप्रीम कोर्ट रेवड़ी कल्चर से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने अपने ससुर से जुड़ा एक किस्सा सुनाया था. जस्टिस रमना ने बताया कि उनके ससुर एक किसान हैं और कई साल पहले वो बिजली का कनेक्शन चाहते थे, लेकिन सरकार ने नये कनेक्शन पर रोक लगा दी थी.
जस्टिस रमना ने बताया, 'उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या हम याचिका दायर कर सकते हैं? उसके बाद एक दिन सरकार ने फैसला लिया और जिन लोगों का अवैध बिजली कनेक्शन था, उन्हें नियमित कर दिया गया... कतार में लगे लोगों को छोड़ दिया गया... मैं अपने ससुर को कोई जवाब नहीं दे सका... हम क्या संदेश दे रहे हैं? अवैध काम करने वालों को फायदा हो रहा है.'
रेवड़ी कल्चर को लेकर अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर हैं. कहते हैं, 'शॉर्ट-कट अपनाने से शॉर्ट-सर्किट अवश्य होता है... शॉर्ट-कट पर चलने के बजाय हमारी सरकार समस्याओं के स्थाई समाधान में जुटी है... पराली की दिक्कतों के बारे में भी बरसों से कितना कुछ कहा गया, लेकिन शॉर्ट-कट वाले इसका समाधान नहीं दे पाये.'
ठीक इसी अंदाज में प्रधानमंत्री ने पहले कहा था कि रेवड़ी बांटने वाले बड़े डेवलपमेंट प्रोजेक्ट लोगों के लिए नहीं ला सकते. ये बात मोदी ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के मौके पर कही थी.
और एक बार फिर मोदी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री को उसी तरीके से घेरने की कोशिश की है, 'अगर राजनीति में ही स्वार्थ होगा, तो कोई भी आकर पेट्रोल-डीजल भी मुफ्त देने की घोषणा कर सकता है... ऐसे कदम हमारे बच्चों से उनका हक छीनेंगे... देश को आत्मनिर्भर बनने से रोकेंगे... ऐसी स्वार्थभरी नीतियों से देश के ईमानदार टैक्सपेयर का बोझ भी बढ़ता ही जाएगा.'
जिस दिन मोदी ने पहली बार रेवड़ी कल्चर पर बहस छेड़ी थी, अरविंद केजरीवाल ने उस दिन भी रिएक्ट किया था और अब भी कह रहे हैं, 'मुझे लगता है कि टैक्सपेयर के साथ धोखा तब होता है जब उनसे टैक्स लेकर और उसके पैसे से अपने चंद दोस्तों के बैंकों के कर्ज माफ किए जाते हैं.... टैक्सपेयर देखते हैं सोचते हैं कि पैसा तो मुझसे लिया था... ये कह कर लिया था कि सुविधाएं बनाएंगे... मेरे पैसे से अपने दोस्तों के कर्ज माफ कर दिया.'
अरविंद केजरीवाल की दलील है, टैक्सपेयर के साथ धोखा इससे नहीं होता है कि उनके बच्चों को अच्छी और नि:शुल्क शिक्षा देते हैं... टैक्सपेयर के साथ धोखा इससे नहीं होता है कि देश के लोगों का अच्छा और नि:शुल्क इलाज कराते हैं... टैक्सपेयर के साथ धोखा तब होता है जब हम अपने दोस्तों के 10 लाख करोड़ों रुपये के कर्ज माफ कर दिये जाते हैं.'
आम आदमी पार्टी की प्रवक्त आतिशी मर्लेना ने योगी आदित्यनाथ सरकार की तरफ से रक्षाबंधन के मौके पर बसों में मुफ्त यात्रा की घोषणा को प्रधानमंत्री रेवड़ी कल्चर के विरोध से जोड़ दिया है.
So Modi opposes freebies and Yogi proposes freebies! Battle lines are drawn within the BJP! #YogiOpposesModi https://t.co/1RU4NTdd0A
— Atishi (@AtishiAAP) August 10, 2022
क्या ये 2024 की लड़ाई है
देखा जाये तो अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी दोनों ही गुजरात चुनाव की जोरशोर से तैयारी कर रहे हैं. अरविंद केजरीवाल के पास चुनावों में बताने के लिए दिल्ली मॉडल होता है और उसी के नाम पर वो मुफ्त शिक्षा, मुफ्त बिजली और दूसरी सुविधायें देने के वादे करते रहे हैं. पंजाब चुनाव में भी ऐसा ही किया था - और अब तो बताने के लिए केजरीवाल के पास दिल्ली मॉडल के साथ साथ पंजाब भी हो गया है.
2017 के गुजरात चुनाव में राहुल गांधी नोटबंदी और जीएसटी को लेकर मोदी सरकार पर खासे हमलावर थे. 5 अगस्त के विरोध प्रदर्शन से लग रहा है कि गुजरात से लेकर कर्नाटक तक बीजेपी के खिलाफ राहुल गांधी महंगाई को ही मुद्दा बनाने वाले हैं - और अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के बाद प्रधानमंत्री मोदी के कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया को देख कर ये पक्का भी लगने लगा है.
2024 के हिसाब से देखा जाये तो अब तक ऐसा कोई दावेदार सामने नहीं आया है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या बीजेपी को सीधे सीधे चैलेंज कर सके. ऐसा करने के लिए विपक्ष एकजुट होने की कोशिश करता भी है तो ठीक से खड़ा होने से पहले ही बिखर जाता है. हाल में हुए राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की बीजेपी को चुनौती देने की तैयारियों से ये सब आसानी से समझा जा सकता है.
राहुल गांधी लाख कहते फिरें कि सत्ता की राजनीति में उनकी न कभी दिलचस्पी थी, न आज है. राहुल गांधी भले ही कांग्रेस का अध्यक्ष पद फिर से स्वीकार करने के लिए राजी न हो रहे हों - लेकिन कांग्रेस नेता सोनिया गांधी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विपक्ष की तरफ से राहुल गांधी की दावेदारी के अलावा कुछ और बर्दाश्त करती हुई नहीं लगतीं. जैसी की हाल फिलहाल चर्चा है, हो सकता है कांग्रेस का अध्यक्ष गांधी परिवार से अलग कोई और नेता बन जाये, लेकिन प्रधानमंत्री की कुर्सी तो कांग्रेस की तरफ से विपक्षी खेमे में राहुल गांधी के लिए ही रिजर्व रहेगी. कोई दो राय नहीं है.
ये सोच और समझ कर ही अरविंद केजरीवाल अपनी तैयारी में अलग से जुट गये हैं. दिल्ली के बाद पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बन जाने के बाद हौसला और जोश दोनों हाई है. अरविंद केजरीवाल का अभी ज्यादा जोर गुजरात चुनाव पर ही है - लेकिन रेवड़ी कल्चर को ही लें तो जिस तरीके से वो जवाब दे रहे हैं नजर तो 2024 पर ही टिकी लगती है.
मुमकिन है मोदी भी अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी को फिलहाल यही सोच कर घेर रहे हों. हो सकता है मोदी को ये लगता हो कि अपनी लोकप्रियता के बूते दोनों ही नेताओं को बातों बातों में ही पैदल कर देंगे - ये ठीक है कि राहुल गांधी की किस्मत फिलहाल साथ नहीं दे रही है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी को ये भी नहीं भूलना चाहिये कि दिल्ली और पंजाब में पूरी ताकत झोंक कर भी वो अरविंद केजरीवाल को नहीं रोक पाये - केजरीवाल को नजरअंदाज करके वो धीरे से जोर का झटका भी दे सकते थे.
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